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    झारखंड में शराब की सप्लाई बंद, दुकानों में खत्म हो रहा स्टॉक; JSBCL पर 450 करोड़ रुपये बकाया

    झारखंड में शराब की सप्लाई (Jharkhand Liquor Supply) ठप हो गई है क्योंकि शराब कंपनियों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। JSBCL पर 450 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। नए अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक की नियुक्ति तक भुगतान नहीं हो पाएगा। इससे राजस्व संग्रह पर असर पड़ सकता है। खुदरा शराब दुकानों में ऑडिट पूरा हो गया है।

    By Dilip Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 22 Jan 2025 07:33 PM (IST)
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    झारखंड में शराब की सप्लाई बंद, दुकानों में खत्म हो रहा स्टॉक (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में शराब की आपूर्ति बंद है। इसका सबसे बड़ा कारण शराब कंपनियों को भुगतान नहीं होना है। पहले से दुकानों में जो स्टॉक है, वे ही बिक रहा है। शराब की नई आपूर्ति नहीं हो रही है।

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    शराब की आपूर्ति के लिए शराब कंपनियों को भुगतान झारखंड राज्य वेबरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर से होता है।

    ...तब तक शराब कंपनियों को नहीं मिलेगा बकाया

    राज्य में यह पद एक जनवरी से यानी करीब 22 दिनों से रिक्त पड़ा है। 31 दिसंबर को पूर्व अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक अमित प्रकाश की सेवानिवृत्ति के बाद से ही यह पद रिक्त है। जब तक जेएसबीसीएल के नए अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक नहीं आ जाते, तब तक शराब कंपनियों को भुगतान नहीं हो सकेगा।

    450 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया

    एक आंकड़े के अनुसार, जेएसबीसीएल पर शराब कंपनियों का करीब 450 करोड़ से अधिक का बकाया हो गया है। यही वजह है कि उन कंपनियों ने शराब की आपूर्ति रोक दी है।

    राजस्व पर पड़ सकता है असर

    शराब कंपनियों को जल्द भुगतान नहीं हुआ तो शराब की बिक्री प्रभावित होगी और इसका असर राजस्व संग्रहण पर पड़ सकता है।

    एक आंकड़े के अनुसार, राज्य में प्रतिदिन करीब 10 से 12 करोड़ रुपये की शराब बिकती है। अभी पुराने स्टॉक बिक रहे हैं, इसलिए बिक्री में बहुत अंतर नहीं पाया गया है। जल्द भुगतान समस्या का समाधान नहीं हुआ तो बिक्री प्रभावित होगी।

    राज्य की खुदरा शराब दुकानों में ऑडिट कार्य पूरा

    राज्य की खुदरा शराब दुकानों में ऑडिट का कार्य पूरा हो गया है। विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद के निर्देश पर पूरे राज्य में खुदरा शराब दुकानों के स्टॉक का ऑडिट हो रहा था। अब ऑडिट की रिपोर्ट विभागीय मंत्री को भेजी जाएगी, जिसमें ऑडिटर, उत्पाद दारोगा व प्लेसमेंट एजेंसी संचालक का हस्ताक्षर होगा।

    ऑडिट से पता चलेगा शराब दुकानों में स्टॉक का स्टेटस

    इस ऑडिट से यह पता चलेगा कि शराब दुकान में स्टॉक कितना है और प्लेसमेंट एजेंसी ने बिक्री के एवज में कितने रुपये जमा किए, कितने का अंतर आ रहा है और उसकी भरपाई कहां से हो सकेगी।

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