सावधान! बच्चों के लिए ऑटो-वैन की सवारी पड़ सकती है भारी, फॉलो नहीं हो रहे सुरक्षा के नियम
बुधवार को झारखंड के रामगढ़ जिले से दर्दनाक सड़क हादसे की खबर सामने आई इस हादसे में 3 स्कूली बच्चों की मौत हो गई। वहीं हादसे के बाद प्रदेश में वैन और ऑटो से स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना शुरू हो गए हैं। नियमों की अनदेखी करते हुए ड्राइवर बच्चों को स्कूल लेकर जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, रांची। रामगढ़ जिले में हुई सड़क दुर्घटना के बाद एक बार फिर स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। जिला परिवहन विभाग द्वारा स्कूल बस और ऑटो के लिए सुरक्षा मानक तय कर गाइडलाइन तो जारी कर दी गई, लेकिन इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
स्कूल जाने का समय होते ही शहर की सड़कों और गली मोहल्ले में ऑटो की फटफटिया आवाज गूंजने लगती है। इन ऑटो और वैन पर बच्चों को किसी तरह लादकर स्कूल तक पहुंचाया जाता है।
सुरक्षा के इंतजाम नहीं
जिला परिवहन विभाग की ओर से गाइडलाइन इसलिए जारी की गई थी। जिससे की बस और ऑटो से स्कूल आने-जाने वाले बच्चे सुरक्षित रहें, लेकिन सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है।
खासकर ऑटो और वैन में एक भी सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता है। स्थिति यह है कि आटो और वैन चालक आनन-फानन में बिना सुरक्षा का इंतजाम किए बच्चों को स्कूल लाते और ले जाते हैं।
स्कूल में सुरक्षा की बात करें तो बच्चे जब स्कूल परिसर में होते हैं तो निश्चित रूप से अभिभावक अपने बच्चे की सुरक्षा को लेकर निश्चिंत रहते हैं, लेकिन जब स्कूल से बाहर निकलकर ऑटो या बस में बैठते हैं तो घर तक पहुंचने के दौरान अभिभावक अपने बच्चे को लेकर चिंतित रहते हैं।
फॉलो नहीं किए जा रहे सेफ्टी रूल
स्कूल बसों और आटो में सुरक्षा मानकों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। किसी बस में खिड़की में लोहे का कवर नहीं लगा है तो कहीं ऑटो और वैन संचालक क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाकर स्कूल ले जा रहे हैं।
हालांकि स्कूल बसों की स्थिति फिर भी ठीक दिखी, लेकिन कई ऐसी भी बसें हैं जिसमें सुरक्षा मानकों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। यदि ऐसा होता तो बेशक गत वर्षों लालपुर और पुंदाग में स्कूल बस में आग नहीं लगती।
स्कूल ऑटो की स्थिति तो और खराब है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ विभागीय खानापूर्ति ही की जा रही है। बच्चों को स्कूल ले जाने वाली गाड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था को ले गत दिनों चेकिंग अभियान तो चलाया गया, लेकिन संबंधित स्कूल प्रबंधनों को जांच या कार्रवाई के दायरे में नहीं लाया गया।
दरअसल, स्कूल प्रबंधनों के द्वारा नामांकन के दौरान ही अभिभावकों से लिखवा लिया जाता है कि बच्चे बस से जाएंगे या फिर स्वयं तय की गाड़ी से। ऐसे बच्चों की सुरक्षा की गारंटी स्कूल परिसर तक ही सीमित हो जाती है।
क्षमता से ज्यादा बच्चों को बिठाते हैं
वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को नहीं बैठाना है, लेकिन ऑटो और वैन संचालक क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाते हैं। इन्हें चिन्हित भी किया गया है, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं की गई है।
अभिभावकों का कहना है कि ऑटो रिक्शा चालक या फिर वैन संचालक कम पैसे लेकर घर से बच्चों को ले जाते हैं और समय पर घर पहुंचा भी देते हैं। जबकि स्कूलों में बस किराया के नाम पर अधिक राशि ली जाती है।
नहीं माना गया सरकार का आदेश
झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने रामगढ़ के गोला क्षेत्र में भीषण सड़क दुर्घटना में मारे गए बच्चों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट की है। इस दुर्घटना में तीन बच्चों की मौत काफी दुखद है।
झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय राय ने कहा यह दुर्घटना काफी भयावह है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि 7 से 13 जनवरी तक ठंड के कारण राज्य सरकार ने सभी कोटि के सरकारी गैर सरकारी स्कूलों को कक्षाएं बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन रामगढ़ के गुडविल मिशन स्कूल ने सरकार के आदेश की अवहेलना की।
दुर्घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए और स्कूल के ऊपर भी कार्रवाई होनी चाहिए। यह जानना आवश्यक है कि स्कूल ने सरकार के आदेश की अवहेलना क्यों की और इसके पीछे का कारण क्या है। झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह इस मामले की जांच करे और दोषियों पर कार्रवाई करे।
अजय राय, अध्यक्ष झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन
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