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    लेमन ग्रास की खेती कर मालामाल हो रहे किसान, 1200 रुपये लीटर तक बिकता है तेल; साल भर में होती है इतनी कमाई

    Updated: Sat, 22 Feb 2025 02:27 PM (IST)

    Lemon grass farming रांची के किसान लेमन ग्रास की खेती कर अब मोटी कमाई कर रहे हैं। पलामू प्रखंड के कई किसान दस एकड़ से अधिक जमीन पर लेमन ग्रास की खेती को शुरू कर अच्छी आमद लेना शुरू कर दिया है और कम खर्चे में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। लेमन ग्रास की खेती की शुरुआत में एक एकड़ जमीन पर 25 हजार का खर्च आता है।

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    रांची के किसान कर रहे लेमनग्रास की खेती। (फोटो जागरण)

    राजीव रंजन तिवारी, पंडवा (पलामू)। Lemon grass farming: प्रखंड के दर्जनों किसान इस समय लेमन ग्रास की खेती कर तरक्की की इबारत लिखने में लगे हैं।

    किसान उत्पादक संगठन पंडवा फेड फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से जुड़े लामीपतरा, झरी, छेछौरी,पंडवा, चिल्ही गांव के 10 से अधिक किसानों ने दस एकड़ से अधिक जमीन पर लेमन ग्रास की खेती को शुरू कर अच्छी आमद लेना शुरू कर दिया है और कम खर्चे में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं।

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    लेमन ग्रास का उपयोग तेल बनाने के साथ ग्रीन-टी बनाने में किया जाता है। किसान ओमकारनाथ, अभिमन्यु कुमार मेहता, दुर्गेश पाठक, भीम मेहता, देवलाल मेहता, कृष्णा बनपर आदि बताते हैं कि पहले गांव के किसान परंपरागत धान, गेहूं, दलहन, तिलहन आदि की खेती करते थे।

    मानूसन पर आधारित होने के कारण कभी फसल होती थी, कभी नहीं भी होती थी। ऊपर से क्षेत्र में नीलगायों का आतंक था। इस कारण उन्होंने लेमन ग्रास की खेती करने का कार्य शुरु किया। उन लोगों की लेमन ग्रास की खेती को देखकर और भी किसान इसकी खेती से जुड़ने लगे।

    इसकी खेती से नीलगायों द्वारा खेती में होने वाले नुकसान से राहत मिली। उन्होंने बताया कि आज के समय में सभी काफी अच्छी आमदनी ले रहे हैं।

    कम पानी से की जाती है लेमनग्रास की खेती

    लेमन ग्रास की खेती को करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, जो पलामू जैसे रैनशेडो इलाकों के लिए उपयुक्त है। इस खेती को करने के लिए साल में सिर्फ 10 से 12 बार ही फसल की सिंचाई की जाती है।

    लेमन ग्रास की खेती की शुरुआत में एक एकड़ जमीन पर 25 हजार का खर्च आता है और साल में इस पर 2 से 2.50 लाख की आमदनी होती है। इस फसल में रोग एवं बीमारियां बहुत कम लगते हैं। इस फसल में गंध भी आती है जिसकी वजह से जानवर इसे नहीं खाते हैं।

    इस फसल के जड़ की रोपाई कतार से कतार दूरी 2 फीट एवं पौधे से पौधे की दूरी 1 फीट होती है। एक बार बुवाई के बाद यह फसल 10 से 12 साल तक आमद देती है। कटाई के बाद फिर से इसका पौधा कुछ ही दिन में दोबारा तैयार हो जाता है। ऐसा कर किसान साल में तीन फसल लेते हैं।

    गांव में लगाया लेमनग्रास का प्रोसेसिंग प्लांट

    किसान ओमकारनाथ बताते हैं कि उन्होंने केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्था, लखनऊ से प्रशिक्षण लेने के बाद साल 2022- 2023 से लेमनग्रास की खेती शुरु की। पहले उन्होंने एक एकड़ में लेमनग्रास की खेती की।

    लेमन ग्रास प्रोसेसिंग प्लांट।

    लेमन ग्रास की कटिंग कर हुसैनाबाद के दंगवार में स्थापित लेमन ग्रास का प्रोसेसिंग प्लांट से अपनी फसल का तेल निकालते थे। उसके बाद उसकी बिक्री करते थे। उन्होंने केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्था के सहयोग से इस साल फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में झरी गांव में लेमनग्रास का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया।

    अब लेमन ग्रास की खेती करने वाले किसानों की फसलों का तेल निकालते हैं। उसके बाद उसकी बाजार में बिक्री करते हैं। उन्होंने कहा कि लेमनग्रास में सिट्रलर की मात्रा 70% से अधिक रहने पर बाजार में 1100 से 1200 रुपए प्रति लीटर मिलता है।

    जबकि जैविक विधि से खेती करने पर 1500 से 2000 प्रति लीटर मिलता है। ओमकारनाथ ने बताया कि दिल्ली, कोलकाता के व्यापारी इसके तेल को लेकर जाते हैं। इस कारण मार्केटिंग की कोई समस्या नहीं है।

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