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    Jharkhand News: विधायकों को गिफ्ट देने पर मचा बवाल, जयराम महतो ने बताया गलत; बोले- स्पीकर तक पहुंचाएंगे मामला

    Jharkhand Budget Session 2025 झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान अलग-अलग विभागों के बजट पर चर्चा के दिन विभाग द्वारा माननीय विधायकों को उपहार दिए जाते हैं। अब इसी उपहार को लेकर विवाद उपज गया है। जहां कुछ विधायक इस परंपरा को बंद करने के पक्ष में हैं। वहीं कुछ विधायक इस परंपरा के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि यह बहुत पुरानी परंपरा है।

    By Pradeep singh Edited By: Piyush Pandey Updated: Sun, 09 Mar 2025 08:55 PM (IST)
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    जयराम महतो ने उपहार की परंपरा को बताया गलत। (फोटो एक्स हैंडल)

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड विधानसभा के माननीयों के बीच बजट सत्र के दौरान अलग-अलग विभागों के बजट पर चर्चा होने के दौरान मिलने वाले उपहार विवाद की वजह बन रहा है।

    दरअसल, इसे लेकर अपने-अपने तर्क दिए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बजट सत्र (Jharkhand Budget Session 2025) के दौरान जिस विभाग के बजट अनुदान पर चर्चा होती है, उस विभाग की तरफ से विधायकों को उपहार देने की परंपरा रही है।

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    इस पर विधायकों के अपने तर्क हैं। इसे बंद करने का सुझाव दिया गया है, लेकिन जो इसे जारी रखने के पक्ष में हैं, वह इस संबंध में कई तर्क दे रहे हैं।

    डुमरी से झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेकेएलएम) के विधायक जयराम कुमार महतो इस परंपरा को बंद करने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा है कि विभिन्न विभागों की ओर से गिफ्ट देने की परंपरा गलत है। इसे बंद कर देना चाहिए।

    उपहार में डायरी-कलम तक तो ठीक है। लेकिन विलासिता की महंगी वस्तुएं देने का कोई औचित्य नहीं है। अगर ऐसा होता है तो वे उसे लौटा देंगे। इस संदर्भ में वे विधानसभा अध्यक्ष को भी अवगत कराएंगे।

    बिहार के समय की परंपरा, यह सम्मान का विषय

    राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी विधायकों को उपहार देने को पुरानी परंपरा से जोड़ते हैं। उनके मुताबिक बिहार से ऐसा चला आ रहा है। जो आवश्यकता की जरूरी चीजें होती है, वह उपहार के तौर पर दिया जाना गलत नहीं है। इसे जनता के पैसे के दुरुपयोग के तौर पर नहीं देखना चाहिए।

    ऑफ द रिकॉर्ड कुछ विधायकों का कहना है कि यह पुरानी परंपरा है। इसका आज भी विभाग पालन कर रहे हैं। इस मामले में ज्यादा नहीं कहना चाहिए। अगर यह गलत है कि तो स्पीकर निर्णय ले सकते हैं।

    पहले भी झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उपहार को लेकर आवाज उठती रही है। बताया जाता है कि भाकपा (माले) के दिवंगत विधायक महेन्द्र कुमार सिंह इसका अक्सर विरोध करते थे। उन्होंने कभी उपहार नहीं स्वीकार किए।

    राज्यपाल ने दी तृतीय अनुपूरक बजट की स्वीकृति

    वहीं, दूसरी ओर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पारित तृतीय अनुपूरक बजट से संबंधित झारखंड विनियोग (संख्या एक) विधेयक 2025 पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।

    इसी के साथ विभाग अब राज्य की संचित निधि से तृतीय अनुपूरक बजट में स्वीकृत राशि का उपयोग संबंधित योजनाओं में कर सकेंगे। बताते चलें कि तृतीय अनुपूरक बजट में 5,508 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है।

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