रिम्स में लापरवाही से छात्रा की मौत; गोद में ही शव लेकर भागे परिजन
रिम्स अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से एक और किशोरी की जान चली गई।
जागरण संवाददाता रांची। झारखंड के रिम्स अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से गुरुवार को एक और किशोरी की जान चली गई। डॉक्टर की ओर से बताई दुकान से ब्रांडेड दवा न लाना मरीज के परिजन को महंगा पड़ा।
खास दुकान से दवाएं नहीं लाने पर डॉक्टर ने इलाज से ही इन्कार कर दिया। इसके कुछ ही देर बाद 16 साल की सोनिया की मौत हो गई। वह लोहरदगा जिले के मुरमू गांव की रहने वाली थी और किस्को प्रखंड स्थित कस्तूरबा की 12वीं कक्षा की छात्रा थी।
बुधवार की शाम उसे लोहरदगा से रांची इलाज के लिए लाया गया था। उसके शरीर में खून की कमी थी। साथ ही पीलिया के लक्षण दिख रहे थे। इमरजेंसी वार्ड से उसे मेडिसिन वार्ड में दाखिल करा दिया गया। डॉ. उमेश प्रसाद की यूनिट में उसका इलाज चल रहा था। सोनिया के पिता दुखहरण सिंह ने बताया कि कि रात 10 बजे उसे खून की जरूरत पड़ी। ब्लड बैंक जाकर अपना खून दिया, लेकिन उस समय खून नहीं मिल पाया।
गुरुवार को खून मिला। खून चढ़ाया गया। साथ ही पीजी डॉक्टरों ने दवाएं लिखीं। पैसों की तंगी थी। इसलिए वे डॉक्टरों द्वारा बताई गई दुकान पर नहीं गए। कहीं और से दवाएं खरीद लाए। इस पर डॉक्टर भड़क गए। काफी डांटा भी। पीजी डॉक्टरों ने बार बार बरियातू चौक स्थित खास दुकान से ही दवा लाने का दबाव बनाया। इसी बीच सोनिया की मौत हो गई।
गोद में ही शव लेकर भागे परिजन
समय पर दवा न मिलने के कारण सोनिया ने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों के डर से मृतक के पिता शव को गोद में लेकर रिम्स से भागने लगे। पार्किंग में आकर उन्होंने शव को जमीन पर रख दिया। वहीं, बैठकर वे फूट फूट कर रोने लगे।
एंबुलेंस विभाग ने शव को भिजवाया लोहरदगा
पिता के दर्द को देखते हुए एंबुलेंस विभाग के कर्मचारी सामने आए। उन्होंने एक एंबुलेंस की व्यवस्था की। शव को एंबुलेंस में रखवाकर उसे बिना कोई शुल्क लिए लोहरदगा भिजवा दिया।
मामले की सूचना अभी मिली है। संज्ञान में लिया गया है। जांच होगी। जांच कमेटी का गठन किया जाएगा। जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक रिम्स।
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