Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लालू और ममता को असहज कर सकता है हेमंत सोरेन का रुख, बिहार की 12 सीटों पर JMM की नजर

    झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अब बिहार की 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है जिससे लालू यादव और ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हेमंत सोरेन की पार्टी JMM बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के साथ तालमेल करने की इच्छुक है लेकिन सीटों की संख्या पर अंतिम निर्णय होना बाकी है। झामुमो ने दोनों राज्यों में अपना उम्मीदवार उतारने की भी बात कही है।

    By Pradeep singh Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 16 Apr 2025 06:44 PM (IST)
    Hero Image
    लालू प्रसाद यादव, हेमंत सोरेन और ममता बनर्जी। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, रांची। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अब राज्य के बाहर संगठन का विस्तार करने को उत्सुक है। 14-15 अप्रैल को यहां खेलगांव में संपन्न हुए पार्टी के 13वें महाधिवेशन में इस निमित्त राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित किया गया कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर संगठन का विस्तार करेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सबसे पहले पड़ोसी राज्यों में पैठ बढ़ाने की कवायद शुरू की गई है। झामुमो की नजर बिहार और बंगाल विधानसभा के आगामी चुनाव पर है। बिहार में इसी वर्ष चुनाव होना है, जबकि बंगाल में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव निर्धारित है। झामुमो ने दोनों राज्यों में अपना उम्मीदवार उतारने की भी बात कही है।

    असहज हो सकते है लालू-ममता

    बिहार-बंगाल से सटे झारखंड के सीमावर्ती जिलों में संगठन को सक्रिय करने का निर्णय लिया गया है। झामुमो के इस कदम से लालू यादव और ममता बनर्जी असहज हो सकते हैं। बिहार के जमुई, कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, भागलपुल और बांका में संगठन को सक्रिय करने का निर्देश किया गया है।

    12 सीटों पर नजर

    झामुमो कम से कम 12 सीटों पर उम्मीदवार देना चाहता है। पार्टी इस संबंध में राजद समेत अन्य साथी दलों के साथ तालमेल को इच्छुक है। झारखंड में राजद हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में शामिल है।

    ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच तालमेल की गुंजाइश है, लेकिन सीटों की संख्या को लेकर फैसले पर काफी कुछ निर्भर करेगा।

    इसके अलावा, झारखंड से सटे बंगाल के झाड़ग्राम, पुरुलिया, बांकुड़ा, अलीपुरद्वार, पश्चिम वर्धमान और वीरभूम जिलों में संगठन को सक्रिय किया जाएगा। इन क्षेत्रों में झामुमो पहले भी प्रत्याशी देता रहा है।

    हालांकि, बंगाल विधानसभा के पिछले चुनाव में झामुमो ने अंतिम समय में तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने का निर्णय किया था। इन इलाकों में आदिवासी आबादी बहुतायत में है और झामुमो का उसपर गहरा प्रभाव भी है। ऐसे में झामुमो का रुख तृणमूल कांग्रेस के लिए मायने रखता है।

    भाजपा शासित राज्य भी निशाने पर

    झारखंड से सटे भाजपा शासित राज्यों पर भी झामुमो की नजर है। ओडिशा के मयूरभंज, क्योंझर और सुंदरगढ़ जिले में संगठन की सक्रियता बढ़ेगी। इसके अलावा असम में पार्टी नेताओं का दौरा आरंभ होगा। उ

    ल्लेखनीय है कि असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने पिछले वर्ष हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में लगातार कैंप किया था। उन्हें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने चुनाव सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी थी।

    झारखंड मुक्ति मोर्चा ने असम में झारखंडी मूल के आदिवासियों को जनजातीय का दर्जा देने के लिए मुहिम चलाने की भी घोषणा की है।

    ये भी पढ़ें- Jharkhand Politics: झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बने हेमंत, शिबू सोरेन को चुना गया संस्थापक संरक्षक

    ये भी पढ़ें- मंत्री हफीजुल के बयान पर सियासी घमासान, बाबूलाल बोले- बर्खास्त करें सीएम; राहुल गांधी को भी दे दी ये सलाह