Jharkhand News: क्या से क्या हो गया, देखते-देखते... पढ़ें IAS पूजा सिंघल की दर्दनाक कहानी; 4000 करोड़ का ये काला कारोबार
Jharkhand IAS Pooja Singhal झारखंड में अवैध खनन का काला कारोबार चार हजार करोड़ रुपये से अधिक का है। इसमें नेता मंत्री अफसर सबके हाथ काले हैं। भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में ईडी के हत्थे चढ़ी झारखंड की खान सचिव आइएएस पूजा सिंघल इसकी छोटी सी कड़ी है।

रांची, [जागरण स्पेशल]। Jharkhand IAS Pooja Singhal काला रे, सइयां काला रे। तन काला रे, मन काला रे। काली जुबां की काली गाली। काले दिन की काली शामें। सइयां करते जी कोलबाजारी। यह लोकप्रिय गाना झारखंड की कोलियरी धनबाद की पृष्ठभूमि पर बनी बॉलीवुड फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर का है। जो वर्तमान माहौल में राज्य के ताजा हालात पर सौ प्रतिशत फिट बैठ रहा है। झारखंड में अभी भ्रष्टाचार, अवैध खनन और काली कमाई के चर्चे आम हैं। हर जुबां पर या ताे ईडी या फिर पूजा सिंघल का नाम है। जितना मुंह, उतनी बातें हो रही हैं सो अलग। पूजा सिंघल अभी देश-दुनिया में चर्चा में हैं। उनकी खबरें तमाम मीडिया से लेकर सोशल साइटों पर सुर्खियां बटोर रही हैं। लोग-बाग उनकी निजी जिंदगी से लेकर उनसे जुड़े अपडेट लगातार जानना चाह रहे हैं। पढ़ें IAS पूजा सिंघल पर ये खास रिपोर्ट...
मनरेगा घोटाले के मामले में पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार की खान, उद्योग सचिव आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया है। जिनसे पूछताछ और जांच के क्रम में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। ईडी की मानें तो पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी में उनके हाथ ऐसे सनसनीखेज दस्तावेज लगे हैं, जो सार्वजनिक हुए तो हड़कंप मच जाएगा। ईडी ने बीते दिन झारखंड हाई कोर्ट को बताया है कि जांच एजेंसी इन अलार्मिंग डाक्यूमेंट्स को अदालत को दिखाना चाहती है। इसके बाद कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के यहां ये दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में जमा करा दिए गए हैं। 17 मई को विशेष अदालत बैठेगी, तब हड़कंप मचाने वाले इन दस्तावेजाें की सच्चाई दुनिया के सामने आएगी। इधर ईडी ने उनके पति अभिषेक झा, सीए सुमन कुमार से लंबी पूछताछ के बाद इन घोटालों के तार कई रसूखदारों से जोड़े हैं। इस कड़ी में झारखंड के कई जिले के खनन अधिकारियों को ईडी ने समन किया है। जिनसे 16 मई को पूछताछ होगी।
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आखिर कौन है ये पूजा सिंघल
पूजा सिंघल भारतीय प्रशासनिक सेवा की 2000 बैच की झारखंड कैडर की आइएएस अधिकारी है। उन्हें भारत में सबसे कम उम्र में (21 साल) आइएएस बनने का गौरव हासिल है। इनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। पूजा सिंघल ने दो शादियां की हैं। उनके पहले पति झारखंड कैडर के आइएएस अधिकारी राहुल पुरवार हैं। जिनसे 12 साल पहले उनका तलाक हो गया है। पूजा सिंघल ने दूसरी शादी बिहार के रहने वाले बिजनेसमैन अभिषेक झा से की है। जो रांची में पल्स हॉस्पिटल के एमडी हैं। पूजा सिंघल करीब 20 साल से झारखंड में अलग-अलग पदों पर रहकर अपनी सेवा दे रही हैं। चतरा, गढ़वा, खूंटी, पलामू आदि जिलों में पूजा सिंघल डीसी रह चुकी हैं। जबकि उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभागों में सचिव की अहम जिम्मेवारी भी निभाई है। इस दौरान पूजा पर भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी के कई संगीन आरोप लगे। लेकिन तमाम जांच के बाद सरकार ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।
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जेल जाते ही बेहोश, ईडी की रिमांड में हालत पस्त
पूजा सिंघल तब चर्चा में आईं जब 6 मई को ईडी ने उनसे जुड़े देश के 5 राज्यों के 25 ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की। जहां से करीब 20 करोड़ रुपये नकदी और 150 करोड़ की अवैध संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए गए। इसके बाद पूजा सिंघल से जांच एजेंसी ने 3 दिनों तक लंबी पूछताछ की, गिरफ्तार किया, फिर जेल भेज दिया गया। फिलहाल ईडी पूजा सिंघल को रिमांड पर लेकर तमाम घपले-घोटाले और मनी लांड्रिंग की परत-दर-परत खोल रही है। पूजा सिंघल को गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने स्पेशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल, होटवार भेज दिया गया।
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जेल पहुंचते ही पूजा सिंघल को चक्कर आ गया। जेलकर्मियों ने दवा खिलाई, तब जाकर वे होश में आईं। इसके बाद वह पूरी रात वहां मच्छर काटने और वार्ड में पसरी गंदगी, बदबू के चलते नहीं सो सकीं। सुबह जेल के जमादार पर रौब दिखाया, और जेल का खाना खाने से इंकार कर दिया। इधर ईडी की रिमांड में उनकी हालत लगातार पस्त होती जा रही है। लंबी और कड़ी पूछताछ के बीच न उन्हें नींद आ रही, न वो सामान्य दिनचर्या के मुताबिक जी पा रही हैं। बीते दिन इमरजेंसी की सूचना पर ईडी हेडक्वार्टर पहुंचे डॉक्टर ने बताया कि वो नींद नहीं आने के चलते अचेत हो जा रही हैं। वह बहुत ज्यादा तनाव में हैं। उन्हें योगा करने की सलाह दी गई है।
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सरकार के जवाबदेह अधिकारी ही लगा रहे राजस्व को चपत
पूजा सिंघल प्रकरण में मनरेगा से शुरू हुई ईडी की जांच, अब अवैध खनन की ओर मुड़ गई है। तीन जिलों के डीएमओ को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए 16 मई को बुलाया भी गया है। यह मामला कितना बड़ा होगा और इसकी जद में कौन-कौन आएगा यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा लेकिन इसमें कोई शक नहीं झारखंड में अवैध खनन का कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में अवैध खनन का कारोबार चार हजार करोड़ से कहीं अधिक का है। इस असंगठित कारोबार को अधिकारियों की मिलीभगत से संगठित तरीके से अंजाम दिया जाता है।
झारखंड में संगठित तरीके से चलता है ये काला कारोबार
झारखंड में अवैध खनन के कारोबार का कोई सटीक आंकड़ा निकालना मुश्किल है लेकिन समय-समय पर भारतीय खान ब्यूरो को भेजी गई रिपोर्ट, पीएजी की आडिट रिपोर्ट और शाह आयोग की पिछली पड़ताल को एक नजर देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि झारखंड का खान विभाग जितना राजस्व हर वर्ष जुटाता है, तकरीबन उसका आधे का अवैध खनन का कारोबार होता है। कोयला, आयरन ओर से लेकर बालू, पत्थर, लाइम स्टोन सभी इसकी जद में शामिल हैं और इसे रोकने के लिए तैनात किए गए जवाबदेह अधिकारी ही सरकार को चपत लगा रहे हैं। अब नए सिरे से शुरू हुई ईडी की जांच कुछ और खुलासे करेगी, कुछ नपेंगे भी लेकिन यह कारोबार न थमा है और न थमेगा।
शाह आयोग की रिपोर्ट काफी पहले कर चुकी है खुलासा
झारखंड में अवैध खनन के कारोबार को तार्किक तरीके से समझने के लिए पिछले कुछ पन्ने पलटने होंगे। न्यायमूर्ति एमबी शाह आयोग ने अपनी रिपोर्ट में झारखंड में 22,000 करोड़ रुपये का अवैध खनन का खुलासा किया था। वर्ष 2014 में संसद में पेश रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासे किए गए थे। इसमें अवैध खनन के तमाम तरीकों और कारणों का खुलासा किया गया था और खनन कंपनियों के साथ साठगांठ करने वाले अधिकारियों को दंडित करने का सुझाव भी दिया गया था। यह रिपोर्ट वर्ष 2000-2010 के बीच के आयोग के अध्ययन पर आधारित थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि 40 डालर प्रतिटन के औसत मूल्य पर 2000-2010 के बीच रायल्टी का भुगतान किए बिना लौह अयस्क के अवैध निर्यात का मूल्य 2,747 करोड़ रुपये बैठता है।
पीएजी की आडिट रिपोर्ट भी कर चुकी है सरकार को आगाह
अवैध खनन को लेकर राज्य सरकार को पीएजी भी चेता चुकी है। पूर्व में पीएजी ने अपनी आडिट रिपोर्ट में कहा था वित्तीय वर्ष 2010-11 और 2011-12 में जिला खनन कार्यालयों ने खान विभाग के राजस्व को 2078 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। रायल्टी दर का गलत आकलन, कोयले की ग्रेडिंग कम करने, लीज अवधि समाप्त होने के बावजूद खनन तथा बकाया में ब्याज की गणना गलत तरीके से करने से यह नुकसान हुआ है।
झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के माध्यम से सरकार का भला जितना भी हुआ हो, यहां के अधिकारियों ने अपना और अपने रिश्तेदारों का जमकर भला किया है। सूत्र बताते हैं कि रिश्ते और पैरवी के आधार पर लोगों को खनन पट्टे दिए गए। गढ़वा में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। विद्या शर्मा के नाम से जारी एक खनन पट्टे में स्थल जांच प्रतिवेदन देखने से पता चलता है कि लाभुक के पति ने ही स्थल जांच प्रतिवेदन में अपनी गवाही दी है। इनका नाम अशोक कुमार है। इसी प्रकार पैरवी से खनन पट्टे दिए जाने के प्रमाण भी सामने आ रहे हैं। निगम में बालू प्रभारी रहे अशोक कुमार पर आरोप है कि उन्होंने एक बार इस्तेमाल के लिए जारी चालान को कई बार इस्तेमाल किया और इस मामले में उनपर प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई। राज्य मुख्यालय से लेकर जिलों तक में पैरवी की बदौलत कई जिलों में ऐसे कार्य लगातार किए जाते रहे हैं।
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