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    4 महीने में ही महिला कर्मचारियों को हुआ दूसरा बच्चा! इस राज्य की CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

    झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण बोर्ड की विभिन्न योजनाओं में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार कई अपात्र लाभुकों को लाभ दिया गया। बोकारो और धनबाद में चार महीने में ही महिला कर्मचारियों को दूसरा बच्चा हुआ और उन्हें दो बार मातृत्व लाभ योजना के तहत 15-15 सौ रुपये मिले। योजनाओं में अनियमित भुगतान से इंकार नहीं किया जा सकता।

    By Neeraj Ambastha Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 27 Feb 2025 09:15 PM (IST)
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    4 महीने में ही महिला कर्मचारियों को हुआ दूसरा बच्चा!

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण बोर्ड द्वारा निबंधित कामगारों के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, संचालित योजनाओं में कई अपात्र लाभुकों को लाभ दिया।

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    लेखा परीक्षा के दौरान बोकारो तथा धनबाद में ऐसे मामले भी सामने आए, जिसमें चार माह में भी महिला कामगारों को दूसरा बच्चा हुआ जिससे उन्हें दो बाद मातृत्व लाभ योजना के तहत 15-15 सौ रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह योजनाओं में अनियमित भुगतान से इंकार नहीं किया जा सकता।

    योजनाओं में चल रहा बड़ा 'खेल'

    रिपोर्ट के अनुसार, धनबाद की एक लाभुक को मई 2021 और मार्च 2022 में दो बच्चों के लिए 30 हजार रुपये के मातृत्व लाभ का भुगतान किया गया। पहले बच्चे के संबंध में आवेदन को शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, धनबाद की सीनियर रेजिडेंट ने प्रमाणित किया था, जिसकी जन्म तिथि 27 सितंबर 2020 थी।

    जबकि दूसरे बच्चे के संबंध में आवेदन को पीएचसी, टुंडी के चिकित्सा पदाधिकारी ने जन्मतिथि का उल्लेख किए बिना ही प्रमाणित किया था। हालांकि, आवेदन में दूसरे बच्चे की जन्मतिथि 30 जनवरी 2021 दर्ज थी। इस प्रकार दोनों बच्चे के जन्म की तिथियों में अंतर महज चार माह का अंतर था।

    बोकारो में भी सामने आया चौंकाने वाला मामला

    इसी तरह बोकारो की भी एक लाभार्थी को दो बच्चों के लिए 30 हजार रुपये का भुगतान किया गया था, जिसमें दो बच्चों के प्रसव की तिथियों में अंतर महज चार माह था।

    बोर्ड द्वारा संचालित एक अन्य योजना सुरक्षा किट वितरण में यह बात सामने आई कि नमूना के रूप में जिन 400 लाभुकों के मामले की जांच की गई थी, उनमें 77 को सुरक्षा किट के लिए सहायता मिली थी।

    हालांकि, इनमें 68 को दो बार यह सहायता प्रदान की गई, जो अनियमितता है। इन 68 लाभुकों में से 59 ने एक ही प्रखंड से और नौ ने विभिन्न प्रखंडों से इसका लाभ उठाया था।

    यह भी गड़बड़ी सामने आई कि कई ऐसे लाभुक थे, जिन्हें 60 वर्ष के बाद इसका लाभ दिया गया। वहीं, 45 वर्ष से अधिक आयु के कामगारों को भी साइकिलें दी गईं, जबकि 18 से 45 वर्ष की आयु के कामगारों को ही इसका लाभ मिलना था।

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