पूर्वी सिंहभूम के जिला पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई तय, अवैध खनन कारोबारियों संग रिश्ते का शक
सडीओ ने इन वाहनों को पकड़ने के बाद जिला खनन पदाधिकारी को इन वाहनों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद जिला खनन पदाधिकारी की ओर से प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब मांगा है।

जमशेदपुर, जासं। पूर्वी सिंहभूम के जिला खनन पदाधिकारी संजय कुमार शर्मा पर अवैध खनन मामले में गाज गिरनी तय है। पूर्वी सिंहभूम की उपायुक्त विजया जाधव ने जिला खनन पदाधिकारी को शोकाज नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे अवैध खनन में संलिप्तता के आरोप पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। आठ जून को जारी नोटिस में उपायुक्त ने कहा है कि अवैध खनन में अब तक जो भी मामले पकड़े गए हैं, उसमें आपके द्वारा एफआइआर नहीं किया जाना यह दर्शाता है कि इसमें आपकी संलिप्तता है। उपायुक्त ने जिला खनन पदाधिकारी संजय कुमार शर्मा पर अधिकारियों का फोन नहीं उठाने को कर्तव्यहीनता और उच्चाधिकारियों की अवहेलना बताया है।
नोटिस जारी कर मांगा जवाब
उपायुक्त ने कहा कि आठ जून को अनुमंडल अधिकारी, धालभूम संदीप कुमार मीणा हाता से जादूगोड़ा तक अवैध खनन को लेकर औचक छापेमारी की थी। एसडीओ ने वहां करीब 10 ट्रक पकड़े थे, जिस पर आयरन व स्टोन चिप्स लदे थे। एसडीओ ने इन वाहनों को पकड़ने के बाद जिला खनन पदाधिकारी को इन वाहनों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद जिला खनन पदाधिकारी की ओर से प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। इसके बजाय जिला खनन पदाधिकारी ने वाहन मालिकों को परमिट, डीलर लाइसेंस और खनन का स्टाक के कागजात जमा करने को कहा। एसडीओ द्वारा बार-बार कहे जाने के बावजूद वाहन मालिकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करने से लगता है कि वाहन मालिकों के साथ अवैध खनन में आपकी संलिप्तता है। अधिकारियों का फोन नहीं उठाने से यह प्रतीत होता है कि आप अपने दायित्वों में कर्तव्यनिष्ठ नहीं हैं। उच्च अधिकारियों के आदेश की अवहेलना भी कर रहे हैं, जो अत्यंत खेदजनक है। उपायुक्त ने 24 घंटे में पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
हजारीबाग में पदस्थापित थे संजय शर्मा
जिला खनन पदाधिकारी संजय कुमार शर्मा करीब पांच माह पूर्व पूर्वी सिंहभूम जिले में इस पद पर आए हैं। इससे पहले ये हजारीबाग, दुमका समेत अन्य जिले में थे। कुछ दिनों तक सरायकेला-खरसावां जिले में माइनिंग इंस्पेक्टर भी रहे हैं। पूजा सिंघल वाले मामले के बाद शर्मा की गतिविधि संदिग्ध हो गई थी। ईडी का समन मिलने के बाद पहले तो इन्होंने पंचायत चुनाव में व्यस्तता की बात कहकर रांची नहीं गए। पंचायत चुनाव में इन्हें मतपत्र कोषांग का नोडल बनाया गया था।
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