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    Jharkhand Politics: तो इसलिए हुई झारखंड में रघुवर दास की वापसी, सामने आई अंदर की बात

    Updated: Mon, 30 Dec 2024 02:02 PM (IST)

    झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद हार पर मंथन करने में जुटी बीजेपी जल्द ही बड़ा बदलाव कर सकती है। 14 महीने बाद पूर्व सीएम रघुवर दास की झारखंड में वापसी हुई है। रघुवर दास की वापसी के बाद इस बात के भी कयास लगने शुरू हो गए हैं कि बीजेपी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। रघुवर दास की वापसी से उनके समर्थकों में उत्साह का माहौल है।

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    झारखंड में हुई रघुवर दास की वापसी

    जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड में करारी हार के बाद भाजपा जल्द ही नया प्रयोग करेगी। पार्टी को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास में तारणहार दिख रहा है। बड़े तामझाम के साथ उनकी वापसी भी हो रही है। इससे उनके समर्थकों का खेमा उत्साहित है।

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    समर्थकों का कहना है कि रघुवर दास ने मिशन ओडिशा को काफी कम वक्त में ही अमलीजामा पहनाया। अरसे से जमे नवीन पटनायक को अपदस्थ करने में उनकी महती भूमिका को भाजपा स्वीकार करती है।

    ओडिशा के बाद मिशन झारखंड

    सिर्फ 14 माह में ही उनकी वापसी के बाद मिशन झारखंड को अंजाम देने की कोशिश होगी। अब भाजपा के वे नेता बचने का बहाना बना रहे हैं, जो चुनाव के दौरान रघुवर दास के खिलाफ बोलने का कोई मौका चूकते नहीं थे। रघुवर दास के स्वागत में उम़ड़ी भीड़ ने सबकी नींद खराब कर दी है।

    नकली या असली?

    राजनीति में ऑडियो-वीडियो खूब कमाल करती है। झारखंड में भी इसका असर देखना को मिल रहा है। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में इसका प्रकोप राज्य सरकार के पूर्वमंत्री बन्ना गुप्ता को भी झेलना पड़ा।

    कांग्रेस के इस कद्दावर नेता ने स्वीकार किया कि एक वीडियो के कारण उनके मतदाताओं में गलत संदेश गया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

    चुनाव के बाद भी ऐसे ऑडियो-वीडियो का प्रचलन राजनीतिक विरोधी एक-दूसरे के खिलाफ खूब कर रहे हैं। एक ऐसे ही ऑडियो में गढ़वा से भाजपा के विधायक सत्येन्द्र नाथ तिवारी की आवाज में अपशब्द कहते सुना जा सकता है।

    तिवारी हाल ही में राज्य सरकार के मंत्री रहे मिथिलेश कुमार ठाकुर को हराकर विधानसभा पहुंचे हैं। उनके पीए के मुताबिक ऑडियो बनाने में AI तकनीक का प्रयोग किया गया।

    ऐसा उनकी राजनीतिक छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से हुआ। ऐसे में डीपफेक तकनीक आने वाले दिनों में अन्य माननीयों की भी रात की नींद के साथ-साथ उनकी छवि भी खराब कर सकती है।

    शिल्पी नेहा तिर्की दो कदम आगे

    राज्य सरकार के मंत्री रहे बंधु तिर्की से राजनीति में दो कदम आगे उनकी पुत्री शिल्पी नेहा तिर्की निकल रही हैं। पिता की राजनीतिक विरासत को वह बखूबी बढ़ा ही नहीं रहीं, बल्कि उनका अंदाज ठीक वैसा ही है। बंधु तिर्की विभागीय अफसरों की सारी हेकड़ी निकालते थे। ठीक उसी तर्ज पर बतौर मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने भी शुरूआत की है।

    उनकी विभागीय बैठकों में जाने से पहले जो अधिकारी उन्हें सामान्य तरीके से ले रहे थे, वे अब उनके नाम से ही कांप रहे हैं। विभागीय अधिकारियों में इस बात की चर्चा है कि फाइलों में उलझाकर मंत्री को घुमाया-फिराया नहीं जा सकता। ऐसे में सभी तैयारी में भी जुट गए हैं।

    कामकाज में बहानेबाजी करने वाले पदाधिकारी ज्यादा परेशान हैं। ऐसे कुछ पदाधिकारियों ने आसान रास्ता बताया है कि बैठक से पहले ही बीमार होकर छुट्टी का आवेदन डाल दो।

    जयराम महतो के तेवर नहीं हुए ढीले

    गिरिडीह के डुमरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पहले टाइगर जगरनाथ महतो करते थे। उनके निधन के बाद पत्नी बेबी देवी को मौका मिला, लेकिन वह जीत का क्रम बनाने में असफल रहीं। इस सीट पर नए सिरे से काबिज होने वाले जयराम कुमार महतो भी टाइगर उपनाम से ही मशहूर हैं।

    जयराम के तेवर चुनाव जीतने के पहले भी कम नहीं थे। उनके इसी तेवर ने उन्हें ना सिर्फ विधानसभा की चौखट तक पहुंचाया, बल्कि अकेले रहकर भी बड़ा नाम बनाने का रास्ता आसान किया। उनकी धमक के कारण आजसू पार्टी की चमक फीकी पड़ गई। जाहिर है कि विधायक बनने के बाद उनके आत्मविश्वास का स्तर और बढ़ा है, जिसने अन्य दलों की भी नींद उड़ाई है।

    कोयला खनन वाले इलाकों में उनकी बढ़त से एक अन्य माननीय कुछ ज्यादा ही खफा हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में आपसी टकराव की पृष्ठभूमि भी तैयार हो रही है।

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