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    Jharkhand News: जेल में बंद कैदियों के लिए खुशखबरी, हेमंत सोरेन जल्द दे सकते हैं न्यू ईयर गिफ्ट

    Updated: Thu, 26 Dec 2024 07:01 PM (IST)

    झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य की जेलों में बंद कैदियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी दी है। नए साल में बंदियों को अब एक दिन के बजाय चार दिन मांसाहारी भोजन दिया जाएगा। इस प्रस्ताव को विभागीय मंत्री की सहमति के लिए भेजा गया है। वर्तमान में बंदियों को वर्ष 2012 के डायट चार्ट के अनुसार भोजन दिया जा रहा है।

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    जेल में बंद कैदियों के लिए खुशखबरी, हेमंत सोरेन जल्द दे सकते हैं न्यू ईयर गिफ्ट

    राज्य ब्यूरो, रांची। नए साल में बंदियों को अब एक दिन के बजाये चार दिन मांसाहारी भोजन देने की तैयारी है। इसे लेकर कारा महानिरीक्षक ने एक प्रस्ताव विभागीय मंत्री की सहमति के लिए भेजा है। विभागीय मंत्री मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) हैं। उनकी सहमति के बाद फाइल कैबिनेट में जाएगी जहां से स्वीकृति के बाद इससे संबंधित संकल्प जारी होगा।

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    नए प्रस्ताव में बंदियों को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन दिए जाने का जिक्र है। वर्तमान में वर्ष 2012 के डायट चार्ट के अनुसार बंदियों को भोजन दिया जा रहा है।

    अब 200 ग्राम मुर्गा और दो अंडे मिलेंगे

    इसके तहत मांसाहारी बंदी को सप्ताह में एक दिन 100 ग्राम प्रति बंदी खस्सी का मीट दिया जाता है। राज्य सरकार को भेजे गए नए प्रस्ताव में खस्सी का मीट नहीं दिया जाएगा। इसके बदले में सप्ताह में तीन दिन 200-200 ग्राम मुर्गा व एक दिन दो अंडा प्रति बंदी दिया जाएगा।

    शाकाहारी बंदियों के भी कर दी मौज

    शाकाहारी बंदियों की बात करें तो अब तक शाकाहारी बंदियों को सप्ताह में 500 ग्राम खीर भोजन के साथ देने की व्यवस्था है। अब ऐसे बंदियों को खीर के साथ-साथ सप्ताह में तीन दिन 100-100 ग्राम सोयाबीन बड़ी व एक दिन पनीर की सब्जी भी दी जाएगी।

    जेल में रहने के दौरान मुख्यमंत्री ने महसूस की थी भोजन में बदलाव की जरूरत

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जेल में रहने के दौरान भोजन में बदलाव की जरूरत महसूस की थी। सूचना है कि उन्होंने जेल की खान-पान व्यवस्था को करीब से देखा। कुछ बंदियों से भी उनका फीडबैक लिया। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अधिकारियों से जेल में खानपान में सुधार को लेकर ठोस योजना बनाने संबंधित दिशा-निर्देश दिया था।

    इसका मूल उद्देश्य था कि बंदियों को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिले। मटन की गुणवत्ता पर भी कैदियों ने असंतोष जताया था। इसके बाद ही उनकी थाली से मटन बंद करने व उसके बदले थाली में तीन दिन मुर्गा व एक दिन अंडा देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

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