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    पिछले चुनाव में जिन 10 सीटों पर 10 हजार से कम वोट से हुई थी जीत, BJP ने इस बार छह गंंवाई; ये रहा हार का कारण

    Jharkhand Election Result झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में 19 सीटें ऐसी थीं जहां 10000 से कम वोटों से जीत-हार हुई थी। इनमें से 10 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा ने छह सीटें गंवा दीं। कांग्रेस ने दो सीटों पर कब्जा बरकरार रखा। हार का कारण क्या रहा? इसपर हम विस्तार से चर्चा करने जा रहे हैं।

    By Neeraj Ambastha Edited By: Mukul Kumar Updated: Tue, 26 Nov 2024 05:45 PM (IST)
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    झारखंड चुनाव में भाजपा का ऐसा रहा हाल

    नीरज अम्बष्ठ, रांची। वर्ष 2019 के पिछले विधानसभा चुनाव में 19 सीटें ऐसी थीं, जिनमें 10 हजार से कम वोट से जीत-हार हुई थी। इन 19 सीटों में सर्वाधिक 10 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस विधानसभा चुनाव में उक्त 10 सीटों में भाजपा ने छह सीटें गंवा दी। सिर्फ तीन सीटों को ही बचा पाने में यह पार्टी सफल रही।

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    वहीं, एक सीट सहयोगी दल आजसू के खाते में गई। जिन दो सीटों को भाजपा इस बार भी बरकरार रखने में सफल रही, उनमें रांची, बाघमारा और कोडरमा सम्मिलित है। इन सीटों पर जीत का मार्जिन भी इस बार बढ़ा है।

    भाजपा ने कम मार्जिन से जीत वाली जिन छह सीटों को गंवाया है, उनमें नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी की सीटी चंदनक्यारी भी सम्मिलित है। अन्य सीटों में देवघर, गोड्डा, सिंदरी, ताेरपा तथा विश्रामपुर सम्मिलित हैं। एक अन्य सीट हुसैनाबाद भी गंवानेवाली सीटों की सूची में सम्मिलित हो सकती है।

    पिछले चुनाव में इस सीट पर कमलेश कुमार सिंह ने एनसीपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। इस बार कमलेश सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए। इधर, झामुमो ने 10 हजार से कम मार्जिन से जीत वाली सभी सीटों को इस बार भी बरकरार रखा है। इनमें जामा, नाला, घाटशिला, गुमला तथा गांडेय सम्मिलित हैं।

    इनमें से जामा सीट से चुनाव जीतनेवाली सीता सोरेन इस बार झामुमो छोड़ भाजपा के टिकट पर जामताड़ा से चुनाव लड़ी थीं। इसके बाद भी झामुमो यह सीट बचाने में सफल रहा। यहां से भाजपा की बागी लुईस मरांडी ने चुनाव जीता।

    दूसरी तरफ, भाजपा ने यहां सीता सोरेन की जगह सुरेश मुर्मु को प्रत्याशी बनाया था, जो चुनाव हार गए। इधर, कांग्रेस ने पिछला चुनाव 10 हजार से कम मार्जिन से जीत दर्ज की जानेवाली तीन सीटों में दो पर अपना कब्जा बरकरार रखा है, जबकि एक को गंवा दिया।

    पार्टी ने खिजरी तथा सिमडेगा पर अपना कब्जा बरकरार रखा, जबकि जरमुंडी सीट गंवा दी। जरमुंडी से जीत दर्ज करनेवाले बादल हेमंत सरकार में लंबे समय तक मंत्री रहे थे। इसके बाद भी वे चुनाव हार गए। इस सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। जीत वाली दोनों सीटों पर इस बार कांग्रेस की जीत का मार्जिन भी काफी बढ़ा है। \

    हालांकि, जरमुंडी में हार भी इस बार अधिक वोटों से हुई है। पिछले चुनाव में सिमडेगा ऐसी सीट थी, जहां सबसे कम महज 285 सीट से जीत-हार हुई थी। इस बार कांग्रेस ने इस सीट पर 9,228 वोटों से जीत दर्ज की।

    छह सीटों में पांच सीटों पर थे पुराने प्रत्याशी

    इस विधानसभा चुनाव के नतीजे से पता चलता है कि पिछला चुनाव कम मार्जिन से जीत दर्ज की जानेवाली सीटों पर भाजपा की इस बार भी तैयारी कैसी थी। निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उन सीटों पर पार्टी ने उतनी मेहनत नहीं की, जितनी करने की अपेक्षा थी।

    खोनेवाली छह सीटों में भाजपा ने महज एक सीटों पर ही अपना प्रत्याशी बदला था। इससे स्पष्ट होता है कि प्रत्याशी भी पांच वर्षों में कुछ खास नहीं कर सके।

    सिंदरी में भाजपा ने इस बार लंबे समये से बीमार चल रहे निर्वतमान विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी को टिकट दिया था, जिन्हें मासस के चंद्रदेव महतो ने हराया।

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