Jharkhand News: नगर निकाय चुनाव नहीं कराने पर हाई कोर्ट सख्त, मुख्य सचिव को किया तलब
रांची हाई कोर्ट ने राज्य में नगर निकाय चुनाव न कराने पर सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि सरकार कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर कानून के राज का गला घोंट रही है जिससे संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है। मुख्य सचिव को 25 अगस्त को पेश होने का आदेश दिया गया है। अदालत ने चुनाव में देरी को जानबूझकर किया गया प्रयास बताया।

राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में राज्य में नगर निकायों का चुनाव नहीं कराए जाने को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार कोर्ट के आदेश को बाईपास कर राज्य में कानून के राज का गला घोंट रही है।
राज्य में संवैधानिक तंत्र फेल हो गया है और लोकतंत्र को रौंदा जा रहा है। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को 25 अगस्त को अदालत में सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया है, ताकि उनके खिलाफ अवमानना के मामले में आरोप गठन किया जा सके। मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
जानबूझकर हो चुनाव कराने में हो रही देरी
अदालत ने राज्य सरकार की कार्रवाई को लापरवाह और आदेश की अवहेलना करार दिया। कहा कि राज्य सरकार द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद को खाली रखना चुनाव प्रक्रिया में जानबूझकर की गई देरी का प्रयास है।
यह लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। प्रशासकों के माध्यम से स्थानीय निकायों को चलाना संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है। इस संबंध में पूर्व पार्षद रोशनी खलखो की अवमानना याचिका दाखिल की है। अधिवक्ता विनोद सिंह ने कहा कि सरकार का रवैया सही नहीं है।
हाई कोर्ट ने चार जनवरी 2024 में ही तीन सप्ताह में चुनाव कराने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ सरकार खंडपीठ में अपील भी की। खंडपीठ ने सरकार की अपील खारिज कर दी।
अंडरटेकिंग की समय-सीमा समाप्त
इसके बाद सरकार ने खुद ही चार माह में चुनाव कराने की अंडरटेकिंग दी थी। यह समय सीमा भी समाप्त हो चुका है। अदालत ने कहा कि सरकार का यह रवैया उचित नहीं है और वह अदालत के आदेश को गंभीरता से नहीं ले रही है।
अभी नहीं मिली वोटर लिस्ट- राज्य सरकार
सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य चुनाव आयोग की ओर से निकाय चुनाव कराने के लिए अभी तक वोटर लिस्ट नहीं मिली है। वोटर लिस्ट नहीं मिलने के कारण चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं हो रही है।
इस पर राज्य चुनाव आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि 25 मार्च से चुनाव आयुक्त का पद रिक्त है। चुनाव आयुक्त के नहीं रहने के कारण निकाय चुनाव के लिए सरकार को वोटर लिस्ट नहीं दिया जा सका है।
इस पर अदालत ने नाराजगी जताई और कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भी राज्य सरकार को ही करना है तो नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही है? अदालत ने कहा कि राज्य का उदासीन रवैया, कोर्ट के आदेश का पालन न करने के लिए ढाल तैयार करने का एक बहुत ही अनोखा तरीका है।
अगर राज्य इस तरह से काम करती है तो कम से कम ही कहा जाए तो बेहतर होगा। यह अवमानना के अलावा और कुछ नहीं है। यह सब राज्य की कार्यपालिका के कारण हुआ है, जो इसके लिए पूरी तरह से दोषी है। मामले में अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।