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    Ranchi News: जिस जमीन पर अवैध निर्माण रोकने के लिए डीएसपी ने लिखा पत्र, वहां बन गया दो मंजिला भवन

    Updated: Sun, 02 Mar 2025 11:02 PM (IST)

    बोकारो के तेतुलिया में जमीन पर अवैध कब्जा करने का मामला सामने आया है। अपराध अनुसंधान विभाग के महानिरीक्षक ने बोकारो के उपायुक्त को पत्र लिखकर जमीन पर अवैध कब्जा के मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया है। जमीन के बारे में दावा किया जा रहा है कि यह वन विभाग का है। पुलिस के इस दावे के बावजूद बोकारो जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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    पुलिस महानिरीक्षक ने डीसी को लिखा पत्र। (सांकेतिक फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। बोकारो के तेतुलिया से एक बड़ा मामला सामने आया है। अपराध अनुसंधान विभाग के महानिरीक्षक ने बोकारो के उपायुक्त को पत्र लिखकर जमीन पर अवैध कब्जा के मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

    इस प्रकरण में डीएसपी पहले ही अवैध निर्माण को रोकने के लिए पत्र लिख चुके हैं। पत्र लिखे जाने के बावजूद दो महीने तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई और नतीजा यह रहा कि वहां पर दो मंजिला भवन बनकर तैयार हो गया। जमीन के बारे में दावा किया जा रहा है कि यह वन विभाग की है।

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    पुलिस के इस दावे के बावजूद बोकारो जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की और अब पुलिस महानिरीक्षक ने डीसी को पत्र लिखकर संज्ञान लेने का आग्रह किया है। पत्र की प्रतिलिपि राजस्व विभाग को भी दी गई है।

    दरअसल, पुलिस के अनुसंधान में यह बात स्पष्ट तौर पर सामने आई कि वन प्रमंडल बोकारो के अधीन पड़ने वाली इस जमीन पर इजहार हुसैन और अन्य ने अवैध कब्जा जमा रखा है एवं फर्जी कागजात भी बनवा लिए हैं।

    इस भूमि पर अखिलेश सिंह, नवीन सिंह और एनके सिंह ने दो मंजिला भवन बनवा लिए हैं, जबकि कुछ भवनों का निर्माण अभी जारी है।

    जिला प्रशासन ने कागज की वैधानिकता पर उठाए सवाल

    प्रथम दृष्टया यह साक्ष्य पाया गया है कि उक्त जमीन को इजहार अंसारी ने अपने दादा समीर महतो ऊर्फ समीरूद्दीन अंसारी के नाम पर पुरुलिया के डिप्टी कलेक्टर से प्राप्त किया है। पुरुलिया में जिला प्रशासन ने इस कागज की वैधानिकता पर सवाल उठा दिए हैं।

    इस प्रकरण में पूर्व में राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, झारखंड सरकार की ओर से संयुक्त जांच प्रतिवेदन में पाया गया था कि तत्कालीन अंचल अधिकारी निर्मल कुमार टोप्पाे, तत्कालीन हल्का कर्मचारी, अंचल निरीक्षक, डीसीएलआर और अपर समाहर्ता आदि ने साजिश कर 107 एकड़ भूखंड सात लोगों के नाम से दाखिल-खारिज करने की अनुमति प्रदान कर दी थी।

    मामला 2015 का है। मामले में आगे जाकर धनबाद स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यालय में पीई दर्ज कर जांच की जा रही है।

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