Jharkhand News: SC आयोग को धरातल पर उतारने की तैयारी में हेमंत सरकार, मंत्री चमरा लिंडा ने दी अहम जानकारी
सदन में अनुसूचित जाति आयोग के गठन पर पूछे गए सवाल के जवाब में मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि एक माह में अनुसूचित जाति आयोग की नियमावली बनेगी जिसके बाद आयोग का गठन किया जाएगा। नियमावली नहीं होने के कारण आयोग के गठन में देरी हुई है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि नियमावली गलत बन जाने का नुकसान योजनाओं पर पड़ता है।
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में अनुसूचित जाति आयोग का शीघ्र गठन किया जाएगा, इसे लेकर नियमावली गठित की जा रही है। साथ ही आयोग के गठन की भी फाइल बढ़ी हुई है। कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने शनिवार को यह जानकारी भाजपा विधायक मंजू कुमारी द्वारा ध्यानाकर्षण के माध्यम से की गई आयोग के गठन की मांग पर दी।
एक माह में बनेगी नियमावली
- मंत्री ने कहा कि नियमावली नहीं होने के कारण आयोग के गठन में देरी हुई है। उन्होंने एक माह में नियमावली बना लेने तथा उसके बाद आयोग के शीघ्र गठन का आश्वासन दिया।
- उन्होंने बताया कि नियमावली पर विधि विभाग की स्वीकृति मिल चुकी है। वित्त और कार्मिक की स्वीकृति मिलने के बाद इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
- मंत्री ने कहा कि नियमावली गलत बन जाने का नुकसान योजनाओं पर पड़ता है। अधिकारी नियम तो बनाते हैं, लेकिन उनमें कई छेद रह जाते हैं। नियम में ऐसी ही त्रुटि होने के कारण पांच करोड़ रुपये वापस हो रहे हैं।
- विभाग के पदाधिकारियों का कहना है कि राशि दूसरे मद में हस्तांतरित नहीं की जा सकती। इसका प्रविधान ही नहीं है। उन्होंने नियम बनाने में विधायकों से सुझाव देने का भी अनुरोध किया।
बगल में मंदिर है इसलिए नहीं दिया जा सकता अंडा
मंत्री ने एक उदाहरण का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने रांची के कमड़े स्थित विद्यालय का निरीक्षण किया था। वहां जब उन्होंने बच्चों से अंडा और मीट मिलने की जानकारी मांगी तो बच्चों ने बताया कि प्राचार्य कहते हैं कि बगल में मंदिर है, इसलिए अंडा और मीट नहीं दिया जा सकता। उन्होंने प्राचार्य के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
सरकारी व्यवस्था में आवेदन करें 86 बस्ती के लोग
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरूवा ने शनिवार को विधानसभा में स्पष्ट रूप से कहा कि जमशेदपुर में टाटा लीज से जुड़ी 86 बस्तियों के लोग सरकार द्वारा तय व्यवस्था के अनुसार जमीन के मालिकाना हक के लिए आवेदन करें। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो वे अतिक्रमणकारी कहलाएंगे, क्योंकि उन्हें मालिकाना हक नहीं मिल पाएगा।
उन्होंने भाजपा विधायक पूर्णिमा साहू के ध्यानाकर्षण के माध्यम से मालिकाना हक देने को लेकर की गई मांग के जवाब में यह जानकारी दी। मंत्री ने बताया कि पहले ये बस्तियां टाटा लीज के अंतर्गत थी, लेकिन 2005 में इन्हें लीज से अलग कर दिया गया।
इनके निवासियों के मालिकाना हक को लेकर उपायुक्त से मिली रिपोर्ट के अनुसार बंदोबस्ती के लिए 198 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें तीन आवेदनों की ही स्वीकृति मिल पाई। शेष आवेदन राज्य सरकार द्वारा निर्धारित शर्तें पूरा नहीं कर रहे थे। इस पर पूर्णिमा ने सवाल उठाया कि विधानसभा चुनाव के दौरान विधायक कल्पना सोरेन ने मालिकाना हक देने का जो वादा किया था, वह गलत था क्या?
मंत्री का सवाल- रघुवर नगरी वैध है या अवैध?
इस बीच मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि उन 86 बस्तियों में रघुवर नगरी भी है। वहां विकास के लिए सरकारी फंड का उपयोग आखिर किसकी सहमति से किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि रघुवर नगरी आखिर वैध है या अवैध?
इस पर ही मंत्री दीपक बिरूवा ने कहा कि सरकारी व्यवस्था के अनुरूप जो आवेदन करेंगे, उन्हें मालिकाना हक मिलेगा। नहीं तो वे अतिक्रमणकारी कहलाएंगे। रामदास सोरेन की टिप्पणी पर पूर्णिमा ने कहा कि उनकी ही सरकार है। सरकार रघुवर नगर की जांच करा ले।
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