Sand Cement Rate: 9 महीने में दोगुनी हो गई बालू की कीमत, सीमेंट के रेट में 30 रुपये का इजाफा
झारखंड में बालू की कीमतें आसमान छू रही हैं। पिछले 9 महीनों में बालू की कीमत दोगुनी हो गई है जबकि सीमेंट के दाम में 30 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इससे घर बनाने वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। रांची में बालू 1200 रुपये टन बिक रहा है जबकि झारखंड में बालू पर रोक हटने पर इसके 900 रुपये टन बिकने की उम्मीद है।

जागरण संवाददाता, रांची। बालू का विवाद झारखंड में सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। मकान, दुकान, अपार्टमेंट बनाने वालों के लिए बालू की बढ़ती कीमत एक बड़ी समस्या बनी हुई है, जो थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य सरकार की ओर से बालू खदानों से उठाव पर पाबंदी के बाद बालू की कीमत छह माह में ही दोगुनी हो गई है। जिसका हर्जाना आम लोगों को भुगताना पड़ रहा है।
रांची बालू एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राजेश रंजन ने बताया कि 9 माह पहले 4200 रुपये बिकने वाला टर्बो अब 9000 से 11000 हजार रुपये बिक रहा है। जिससे लोग को घर बनाने में काफी परेशानी आ रही है। जिन लोगों ने घर बनना शुरू कर दिया था, अब वे बालू की कीमत बढ़ने के कारण अधूरा छोड़ चुके हैं। वे बालू की कीमत कम होने के इंतजार में भी बैठे हुए हैं।
रांची में बालू 1200 रुपये टन बिक रहा है, जबकि अगर झारखंड में बालू पर रोक हट जाती है तो बालू 900 रुपये टन बिकने की उम्मीद है। वहीं, रांची में बिहार के गया जिला के फलगू नदी से बालू पहुंच रहा है। जिससे लोग महंगी बालू खरीद कर घर, मकान बनाने में मजबूर हैं। जबकि गिट्टी काला 7200-7400 रुपये और सफेद गिट्टी 6000 रुपये टब्रो मिल रहा है। ईटा की कीमत स्थिर है, ईटा 2500 पीस की कीमत 18-20 हजार रुपये बिक रहा है।
बड़े पैमाने पर ब्लैक हो रहा बालू
बालू व्यापारियों ने दबी जुबां पर बताया कि शहर में नदियों के अलग-अलग खदान से बड़े पैमाने पर बालू ब्लैक हो रहा है। ट्रैक्टर के माध्यम से बालू का उठाव कई खदानों से हो रहा है। जिसपर रोक लगाने में प्रशासन नाकाम है। प्रशासन की ओर से सिर्फ टर्बो को सड़कों से पकड़ा जा रहा है। टर्बो का पकड़कर प्रशासन खानापूर्ति कर रही है। वहीं बालू की कीमत में इजाफा से मजदूरों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। उन्हें नियमित रोजगार नहीं मिल रहा है।
सीमेंट की कीमत में वृद्धि, छड़ की कीमत हुआ कम
रांची के छड़-सीमेंट व्यापारियों ने बताया कि सीमेंट की कीमत में लगभग 30 रुपये की वृद्धि हुई है, यह घर बनाने वालो के लिए राहत की बात है। जबकि छड़ की कीमत में कमी आई है। दुकानदारों ने बताया कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति को लेकर दिसंबर तक कीमत में ओर भी कमी आ सकती है। सीमेंट की कीमत भी गिर सकता हैं। व्यापारियों ने बताया कि साल के अंत तक मकान-दुकान और अपार्टमेंट बनाने में लोगाें के लिए यह अच्छी खबर है।
क्या कहते हैं लोग?
बालू नहीं होने की वजह से घर का काम छह माह से रूका हुआ है। दो मंजिला मकान के बाद पल्सतर करने के लिए बालू नहीं मिल रहे है। जो बालू मिल रहे है उनकी कीमत काफी अधिक है। बजट में नहीं है।
- कुसुम कुमारी, चुटिया
घर के एलबेस्टर को हटाकर छत ढ़लाई करने की योजना है, लेकिन बालू, सीमेंट, छड़ की कीमत अधिक होने की वजह से काफी परेशानी हो रही है। घर में दुकान और एक शौचालय बनाना है, उसके निर्माण में भी बजट गड़बड़ा रहा है।
- रमेश शर्मा, डोरंडा
क्या कहते हैं एसोसिएशन के लोग?
सरकार को बालू पर रोक हटाकर सर्व सुलभ करना चाहिए। प्राइवेट घर के साथ-साथ कार्मशियल और सरकारी परियोजना पर भी बालू नहीं मिलने से परेशानी हो रही है। महंगा बालू खरीदने से परियोजना का बजट बढ़ रहा है। खनिज पर हर किसी का हक है।
- राजेश रंजन, उपाध्यक्ष, रांची बालू एसोसिएशन
बालू की परेशानी पिछले पांच वर्षो से जारी है। उम्मीद है कि नई सरकार बालू के उठाव से लेकर बिक्री तक की व्यवस्था सुलभ बनाएंगे। ताकि लोग अपने सपनो का मकान बजट में बना सकें। सीमेंट, छड़, गिट्टी, ईटा से लोगों को परेशानी नहीं हो रही है, सबसे बड़ी परेशानी बालू बनकर उभरी है।
- सुपेंद्र नाथ महतो, अध्यक्ष, बुंडू बालू एसोसिएशन
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