'झंडों की ऊंचाई और लंबाई करें तय', सरहुल में बिजली काटने पर HC सख्त, हेमंत सरकार से मांगा जवाब
झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में सरहुल के दौरान दस घंटे तक बिजली कटौती पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदाल ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में सरहुल के दौरान दस घंटे तक बिजली कटौती पर कड़ी नाराजगी जताई है।
अदालत ने रामनवमी और मोहर्रम पर निकलने वाले जुलूस के दौरान बिजली कटौती पर रोक लगा दी है। अदालत ने ऐसे मौके पर जुलूस निकालने के लिए अनुमति दिए जाने के समय झंडों की लंबाई और चौड़ाई को निर्धारित करने को कहा है, ताकि झंडे बिजली की तार के संपर्क में नहीं आए।
अदालत ने सरकार को ऐसी व्यवस्था तत्काल लागू करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले में सरकार और झारखंड बिजली वितरण निगम से जवाब मांगा है। अदालत ने जुलूस के दौरान झंडा को लेकर एक एसओपी बनाने का निर्देश दिया है।
9 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई
मामले में अगली सुनवाई नौ अप्रैल को होगी। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि बिजली आपूर्ति एक आवश्यक सेवा है। गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में बिजली आपूर्ति बंद किए जाने से शहर के लोगों पर ज्यादा असर पड़ता है।
अदालत ने कहा कि बुजुर्ग, बीमार, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों पर ज्यादा असर पड़ता है। बिजली नहीं रहने से व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद हो जाते हैं इससे राजस्व का नुकसान होता है। निजी और सरकारी अस्पताल भी इससे प्रभावित होते हैं।
इस दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि सरहुल जैसे त्योहार में बड़े-बड़े बांस में झंडा लगाकर लोग चलते हैं। बिजली के तारों से संपर्क होने पर दुर्घटना नहीं हो, इसके चलते बिजली काटी जाती है।
वर्ष 2000 में पलामू में ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें 29 लोगों की मौत हो गई थी। इसलिए सरहुल में पांच से दस घंटे बिजली काटी गई। छह अप्रैल को रामनवमी और छह जुलाई को मोहर्रम के दौरान भी बिजली काटने की जरूरत पड़ेगी।
अदालत ने दिया उदाहरण
इसपर अदालत ने कहा कि सड़क पर, ट्रेन से या विमान में यात्रा करते समय दुर्घटनाएं हो सकती हैं। इसके लिए लोगों को सड़क, ट्रेन या विमान का उपयोग करने से नहीं रोका जा सकता। ऐसी दुर्घटनाएं न हों, यह सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय किए जाने चाहिए।
सरकार का प्राधिकार जो त्योहार या अन्य अवसरों पर ऐसे जुलूसों की अनुमति देते हैं। उन्हें ऐसे पोल, झंडों की उचित ऊंचाई- लंबाई तय करनी चाहिए ताकि वे बिजली के तारों के संपर्क में न आएं। इसके लिए एक मानक तय किया जाना चाहिए कि वह निर्धारित ऊंचाई से अधिक लंबे और ऊंचे झंडे ले जाने की अनुमति नहीं दी जाए।
अदालत ने जुलूस में ले जाए जा सकने वाले डंडों, झंडों की ऊंचाई और लंबाई तत्काल तय करने और जुलूसों निकालने वालों को आयोजकों को तुरंत सूचित करने के साथ-साथ इसका पालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया।
झारखंड बिजली वितरण निगम को सरहुल की तरह भविष्य में बिजली नहीं काटने का निर्देश नहीं दिया, जब तक की मौसम अत्यधिक खराब न हो और कोई आपात स्थिति न आ जाए।
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