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    Jharkhand: खराब सड़कों की मरम्मत के मामले में जवाब देने के लिए अंतिम मौका, हाई कोर्ट ने दे दिया साफ निर्देश

    Updated: Wed, 02 Apr 2025 06:25 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने रांची शहर के मोहल्लों की सड़कों की मरम्मत की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने का अंतिम ...और पढ़ें

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में रांची शहर के मोहल्लों के सड़कों की मरम्मत की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई।

    सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार को जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया है। अदालत ने एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

    अदालत ने कहा कि यदि जवाब दाखिल नहीं किया गया, तो पथ निर्माण विभाग के सचिव को अदालत में सशरीर हाजिर होकर बताना होगा कि बार-बार समय लिए जाने के बाद भी जवाब दाखिल क्यों नहीं किया जा रहा।

    सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से समय मांगे जाने पर अदालत ने नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि आखिर किन कारणों से हर बार जवाब दाखिल करने के लिए सरकार बार बार समय ले रही है और जवाब दाखिल नहीं कर रही।

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    शुभम कटारूका ने दाखिल की याचिका

    इस संबंध में शुभम कटारूका ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने अदालत को बताया कि राजधानी रांची की वीआइपी सड़क को छोड़कर मोहल्लों सड़कों की हालत खराब है।

    खासकर बड़ा तालाब के चारों ओर से जाने वाली सड़क में काफी बड़े-बड़े गड्ढे हैं। जिसके कारण एंबुलेंस में मरीज को आने जाने में काफी कठिनाई होती है।

    बूटी मोड़ से कोकर चौक तक जाने वाली सड़क सहित अन्य कई सड़कों की तस्वीर भी प्रार्थी ने कोर्ट को उपलब्ध कराया है।

    तीन बार जवाब दाखिल करने के लिए समय लिया गया

    • याचिका में यह भी कहा गया है कि सड़कों की मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। कुछ दिनों बाद सड़क फिर से खराब हो जाती है।
    • इस मामले में सरकार की ओर से तीन बार जवाब दाखिल करने के लिए समय लिया गया, लेकिन अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया गया है।

    शिक्षक नियुक्ति मामले में हाई कोर्ट ने यूजीसी से मांगा जवाब

    उधर, झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में 11 माह बाद शिक्षक पद से पर हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।

    सुनवाई के बाद अदालत नेमामले में यूजीसी को प्रतिवादी बनाते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने यूजीसी से पूछा है कि तीन साल का बैचलर आफ फिजिकल एजुकेशन किस स्ट्रीम में आता है।

    भारत में आर्टस, साइंस, कामर्स के अलावा भी कोई स्ट्रीम में पढ़ाई होती है क्या। बैचलर आफ फिजिकल एजुकेशन डिग्री यूजीसी से मान्यता प्राप्त है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह के बाद होगी।

    इसको लेकर प्रार्थी अन्ना मेरी की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई अदालत को बताया गया कि प्रार्थियों ने तीन साल के बैचलर आफ फिजिकल एजुकेशन में डिग्री प्राप्त की है।

    फिजिकल एजुकेशन में बीपीएड भी किया है। यह डिग्री साइंस स्ट्रीम में आता है। यह भी कहा गया कि नियुक्ति के 11 माह बाद जेएसएससी को अनुशंसा वापस लेने का अधिकार नहीं है।

    जेएसएससी की ओर से अदालत को बताया गया कि नियुक्ति विज्ञापन के मुताबिक आर्टस, साइंस या कामर्स में स्नातक होना चाहिए।

    प्रार्थियों ने फिजिकल एजुकेशन किया है, जो साइंस, आर्टस या कामर्स स्ट्रीम में नहीं आता है। इस कारण अनुशंसा को वापस लिया गया था। 

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