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    Jharkhand News: कुड़मी आंदोलन के विरोध में उतरा आदिवासी समुदाय, राजभवन के सामने प्रदर्शन कर रखी ये मांग

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 10:53 PM (IST)

    रांची में आदिवासी संगठनों ने कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग के विरोध में राजभवन के सामने प्रदर्शन किया। नेताओं ने कहा कि कुड़मी सक्षम हैं और उन्हें ST में शामिल करना आदिवासियों के अधिकारों का हनन है। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि कुड़मी पहले भी ST नहीं माने गए थे।

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    कुड़मी जाति को ST में शामिल करने का आंदोलन। फोटो जागरण

    जागरण संवददाता, रांची। आदिवासी की सूची में शामिल करने की कुड़मी संगठनों की मांग का पुरजोर विरोध करते हुए आदिवासी संगठनों ने शनिवार को राजभवन के समक्ष प्रदर्शन किया।

    संयुक्त आदिवासी संगठन के बैनर तले आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में रांची, जमेशदपुर, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, लोहरदगा, खूंटी रामगढ़, हजारीबाग, सिमडेगा, पलामू आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए।

    इस मौके पर आदिवासी नेताओं ने कहा कि कुड़मी जाति सक्षम और सशक्त है, उन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल करना आदिवासियों की संवैधानिक अधिकारों का हनन हैं। यह आंदोलन आदिवासियों को हाशिए पर धकेलने की साजिश है।

    नेताओं ने कहा कि इतिहास में भी कुड़मी ब्रिटिश गेजेटियर और एसटी बनने के मानदंडों को पूरा नहीं कर पाए थे। जिस कारण उन्हें 1931 की जनगणना में अंग्रेजी शासनकाल के दौरान आदिवासी नहीं मानकर हटा दिया गया था।

    साथ ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी उनकी मांग को खारिज कर दी थी। इसके बावजूद कुड़मी समाज हठधर्मिता कर जनजाति सूची में शामिल होने की मांग कर रहा हैं। आदिवासी समाज ऐसा हरगिज होने नहीं देगा और इस मांग के विरोध में उग्र आंदोलन करेगा।

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    आदिवासी नेता लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि कुड़मी जाति के लोगों की यह मांग मूल आदिवासियों के आरक्षण, नौकरी, जमीन और गौरवशाली संघर्षशील आदिवासी विद्रोह के इतिहास पर कब्जा कर मूल आदिवासियों को हाशिए पर धकेलने की साजिश है।

    निरंजन हेरेंज ने कहा कि झारंखड के आदिवासी एकजुट होकर आंदोलन करेंगे। झारखंड में 32 जनजाति हैं, और पूरे देश में 850 जनजाति हैं। आदिवासी न अंग्रेज के सामने झुके थे और न ही आज अपना हक छिनने देंगे।

    सूरज टोप्पो, फुलचंद तिर्की, अमर तिर्की, हर्षिता मुंडा ने अपनी बातें रखी। आदिवासी संगठनों राज्यपाल को चार सूत्री मांग पत्र भी सौंपा। मौके पर कुन्दरशी मुंडा, निरंजना टोप्पो, डब्लू मुंडा, फुलचंद तिर्की, अमर तिर्की, हर्षिता मुंडा, सूरज टोप्पो, राकेश बड़ाइक, रविंद्र सरदार, समुंदर पाहन, प्रशांत मार्डी , प्रभात तिर्की, झरी लिंडा ,नेल्सन भगत, निशा भगत, देवी दयाल मुंडा ,आंनद मुंडा, अजय टोप्पो , मनिष मुंडा , लक्ष्मी मुंडा, निरज मुंडा, राजेश लिंडा व अन्य उपस्थित थे।

    आदिवासी संगठनों की मांग

    1. कुड़मी, कुर्मी, महतो जाति द्वारा आदिवासियों के मूल संवैधानिक हक, अधिकारों, राजनीतिक हिस्सेदारी, प्रतिनिधित्व, आरक्षण, नौकरी और जमीन पर हकमारी करने के लिए आदिवासी, अनूसूचित जनजाति बनने की अनुचित दावों पर तत्काल रोक लगाया जाए।
    2. आदिवासियों को संविधान के प्रदत्त विशेष कानूनों और अधिकारों को कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश व दुरुपयोग को रोकने के लिए अनूसूचित जनजाति, एसटी आरक्षण की पात्रता की जांच को लेकर एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए।
    3. झारखंड के आंदोनलकारी चुआड़ विद्रोह में रघुनाथ महतो, कोल विद्रोह में बुली महतो और संताल विद्रोह में चानकु महतो जैंसे छद्म नायकों को आदिवासी समुदाय के ऐतिहासिक गौरवशाली संघर्ष को कुड़मी जाति के द्वारा इतिहास के रूप में प्रस्तुत करने की साजिश को रोका जाए।
    4. - रेल रोको आंदोलन में यात्रियों को हुई परेशानी को केंद्र में रख रेलों का आवाजाही बंद करने व गैर कानूनी कार्यों में शामिल लोगों पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए।

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