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    आलमगीर मामले में हाई कोर्ट की टिप्पणी- भ्रष्टाचार समाज के लिए गंभीर खतरा, सख्ती से निपटा जाना चाहिए

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 01:38 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को जमानत देने से इन्कार कर दिया है। अदालत ने 111 पेज के अपने आदेश में कहा है कि प्रथम दृष्टया अदालत के पास यह मानने का कोई कारण नहीं है कि प्रार्थी अपराध की आय कहे जाने वाले धन प्रबंधन में शामिल नहीं है। पर्याप्त सबूत हैं जो आलमगीर आलम की मनी लांड्रिंग में संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।

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    हाई कोर्ट की टिप्पणी- भ्रष्टाचार से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को जमानत देने से इन्कार करते हुए कई टिप्पणियां की हैं। अदालत ने 111 पेज के अपने आदेश में कहा है कि प्रथम दृष्टया अदालत के पास यह मानने का कोई कारण नहीं है कि प्रार्थी अपराध की आय कहे जाने वाले धन प्रबंधन में शामिल नहीं है।

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    इस मामले में पर्याप्त सबूत हैं जो आलमगीर आलम की मनी लांड्रिंग में संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं। कोर्ट ने ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट और विभिन्न अभियुक्तों व गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि आलमगीर आलम का नाम कई दस्तावेजों और डायरियों में कमीशन के हिस्सेदार के तौर पर दर्ज है।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि आर्थिक अपराधों में जमानत देने के मामले में अलग दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है, क्योंकि भ्रष्टाचार हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा हैं, जिससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। कोर्ट ने आलमगीर आलम की ओर से दिए गए तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि आलमगीर आलम का मामला अन्य आरोपितों से अलग है।

    क्योंकि वह एक सार्वजनिक व्यक्ति और मंत्री के तौर पर शीर्ष पद पर थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि ईडी के पास आरोपितों के बयान और दस्तावेजी सबूत हैं, जो मनी लांड्रिंग के आरोपों को पुख्ता करते हैं। आलमगीर आलम पर ईडी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर आवंटन के बदले कमीशन के रूप में करोड़ों रुपये वसूले हैं।

    ईडी के अनुसार आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव कुमार लाल और उनके सहयोगी जहांगीर आलम ने इंजीनियरों और ठेकेदारों से कमीशन वसूल कर मंत्री को दिया। इस मामले में ईडी ने 37.55 करोड़ रुपये नकद बरामद किए हैं, जिनमें से 32.20 करोड़ रुपये जहांगीर आलम के फ्लैट से जब्त हुए थे।

    आलमगीर आलम ने अपनी जमानत याचिका में दावा किया था कि वह निर्दोष हैं और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है। उनके वकीलों ने तर्क दिया कि ईडी के पास कोई ठोस सबूत नहीं है जो यह साबित करे कि आलमगीर आलम ने कमीशन लिया या उनके खातों में कोई रकम जमा हुई।

    उन्होंने अन्य सह-आरोपित वीरेंद्र राम को मिली जमानत के आधार पर समानता का हवाला भी दिया। लेकिन अदालत ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कही गई बातों से ट्रायल कोर्ट प्रभावित नहीं होगा।

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