'स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं करते', निशिकांत दुबे के बयान पर भड़के JMM नेता; बाबूलाल मरांडी पर भी साधा निशाना
झामुमो ने निशिकांत दुबे के बयान को लोकतंत्र विरोधी बताया और भाजपा पर मनुस्मृति लागू करने का आरोप लगाया है। JMM नेता विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा संवैधानिक ढांचे पर विश्वास नहीं करती। झामुमो ने बाबूलाल मरांडी की चुप्पी पर सवाल उठाया और निशिकांत दुबे को बर्खास्त करने की मांग की। साथ ही न्यायपालिका पर भाजपा के हमले को अस्वीकार्य बताया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। सुप्रीम कोर्ट के संदर्भ में गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयान को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने लोकतंत्र विरोधी करार दिया है। झामुमो के केंद्रीय समिति सदस्य और वरिष्ठ नेता विनोद पांडेय ने कहा कि असल बात यह है कि भाजपा देश में मनुस्मृति लागू करना चाहती है।
निशिकांत दुबे का बयान लोकतंत्र विरोधी
भाजपा को देश के संवैधानिक ढ़ांचे पर विश्वास ही नहीं है। चुनाव आयोग, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो सहित अन्य संवैधानिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर कब्जा किया जा चुका है। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर भी इन्हें आपत्ति है। आखिरकार भाजपा इस देश को कहां ले जाना चाहती है?
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं ने निशिकांत दुबे के बयान पर चुप्पी क्यों साध रखी है? बात-बात पर बयान जारी करने वाले बाबूलाल मरांडी क्यों नहीं इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं करते?
न्यायपालिका पर देश के गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों का अटूट भरोसा है। भाजपा अब अपने नेताओं के जरिए न्यायपालिका पर हमले करा रही है।
झामुमो ने की बर्खास्तगी की मांग
ये(भाजपा) मनमुताबिक निर्णय नहीं होने पर न्यायपालिका पर दबाव बना रहे हैं। भाजपा के सांसद पहले भी संताल परगना को झारखंड से अलग करने की बातें कई बार कर चुके हैं। इनकी सोच विभाजनकारी है। भाजपा के नेताओं को अगर न्यायपालिका पर विश्वास है तो निशिकांत दुबे को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा न्यायपालिका समेत अन्य संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जे की भाजपाई मनोवृति को किसी स्तर पर बर्दाश्त नहीं करेगा। भाजपा देश में हिन्दू-मुस्लिम का आरोप लगाकर नफरत पैदा करने के प्रयास में है।
ये देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को समाप्त करना चाहते हैं। निशिकांत दुबे अपने मन से ऐसा नहीं बोल रहे हैं, इसके पीछे भाजपा और आरएसएस की विभाजनकारी सोच है।
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