रांची सिविल कोर्ट की टाइमिंग में बदलाव की मांग, महासचिव ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र
रांची जिला बार संघ ने सिविल कोर्ट में ग्रीष्मकालीन कोर्ट के समय में बदलाव की मांग की है। महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है जिसके बाद हाई कोर्ट ने सभी जिला बार संघों से राय मांगी है। संघ का कहना है कि पहले की तरह ग्रीष्मकालीन कोर्ट सुबह से दोपहर तक ही चलनी चाहिए।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य के सभी सिविल कोर्ट में ग्रीष्मकालीन कोर्ट सुबह से लेकर दोपहर तक किए जाने की मांग उठने लगी है। इसको लेकर रांची जिला बार संघ के महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है।
उन्होंने कहा कि इस पत्र पर हाई कोर्ट ने राज्य के सभी जिला बार संघों से मंतव्य मांगा गया है। पूर्व से अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह से लेकर जुलाई माह के पहले सप्ताह तक राज्य के सिविल कोर्ट में सुबह से लेकर दोपहर तक ही मामलों की सुनवाई होती थी यानी कोर्ट दोपहर तक चलती थी, लेकिन पिछले साल हाई कोर्ट ने सिविल कोर्ट के कैलेंडर में बदलाव कर दिया।
इस साल ग्रीष्मकालीन कोर्ट पूरे दिन चली और दुर्गा पूजा में एक माह के होने वाले अवकाश में बदलाव कर दिया। पूर्व में दुर्गापूजा का अवकाश छठ पूजा तक चलता था, लेकिन इस बार दुर्गा पूजा में अवकाश और फिर दीपावली के बाद छठ तक अवकाश दिया गया है।
पिछली बार भी कैलेंडर में होने वाले बदलाव के समय राज्य के सभी जिला बार संघों से इसको लेकर मंतव्य मांगा गया था। लेकिन रांची जिला बार संघ को छोड़कर सभी संघों ने कैलेंडर में बदलाव होने का समर्थन किया था।
उस दौरान भी रांची जिला बार संघ की ओर से हाई कोर्ट को कैलेंडर में बदलाव नहीं करने की बात कही थी। लेकिन हाई कोर्ट प्रशासन ने कैलेंडर में बदलाव कर दिया था।
90 प्रतिशत वकील पुराने कैलेंडर पर सहमत
कैलेंडर में बदलाव के लिए लिखे पत्र में रांची जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव का हस्ताक्षर है। महासचिव संजय विद्रोही ने बताया कि बिहार राज्य होने के समय से ही यहां पर ग्रीष्मकालीन कोर्ट सुबह होती थी।
इसमें पहली बार बदलाव किया गया है, लेकिन रांची सिविल कोर्ट के 90 प्रतिशत अधिवक्ता पुराने कैलेंडर को ही जारी रखने के लिए सहमत है। उक्त पत्र को सभी अधिवक्ताओं को भी भेजा गया था, लेकिन किसी ने आपत्ति नहीं जताई है।
संजय विद्रोही ने कहा कि राज्य की सभी कोर्ट में एसी लगा दिया गया है। जबकि एसोसिएशन भवन में एसी की सुविधा नहीं है। ऐसे में गर्मी के दिनों में अधिवक्ता कोर्ट से जब बाहर आएंगे, तो उन्हें लू की चपेट में आने की संभावना ज्यादा हो जाएगी। इसलिए पुराने कैलेंडर को ही लागू किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने सभी बार संघों से मांगा मंतव्य
संजय कुमार विद्रोही ने बताया कि जब उन्होंने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को इस संबंध में पत्र लिखा तो राज्य के सभी जिला बार संघों से इस पर मंतव्य मांगा गया है।
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट का इस पर फिर से संज्ञान लेकर सभी संघों से मंतव्य मांगना। इस बात का संकेत है कि हाई कोर्ट इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि हाई कोर्ट इस पर सकारात्मक पहल करते हुए पुराने कैलेंडर को बहाल करेगा।
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