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    Jharkhand Sand Mining: सिया के गठन से बालू कारोबारियों को राहत, आसमान छूती कीमतों पर ऐसे पड़ेगा असर

    Updated: Mon, 15 Apr 2024 04:02 PM (IST)

    झारखंड में सालों से बना हुआ बालू संकट अब जल्द ही दूर होने जा रहा है। कारण की राज्य स्तर पर पर्यावरण प्रभाव के मूल्यांकन के लिए प्राधिकरण का गठन कर दिया गया है। इससे आने वाले समय में बालू खनन से जुड़े कारोबारियों को राहत मिल सकती है। बता दें कि बालू संकट के कारण चोरी-छिपे हो रही बिक्री पर अब लगाम लग सकेगी।

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    Jharkhand Sand Mining: सिया के गठन से बालू कारोबारियों को राहत, आसमान छूती कीमतों पर ऐसे पड़ेगा असर

    जागरण संवाददाता, रांची। राजधानी रांची समेत झारखंड के ज्यादातर जिलों में नदी घाटों से बालू का उठाव नहीं होने के कारण विगत वर्षों से बालू संकट बना हुआ है। चोरी-छुपे ही बालू मिल रहा है। इसकी कीमतें आसमां छू रही है। इस कारण गृह से लेकर अन्य निर्माण कार्य प्रभावित हैं।

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    बालू संकट के बीच आम और खास लोगों के लिए अच्छी खबर आई है। राज्यस्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (सिया) का गठन हो गया है।

    बालू घाटों के संचालन के लिए इंवायरमेंटल क्लीयरेंस जारी हो सकेगा। ऐसे में अब बालू कारोबारियों को राहत मिलने की उम्मीद है।

    राज्य में नवंबर माह से सिया के अस्तिव में नहीं होने के कारण घाटों का टेंडर और बालू का उठाव प्रभावित था। पूरे राज्य में 444 बालू घाट हैं।

    इसमें कुछ जिलों में घाट का टेंडर भी हो चुका है। लेकिन, इंवायरमेंटल क्लीयरेंस नहीं मिलने के कारण टेंडर की पूरी प्रक्रिया नहीं हो सकी थी। रांची जिले के 19 घाटों में से 18 का टेंडर हो चुका है।

    सिया से इंवायरमेंटल क्लीयरेंस के बाद बालू घाट संचालन के लिए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से कसेंट टू एस्टेबलिश (सीटीई) और कंसेंट टू एस्टेबलिश (सीटीई) लिया जाता है।

    राज्यस्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण

    • अध्यक्ष-कमलेश पांडे, भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त)।
    • सदस्य, डा. कीर्ति अविषेक, सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग, बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान
    • सदस्य सचिव, मुख्य वन संरक्षक, सतर्कता, वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग, झारखंड।

    राज्यस्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति

    • अध्यक्ष-अशोक कुमार सिंह, भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त)
    • सदस्य- निरंजन लाल अग्रवाल
    • सदस्य- डा. राजू कुमार
    • सदस्य- अशोक कुमार दुबे।
    • सदस्य-डा. अजय गोविंद भट्ट
    • सदस्य सचिव- मंडल वन अधिकारी

    सिया का गठन हो चुका है। इससे इंवायरमेंट क्लीयरेंस बालू घाट के लिए मिल सकेगा। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से सीटीई और सीटीओ की स्वीकृति ली जाएगी। -शशि रंजन, निदेशक, खान एवं भूतत्व विभाग

    उद्यमियों की समस्याओं का संज्ञान ले प्रदूषण बोर्ड

    पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से कंसेंट टू आपरेट (सीटीओ)/कंसेंट टू इस्टैबलिसमेंट (सीटीई) मिलने में होनेवाली परेशानी पर झारखंड चैंबर आफ कामर्स ने बोर्ड के सदस्य सचिव को पत्राचार कर, संज्ञान लेने का आग्रह किया।

    कहा गया कि बोर्ड का सिंगल विंडो सिस्टम इतना सरल किया जाना चाहिए जिससे कोई भी इच्छुक उद्यमी अपनी सुविधानुसार सीटीओ/सीटीई प्राप्त कर सके।

    चैंबर के सह सचिव अमित शर्मा और शैलेष अग्रवाल ने कहा कि सीटीओ/सीटीई मिलने में होनेवाली कठिनाइयां नियमित रूप से हमारे संज्ञान में आ रही हैं।

    उद्यमियों की सुविधा को देखते हुए ही बोर्ड द्वारा सिस्टम को आनलाइन किया गया था किंतु अभी भी बिना मानवीय हस्तक्षेप के यह काम नहीं हो रहा है।

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