JMM के गेट पर लगी एंट्री की लाइन, AJSU में सबसे ज्यादा खलबली; नीरू शांति के बाद अगला नंबर किसका?
JMM की बढ़ती लोकप्रियता नेताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। हालिया चुनावों में JMM की सफलता ने पार्टी में शामिल होने के लिए नेताओं की लाइन लगा दी है। सबसे ज्यादा खलबली AJSU में है जिसके कई नेता अपनी राजनीतिक राह अलग करने की जुगत में हैं। नीरू शांति भगत ने आजसू से इस्तीफा दे दिया है और उनके साथ कुछ अन्य नेता भी पार्टी छोड़ सकते हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव (Jharkhand Election 2024) के परिणाम के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रति नेताओं का आकर्षण बढ़ रहा है। झामुमो ने हालिया चुनावों में ना सिर्फ वोट प्रतिशत में वृद्धि करने में कामयाबी पाई है, बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले सीटों में भी बढ़ोतरी करने में सफलता पाई।
गठबंधन दलों के साथ मिलकर झामुमो ने अपार बहुमत हासिल किया तो इसके पीछे पार्टी की बढ़ती स्वीकार्यता को बड़ी वजह माना जा रहा है। यही कारण है कि झामुमो में अन्य दलों से एंट्री के लिए नेताओं की लाइन लगने वाली है।
आजसू पार्टी में मची खलबली
बताया जा रहा है कि सबसे अधिक खलबली आजसू पार्टी (AJSU Party) में मची है। विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन इसकी वजह माना जा रहा है। यही कारण है कि दल के कई नेता अपनी राजनीतिक राह अलग करने की जुगत में लग गए हैं। इसका प्रभाव भी दिखने लगा है।
नीरू शांति भगत ने दिया इस्तीफा
आजसू पार्टी के संस्थापकों में से एक स्वर्गीय कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत ने आजसू पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें लोहरदगा से चुनाव मैदान में उतारा था। उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। कुछ दिनों पूर्व उन्होंने झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात की थी।
कई और नेता भी छोड़ेंगे आजसू का साथ
इसकी प्रबल संभावना है कि वह झामुमो में शामिल होंगी। उनके साथ कुछ अन्य नेता भी पार्टी से अलग हो सकते हैं। इससे आजसू पार्टी के समक्ष नया संकट उत्पन्न हो सकता है। विधानसभा चुनाव के वक्त आजसू पार्टी के वरीय नेता उमाकांत रजक दल छोड़कर झामुमो में शामिल हो गए थे।
झामुमो ने उन्हें चंदनक्यारी (सुरक्षित) सीट से प्रत्याशी बनाया। वे चुनाव जीतने में सफल रहे। उन्होंने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी को हराने में सफलता पाई। हालांकि, झामुमो में नए नेताओं की एंट्री मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरफ से सहमति मिलने के बाद ही संभव हो पाएगी।
भाजपा में भी चल रहा आजसू पार्टी को लेकर मंथन
राज्य में भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में भी आजसू पार्टी को लेकर मंथन चल रहा है। पार्टी के भितरखाने यह चर्चा है कि आजसू पार्टी के साथ भविष्य में चुनावी साझेदारी पर भी विचार करना चाहिए। आजसू पार्टी का चुनाव के वक्त अनावश्यक दबाव भी था, लेकिन उस मुकाबले चुनाव में परिणाम नहीं आया।
इसका नुकसान यह हुआ कि जिन इलाकों में आजसू पार्टी को सीटें दी गई, वहां स्थानीय संगठन की इकाई पर बुरा असर पड़ा। आजसू पार्टी की वजह से भाजपा ने अपने दल के कुरमी नेताओं की भी अनदेखी की।
इस बड़े और प्रभावी समुदाय से कोई सक्षम नेतृत्व उभरकर सामने नहीं आया। रघुवर दास की नए सिरे से भाजपा में एंट्री के बाद संभावना है कि इन बिंदुओं पर गौर करते हुए पार्टी आगे यह निर्णय करेगी कि एनडीए में आजसू पार्टी का कितना हस्तक्षेप होगा।
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