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    IAS Manish Ranjan के कार्यकाल में हुई थी 2.71 करोड़ की फर्जी निकासी, ED की रिपोर्ट में खुलासा

    Updated: Mon, 21 Apr 2025 04:36 PM (IST)

    ईडी की जांच में आईएएस मनीष रंजन (IAS Manish Ranjan) के कार्यकाल में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 2.71 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में तत्कालीन कैशियर संतोष कुमार ने बताया कि कमीशन की राशि मंत्री सचिव व अभियंताओं में बांटी गई थी। इस मामले में ईडी ने 22.93 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी पकड़ी है।

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    आईएएस मनीष रंजन के कार्यकाल में हुई थी 2.71 करोड़ की फर्जी निकासी (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में 2.71 करोड़ के फर्जी निकासी मामले की जांच के दौरान ईडी ने अब तक 22 करोड़ 93 लाख 42 हजार 947 रुपये की फर्जी निकासी का मामला पकड़ा है। ईडी ने एडजुकेटिंग अथॉरिटी को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में विभाग के तत्कालीन कैशियर सह अपर डिविजनल क्लर्क संतोष कुमार के बयान का जिक्र किया है, जिसमें उसने बताया है कि कमीशन की राशि विभाग के तत्कालीन मंत्री, तत्कालीन सचिव व अभियंताओं में बंटी थी।

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    मनीष रंजन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में अक्टूबर 2022 से जनवरी 2024 तक सचिव थे। इसी अवधि में दाे करोड़ 71 लाख 62 हजार 833 रुपये की फर्जी निकासी मामले में रांची के सदर थाने में 28 दिसंबर 2023 को प्राथमिकी दर्ज हुई थी। फर्जी निकासी का आरोप पेयजल एवं स्वच्छता विभाग स्वर्णरेखा डिविजन रांची के तत्कालीन कैशियर सह अपर डिविजनल क्लर्क संतोष कुमार पर लगा था।

    इसी केस के आधार पर ईडी ने वर्ष 2024 में इंफोर्समेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट (ईसीआइआर) 2024 दर्ज किया था। संतोष कुमार को झारखंड पुलिस ने नौ अप्रैल 2024 को गिरफ्तार किया था। उक्त प्राथमिकी में यह स्पष्ट हुआ था कि संतोष कुमार व अन्य ने मिलकर लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के नाम पर फर्जी भुगतान आइडी बनाकर दो करोड़ 71 लाख 62 हजार 833 रुपये की फर्जी निकासी की थी।

    16, 18 व 23 मार्च 2020 को स्थानांतरित हुए थे 2.71 करोड़ रुपये

    संतोष कुमार ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि उसने 16, 18 व 23 मार्च 2020 को 2.71 करोड़ रुपये स्थानांतरित किया था। संतोष कुमार ने 16 मार्च 2020 को एसबीआइ के खाता नंबर 39187229438 में चार बार में क्रमश: 2496700, 2490200, 2428291 व 804134 रुपये, 18 मार्च 2020 को एसबीआइ के खाता नंबर 30242418496 में दो बार में क्रमश: 2922021 व 2820010 रुपये स्थानांतरित किया। वहीं, केनरा बैंक के खाता नंबर 1969101010933 में 2759554, 3218421, 2986981 रुपये स्थानांतरित किया।

    तत्कालीन कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह के कहने पर संतोष कमार ने किया था फर्जीवाड़ा

    ईडी ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार में संतोष कुमार का बयान लिया था। उसने बताया कि तत्कालीन कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह के आदेश पर उसने यह फर्जीवाड़ा किया था। उसने लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के नाम से फर्जी भुगतान आइडी बनाया था। मार्च 2020 में उसने तत्कालीन कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह के कहने पर दो करोड़ 71 लाख 62 हजार 533 रुपये छह चेक बनाया था।

    इसमें तत्कालीन डिविजनल अकाउंटेंट स्व. सुरेंद्र पाल मिंज व प्रभात कुमार सिंह ने भी हस्ताक्षर किया था। इसके बाद रांची के तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी मनोज कुमार व तत्कालीन हेड क्लर्क शैलेंद्र कुमार को दस प्रतिशत कमीशन पर सेट किया और फर्जी बिल तथा चेक पास करवाया था।

    ये दो करोड़ 71 लाख 62 हजार 533 रुपये उसके अपने व उसकी कंपनी मेसर्स राकड्रिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाते में ट्रांसफर हुए थे।

    ईडी ने अनुसंधान में संतोष कुमार व उसकी कंपनी के खाते में 22.93 करोड़ का स्थानांतरण पकड़ा

    ईडी ने अनुसंधान में यह भी पाया कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग तथा रांची के कोषागार कार्यालय के पदाधिकारियों की मिलीभगत से संतोष कुमार व उसकी कंपनी मेसर्स राकड्रिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के खाते में कुल 22 करोड़ 93 लाख 42 हजार 947 रुपये स्थानांतरित हुए।

    अनुसंधान में यह भी जानकारी मिली कि संतोष कुमार ने तत्कालीन कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह के निर्देश पर दिसंबर 2022 में मेसर्स राकड्रिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाई थी। कुल 22.93 करोड़ रुपये में से 12 करोड़ रुपये की नकदी निकासी हुई थी।

    वहीं, 12 करोड़ दो लाख रुपये 11 लोगों को स्थानांतरित हुए थे। जिन 11 लोगों के खाते में 12 करोड़ 02 लाख रुपये स्थानांतरित हुए थे, उनमें तत्कालीन कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह (1.75 करोड़ रुपये), तत्कालीन कार्यपालक अभियंता राधो श्याम (एक करोड़ रुपये), तत्कालीन कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर (तीन करोड़ रुपये), तत्कालीन अधीक्षण अभियंता निरंजन कुमार (80 लाख रुपये), डिविजनल अकाउंटेंट परमानंद कुमार (एक करोड़ रुपये), डिविजनल अकाउंटेंट स्व. सुरेंद्र पाल मिंज (30 लाख रुपये), कोषागार पदाधिकारी मनोज कुमार (15 लाख रुपये), कोषागार पदाधिकारी सुनील कुमार सिन्हा (85 लाख रुपये), पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कर्मी संजय कुमार सिंह (10 लाख रुपये), पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कर्मी रंजन कुमार सिंह (सात लाख रुपये) व संतोष कुमार स्वयं (तीन करोड़ रुपये) शामिल थे।

    किस खाते में कितना फर्जी स्थानांतरण

    • मेसर्स राकड्रिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के यस बैंक के खाता नंबर 8063300006609 में 16950920 रुपये।
    • मेसर्स राकड्रिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के एक्सिस बैंक के खाता नंबर 923020002451668 में 13444650 रुपये।
    • संतोष कमार के केनरा बैंक के खाता नंबर 1969101010933 में 23541294 रुपये।
    • संतोष कुमार के एसबीआइ खाता नंबर 39187229438 में 33049834 रुपये।
    • संतोष कुमार के एसबीआइ खाता नंबर 41506771906 में 44365077 रुपये।
    • संतोष कुमार के एसबीआइ खाता नंबर 30242418496 में 23654576 रुपये।
    • संतोष कुमार के एसबीआइ खाता नंबर 10160308722 में 1395000 रुपये।
    • संतोष कुमार के एसबीआइ खाता नंबर 35284388703 में 26443120 रुपये।
    • मेसर्स राकड्रिल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के आइसीआइसीआइ बैंक के खाता नंबर 17505011532 में 19013917 रुपये।
    • संतोष कुमार के एसबीआइ खाता नंबर 35175285667 में 8072750 रुपये।
    • संतोष कुमार के बैंक आफ इंडिया के खाता नंबर 490410110012928 में 19411809 रुपये।
    • यानी कुल 229342947 रुपये।

    संतोष कुमार ने म्यूचुअल फंड में किया करीब 6 से सात करोड़ रुपये का निवेश

    ईडी ने अनुसंधान में पाया कि संतोष कुमार ने म्यूचुअल फंड में करीब 6 से सात करोड़ रुपये का निवेश किया। शेष उसके बैंक खाते में रहे। संतोष कुमार ने यह भी स्वीकारा की पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में यह भ्रष्टाचार जारी था। फर्जी बिलिंग के आधार पर भुगतान हुए थे। यहां टेंडर आवंटन के एवज में करीब 10 प्रतिशत का भुगतान हुआ था।

    इसमें कमीशन के रूप में विभागीय मंत्री, सचिव व इंजीनियर को भी शेयर बंटा था। तत्कालीन कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह पेयजल एवं स्वच्छता विभाग रांची में चार जुलाई 2017 से 19 अगस्त 2020 तक रहे। इस अवधि में सरकारी खाते से दो करोड़ 71 लाख 62 हजार 833 रुपये की निकासी हुई थी।

    ये रुपये संतोष कुमार व कुछ कंपनियों के खाते में फर्जीवाड़ा कर स्थानांतरित हुए थे। इसके बाद छह जुलाई 2023 से चंद्रशेखर कार्यपालक अभियंता रहे और इनके कार्यकाल में भी बड़े पैमाने पर सरकारी खाते से निजी लोगों व कंपनियों के खाते में रुपये स्थानांतरित हुए।

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