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    Jharkhand Teachers: सभी शिक्षक ध्यान दें! अब करनी होगी 50 घंटे की ट्रेनिंग, सीधा ऊपर से आया ऑर्डर

    झारखंड के सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए न्यूनतम 50 घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के प्रशिक्षण शामिल हैं। शिक्षकों को डाइट में भी जाकर 5-6 घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। इस नए हाइब्रिड मॉड्यूल का उद्देश्य शिक्षकों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाना है। विस्तार से पढ़ें पूरी खबर।

    By Neeraj Ambastha Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 17 Jan 2025 06:50 PM (IST)
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    सभी शिक्षक ध्यान दें! अब करनी होगी 50 घंटे की ट्रेनिंग, सीधा ऊपर से आया ऑर्डर

    राज्य ब्यूरो, रांची। सरकारी स्कूलों के सभी कोटि के शिक्षकों के लिए न्यूनतम 50 घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। इसमें ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों प्रशिक्षण सम्मिलित हैं। शिक्षकों को डायट में भी जाकर पांच-छह घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा। मुख्य सचिव अलका तिवारी के निर्देश पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण का नया हाइब्रिड माड्यूल तैयार किया है।

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    राज्य के शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने शुक्रवार को रातू स्थिति राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी) में इसके द्वारा विद्यालय नेतृत्व: विविध भूमिकाएं एवं जिम्मेदारियां विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्धाटन सत्र के दौरान ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इसे शीघ्र ही सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य करने की तैयारी चल रही है।

    50 घंटे की ट्रेनिंग क्यों करनी है?

    शिक्षा सचिव ने स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षकों को जिस तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता है, उस दिशा में अबतक प्रयास नहीं हुआ। उनके अनुसार, प्रशिक्षण के नए मॉड्यूल के तहत 50 घंटे के अनिवार्य प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों का आवश्यकता आधारित मूल्यांकन भी होगा, ताकि पता चल सके कि इसके बाद शिक्षकों का किस तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

    उन्होंने कहा कि कोई शिक्षक अपने विषय में निपुण हैं तो उनमें लीडरशिप की कमी हो सकती है। इसी तरह, जिनमें लीडरशिप की क्षमता है, उनमें विषय की और अधिक जानकारी की आवश्यकता हो सकती है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि समान सुविधाओं वाले दो विद्यालयों के शैक्षणिक परिणाम अलग-अलग रहने का मूल कारण प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों में समन्वय की कमी है।

    इससे पहले जेसीईआरटी के उपनिदेशक प्रदीप चौबे ने कहा कि इस सेमिनार का उद्देश्य विद्यालय नेतृत्व और प्रशासन में बेस्ट प्रैक्टिसेज को साझा करने के लिए शिक्षा नेतृत्व कर्ताओं, नीति निर्माताओं, शोध कर्ताओं एवं अन्य हितधारकों को एक साथ लाना है। उद्घाटन सत्र में सौ से अधिक प्रधानाध्यापक, शिक्षक, शोधार्थी और अधिकारी उपस्थित रहे। इस अवसर पर सेमिनार से जुड़ी स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

    पांच हजार से घटकर लगभग आधे हुए कोर्ट केस

    शिक्षा सचिव ने कहा कि पहले विभाग में कोर्ट केस की भरमार रहती थी। डीईओ और डीएसई भी अपना काम छोड़कर कोर्ट का चक्कर लगाते रहते थे। यही स्थिति निदेशालयों की भी होती है। अवमानना के भी लगातार मामले आते रहते थे। लेकिन विभाग के प्रयास से कोर्ट केस पांच हजार से घटकर लगभग आधे हो गए हैं।

    विद्यालय नेतृत्व का उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास : शशिकला

    राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (न्यूपा), नई दिल्ली की वाइस चांसलर शशिकला बंजारी ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय नीति-2020 को संदर्भित करते हुए कहा कि हमें बच्चों में भारतीय होने का बोध कराना है।विद्यालय नेतृत्व का समग्र उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है।

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