Jharkhand Politics: झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बने हेमंत, शिबू सोरेन को चुना गया संस्थापक संरक्षक
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने हेमंत सोरेन को अध्यक्ष और शिबू सोरेन को संरक्षक चुना है। हेमंत सोरेन ने 2029 में झामुमो की जीत का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से सरकार की गलतियों पर आवाज उठाने और पार्टी को मजबूत करने का आह्वान किया। सोरेन ने आंदोलनकारियों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने और महिलाओं को पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका देने की भी बात कही।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के लिए मंगलवार का दिन ऐतिहासिक था। 38 वर्षों तक पार्टी को नेतृत्व करने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन को रांची के खेलगांव में संपन्न हुए दो दिवसीय महाधिवेशन में सर्वसम्मति से संस्थापक संरक्षक चुना गया, वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अध्यक्ष पद की महती जिम्मेदारी सौंपी गई।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में जमशेदपुर में झामुमो के 10वें महाधिवेशन में हेमंत सोरेन को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था। पार्टी ने इस पद को संविधान संशोधन के जरिए अब विलोपित कर दिया है। दुमका के सांसद नलिन सोरेन ने संस्थापक संरक्षक के लिए शिबू सोरेन का नाम प्रस्तावित किया तो प्रतिनिधि सभा ने इसपर मुहर लगाई।
इसके बाद शिबू सोरेन ने झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष के लिए हेमंत सोरेन के नाम का प्रस्ताव रखा। महाधिवेशन मे मौजूद लगभग चार हजार कार्यकर्ताओं ने हाथ उठाकर इसका अनुमोदन किया तो सभास्थल डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रांगण गुरूजी (शिबू सोरेन) और हेमंत सोरेन जिंदाबाद के नारों से गुंजायमान हो गया।
यह भावुकता से भरा पल था। हेमंत सोरेन ने अपने पहले अध्यक्षीय संबोधन में जिम्मेदारी से लेकर दल की ऐतिहासिक परंपरा और कार्यकर्ताओं को कर्तव्य बोध से अवगत कराया।
उन्होंने जोश का संचार करते हुए कहा - कई तूफान आए, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा अडिग रहा। झारखंड मुक्ति मोर्चा का रास्ता पथरीला, कंटीला है। जिस वजह से कई साथी रास्ते से भटक जाते हैं। अधिक से अधिक लोगों को संगठन से जोड़ें। हम इतना मजबूत हो जाएं कि आने वाले 2029 के चुनाव में परिणाम पहले ही घोषित हो जाए कि झामुमो जीत रहा है।
कार्यकर्ताओं से यह भी कहा कि सरकार में हैं तो आंख नहीं मूंदकर रहें। किसी प्रकार की गलती हो तो आवाज उठाएं। अब तक वे झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भूमिका निभा रहे थे। इसमें गलतियां हो जाने पर वह केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन से सलाह-मशविरा कर सुधार कर लिया करते थे। अब खुद केंद्रीय अध्यक्ष की भूमिका में हैं। गलती किए बगैर सरकार और संगठन का संचालन करना है।
आंदोलनकारी की मृत्यु पर पार्टी देगी एक लाख मुआवजा
हेमत सोरेन ने कहा कि हमारे बुजुर्गों की पीढ़ी ने अलग राज्य के लिए संघर्ष किया है। अलग-अलग कोने में खून-पसीना बहाया है। झामुमो से जुड़े रहे आंदोलनकारी की मृत्यु की सूचना मिलती है तो पार्टी उनके परिवार को एक लाख रुपये की सहायता प्रदान करेगी। कार्यकर्ता इसकी सूचना दें। पार्टी की तरफ से उनके परिवार की मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि झामुमो एक पार्टी नहीं, जन-जन की सोच और विचार है। झारखंड के लोगों ने इस विचार को अपने गले से लगाया है। इन विचारों को राज्य के हर घर में बसाना है। पहले हमने अलग राज्य लिया। इसे अब सजाना और संवारना है। झारखंड के लोग सीधे और सरल हैं। कभी सरकार बनाकर, कभी बिचौलियों और व्यापारियों ने झारखंड के लोगों को छला और उनका हक मारकर दोहन किया है।
पूरे देश में करेंगे झामुमो का विस्तार, पार्टी में महिलाओं को पूरी भागीदारी
हेमंत सोरेन ने कहा कि झामुमो का पूरे देश में विस्तार करेंगे। यह तब होगा, जब एक-एक कार्यकर्ता और उनका पूरा परिवार पूरी ईमानदारी व लगन से पार्टी के प्रति समर्पित होगा। हर वर्ग के विकास के लिए नई ऊर्जा के साथ पार्टी काम करेगी और राज्य का सर्वांगीण विकास करेंगे।
राज्य और देश का विकास तभी हो सकता है, जब पुरुषों के बराबर महिलाओं को भी भागीदारी मिले। झामुमो में पंचायत, प्रखंड, जिला समितियों में महिलाओं को ना सिर्फ प्रमुख बनाया जाएगा बल्कि उनको कंधे से कंधा मिलाकर चलने का हर मौका मिलेगा। महिलाएं भी पंचायत, प्रखंड और जिला अध्यक्ष बन सकेंगी। पु
रुष और महिलाओं में लैंगिक के अलावा कोई अंतर नहीं है। झामुमो में महिलाओं को अधिक से अधिक जोड़ा जाएगा। सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए झामुमो कार्यकर्ताओं को भी पूरी ईमानदारी से जुटना होगा। चुनौती नेताओं से अधिक कार्यकर्ताओं के कुशल नेतृत्व के सामने होगी। योजना गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें। इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी।
आगे ले जाना है झारखंड को, सांप्रदायिकता के खिलाफ हमारी लड़ाई
हेमंत सोरेन ने कार्यकर्ताओं को समझाया कि तेज गति से काम करना है। समय बीतने में देर नहीं लगती। गुरुजी ने 50 वर्षों तक झामुमो को अपने कंधों पर लेकर झारखंड के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ी। अब वह यह नहीं चाहते कि 50 वर्ष राज्य के विकास में लग जाए। पिछड़े राज्य में शामिल झारखंड विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं के मानकों और सूचकांक पर बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। राज्य को विकास के पैमाने पर बहुत आगे लेकर जाना है।
देश में अलग तरह का राजनीतिक माहौल बना हुआ है। राज्य में सद्भाव के उच्च मानक स्थापित करते हुए कौमी एकता का परिचय देना है। सांप्रदायिक तत्वों से निपटना है। पूरी सूझबूझ के साथ आगे की राजनीतिक लड़ाई को लड़ना है। समय के साथ अपनाई जाने वाली रणनीतियों से अवगत कराया जाएगा। हम शहीदों के सपनों का सोना झारखंड बनाएंगे।
गुरुजी दहाड़ते थे तो अच्छे-अच्छों की पैंट हो जाती थी गीली
हेमंत सोरेन ने दिशोम गुरु के योगदान की याद दिलाते हुए कहा कि वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। गरीब-गुरबे, आदिवासी-मूलवासी, दलित, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों ने शिबू सोरेन को गुरुजी बनाया। पूरा देश इनको गुरुजी के रूप में जानता है। झारखंड की जनता ने गुरुजी को प्यार-सम्मान दिया। उन्होंने भी लोगों का कर्ज उतारा।
बचपन, जवानी और बुढ़ापाकिसान, मजदूर, आदिवासी, दलित, गरीब-गुरबे के लिए कुर्बान कर दी। झामुमो को पार्टी नहीं, परिवार की तरह चलाया। मंच से जब गुरुजी दहाड़ते थे तो अच्छे-अच्छों की पैंट गीली हो जाती थी।
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