Jharkhand News: बिहार की तुलना में झारखंड को केंद्र से मिला कितना फंड? रिपोर्ट जारी करेगी हेमंत सरकार
केंद्र से मिलने वाले अनुदान में भेदभाव पर हेमंत सोरेन सरकार रिपोर्ट जारी करेगी। प्रभारी वित्त मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि इस रिपोर्ट में पड़ोसी राज्यों को कितना अनुदान दिया गया तथा झारखंड को कितनी कम राशि दी गई इस बारे में जानकारी दी जाएगी। केंद्र सरकार तथा लोक उपक्रमों के पास झारखंड का कितना बकाया है इसकी रिपोर्ट भी बजट सत्र में ही रखी जाएगी।
राज्य ब्यूरो, रांची। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी तथा मिलनेवाले अनुदान में झारखंड के साथ हुए भेदभाव को लेकर राज्य सरकार अध्ययन कराकर रिपोर्ट जारी करेगी। विधानसभा में शनिवार को विधायक प्रदीप यादव के अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में प्रभारी वित्त मंत्री सुदिव्य कुमार ने न केवल इसकी घोषणा की, बल्कि बकाया राशि को लेकर केंद्र से एक बार फिर टकराव के संकेत दिए।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी तथा अनुदान के रूप में मिलने वाली बड़ी राशि से झारखंड को वंचित किया गया है। इसमें भेदभाव करते हुए झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। इसे सरकार जनता के सामने लाएगी।
विधायक प्रदीप यादव के सवाल का मंत्री ने दिया जवाब
- प्रदीप यादव का सवाल था कि राज्य सरकार केंद्र से झारखंड और बिहार सहित अन्य राज्यों को मिली राशि का तुलनात्मक अध्ययन कराना चाहती है या नहीं?
- उनका कहना था कि केंद्र से बिहार को झारखंड की तुलना में काफी अधिक राशि मिलती है, जो झारखंड के साथ भेदभाव है।
- जवाब में प्रभारी मंत्री ने स्वीकार किया कि केंद्र से निर्धारित राशि नहीं मिलने पर योजनाएं प्रभावित होती हैं। उन्होंने कहा कि मजबूर होकर राज्य सरकार को न्यायालय के शरण में जाना पड़ा।
- हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार द्वारा रोड़े लगाने पर भी झारखंड के विकास की गाड़ी रुकी नहीं। केंद्रीय करों में उचित हिस्सेदारी और अनुदान मिलता तो झारखंड अग्रणी राज्यों की श्रेणी में आता।
- भारत सरकार के सौतेले व्यवहार के कारण ही झारखंड का उतना विकास नहीं हो सका। इस पर प्रदीप यादव ने कहा कि इसका मानक असेसमेंट आवश्यक है कि वर्ष 2014 से लेकर अबतक झारखंड को कितना नुकसान हुआ।
जारी होगी रिपोर्ट
इस पर मंत्री ने इसका अध्ययन कर रिपोर्ट जारी करने का आश्वासन दिया कि पड़ोसी राज्यों को कितना अनुदान दिया गया तथा झारखंड को कितनी कम राशि दी गई।
इससे पहले राज्य सरकार के जवाब में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 तथा 2024-25 (जनवरी 2025 तक) में केंद्र संपोषित योजनाओं में भारत सरकार से क्रमश: 8,828.89 करोड़ रुपये, 8,980.63 करोड़ रुपये तथा 5,736.27 करोड़ रुपये प्राप्त है।
भारत सरकार से केंद्रीय सहायता की बकाया राशि प्राप्त करने के लिए संबंधित प्रशासी विभागों द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
केंद्र व केंद्रीय उपक्रमों के पास कितना बकाया
सदन में प्रभारी वित्त मंत्री सुदिव्य कुमार ने यह घोषणा भी की कि केंद्र सरकार तथा लोक उपक्रमों के पास झारखंड का कितना बकाया है, राज्य सरकार इसकी गणना कर बजट सत्र में ही सदन के समक्ष रिपोर्ट रखेगी। उन्होंने विधायक कल्पना सोरेन के तारांकित प्रश्न के जवाब में यह आश्वासन दिया।
मंत्री ने कहा कि अब तक केंद्रीय उपक्रमों के पास एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये के बकाया होने की बात हो रही थी, लेकिन यह अब तक बढ़कर काफी अधिक हो गई होगी।
केंद्र और केंद्रीय उपक्रमों के पास वास्तव में कितना बकाया है, इसकी गणना विभिन्न विभागों से कराकर सदन के समक्ष रखा जाएगा। राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता के हक-अधिकार को केंद्र को देना ही होगा।
2009 से अब तक झारखंड को मिला कितना ऋण
कल्पना ने सवाल किया था कि वर्ष 2009 से 2020 तक झारखंड को विभिन्न माध्यमों से कितनी राशि ऋण के रूप में प्राप्त हुई तथा राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार प्रति वर्ष कितनी राशि ऋण के रूप में प्राप्त करना चाहती है?
जवाब में राज्य सरकार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2008-09 से 2013-14 तक 20,825.63 करोड़, वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक 42,956 करोड़ तथा वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान 9,593.12 करोड़ रुपये ऋण प्राप्त हुए। वर्तमान वित्तीय वर्ष में जनवरी माह तक 2,082.78 करोड़ रुपये ऋण प्राप्त हुए।
तीन प्रतिशत मिलना है कर्ज, 2.27 प्रतिशत ही लिया
प्रभारी मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि एफआरबीएम एक्ट के तहत झारखंड को तीन प्रतिशत ऋण मान्य है, लेकिन झारखंड ने 2.27 प्रतिशत ही ऋण लिया। बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण राज्य सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं पर इसका प्रभाव पड़ने नहीं दिया।
इससे पहले कल्पना सोरेन ने कहा कि मुख्यमंत्री मंईयां योजना को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है कि राज्य सरकार के पास सम्मान राशि देने के लिए पैसे नहीं है।
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