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    प्रेमी जोड़ों के लिए मसीहा है ये शख्स, 'ढुकु प्रथा' से जूझ रहे 500 कपल की करा चुका शादी

    Updated: Mon, 03 Mar 2025 06:47 PM (IST)

    झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के कई जिलों में आज भी लोग ढुकु प्रथा (लिव इन रिलेशन) में साथ रह रहे हैं। उनके बच्चे जवान हो गए हैं लेकिन समाज उनके दांपत्य को मान्यता नहीं देता। समाज से ऐसे तिरस्कृत परिवारों के उद्धार तथा सम्मान दिलाने के लिए नवयुवक संघ तेलगांव (गुमला) ने अभियान चला रखा है। नवयुवक संघ के संयोजक जगन्नाथ उरांव पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त हैं।

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    नवयुवक संघ के संयोजक जगन्नाथ उरांव और उनकी टीम।

    कंचन कुमार, रांची। गुमला, सिमडेगा, खूंटी समेत झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के कई जिलों में रहने वाले सैकड़ों जनजातीय परिवार ढुकु प्रथा (लिव इन रिलेशन) में दशकों से साथ रह रहे हैं। उनके बच्चे जवान हो गए हैं, लेकिन समाज उनके दांपत्य को मान्यता नहीं देता।

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    उनके साथ सार्वजनिक एवं मांगलिक कार्यों में अछूत जैसा व्यवहार होता है। समाज से ऐसे तिरस्कृत परिवारों के उद्धार तथा सम्मान दिलाने के लिए नवयुवक संघ, तेलगांव (गुमला) ने अभियान चला रखा है।

    हर वर्ष 101 जोड़ों के विवाह का लक्ष्य रखते हुए अब तक पांच सौ से अधिक जोड़ों का सामूहिक विवाह धूमधाम से करा चुके हैं। हिंदू तथा सरना रीति से पुरोहित एवं पाहन- बैगा विवाह संपन्न कराते हैं।

    नवयुवक संघ के संयोजक जगन्नाथ उरांव पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त हैं। वह अपनी पंचायत में नवयुवक संघ का गठन कर सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। छह वर्ष पूर्व उन्हें ऐसे ही एक सामूहिक विवाह समारोह में अतिथि के रूप में बुलाया गया था।

    हिंदू तथा सरना रीति से विवाह कराते हैं संपन्न।

    वहां पहुंचे तो ढुकु परिवार की पीड़ा से रूबरू हुए। उनके बच्चों से बात की तो दर्द सुन मन द्रवित हो गया। उन्होंने तय किया कि ऐसे बहिष्कृत परिवारों का उद्धार जरूरी है। वर्ष 2021 से वे ऐसे परिवारों के लिए सामूहिक विवाह का आयोजन कर रहे हैं।

    वृंदा गुमला निवासी दमरी उरांव तथा सरिता उरांव के चार बच्चे हैं। ईंट-भट्ठा में काम करने के दौरान दोनों में प्रेम हुआ। घर वाले नहीं चाहते थे, इसलिए दोनों ढुकू के रूप में रहने लगे।

    इसी तरह, नवडीहा करंज टोली, घाघरा(गुमला) निवासी मनोज उरांव के चार बच्चे हैं। बड़ी लड़की आठवीं कक्षा में पढ़ती है। लेकिन इन परिवारों के दांपत्य को समाज ने मान्यता नहीं दी। वर्षों से वह तिरस्कृत थे। इस बार दो मार्च को उन्हें सामूहिक विवाह में शामिल कर शादी की डोर में बांधा गया।

    क्या है ढुकु प्रथा

    जब कोई युवक- युवती के परिवार वाले शादी करने से इन्कार कर देते हैं तो लड़की अपने परिवार से भागकर लड़के के साथ रहने लगती है। दोनों-पति पत्नी के रूप में एक साथ रहते हैं, लेकिन समाज उनके दांपत्य को मान्यता नहीं देता।

    क्योंकि गरीबी एवं बेबसी के कारण वे अपने समाज के लोगों को शादी के रस्में पूरी करने तथा भोज देने में सक्षम नहीं होते हैं। इस प्रेम विवाह की सजा न केवल वे स्वयं बल्कि उनकी पीढ़ियां तक भुगतने को मजबूर होती हैं। उन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता है। ऐसे परिवार को मांगलिक तथा सार्वजनिक कार्यों में शामिल नहीं किया जाता।

    कोई भी खाली हाथ नहीं आता

    भले ही स्वयं अभाव में रहते हों, लेकिन तेलगांव पंचायत के लोग इस सामूहिक विवाह समारोह में भाग लेना तथा अपना सहयोग देना नहीं भूलते। उन्हें इस बात के लिए गर्व होता है कि उनके यहां झारखंड के विभिन्न जिलों से पहुंचकर वर-वधू शादी के पवित्र बंधन में बंधते हैं।

    सामूहिक विवाह समारोह।

    बरातियों के सत्कार के लिए ग्रामीण महिलाएं जंगल से शाल का पत्ता लाकर पत्तल बनाती हैं। कम से कम 50 पत्तल का सहयोग तो अवश्य दिया जाता है। लेबर- कुली का काम करने वाले लोग थोड़ा चावल, आटा या फिर सब्जी लेकर पहुंचते हैं। कोई खाली हाथ नहीं आता।

    तेलगांव निवासी कुवारी देवी, रीता देवी, चंद्रमणि देवी, मालती टोप्पो, ममता देवी आदि ने स्वयं अपने हाथों से पत्तल तैयार कर सहयोग किया। नवयुवक संघ के संयोजक जगन्नाथ महतो बताते हैं कि कुछ लोग जंगल से लकड़ियां लाकर मंडप सजाते हैं तो कई साफ-सफाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

    इसके अलावा जमशेदपुर के सतीश चाचरा, कोकर (रांची) के आलोक गुप्ता, बड़गाईं के एजाज अंसारी तथा मेटास परिवार वर-वधू के लिए पोशाक, शृंगार प्रसाधन एवं उपहार की व्यवस्था करते हैं।

    शादी के लिए रजिस्ट्रेशन

    जोड़ों का पंजीकरण करते जगन्नाथ महतो।

    शादी के जोड़े राज्य के कोने-कोने से आते हैं। नवयुवक संघ के संयोजक जगन्नाथ महतो बताते हैं कि फोटो-आधार कार्ड लेकर जोड़े का पंजीकरण किया जाता है। पंजीकरण एवं शादी की प्रक्रिया पूर्णतः नि:शुल्क होती है। दो मार्च 2025 को सामूहिक विवाह कराया गया है और 2026 के लिए भी अभी से ही लाइन लगने लगी है।

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