Hemant Soren 4.0: बहुत दूर तक सोच रहे हेमंत, 1 तीर से लगाए कई निशाने; कैबिनेट विस्तार की INSIDE STORY
हेमंत सोरेन ने मंत्रिमंडल विस्तार (Jharkhand Cabinet Expansion) में अनुभव क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन का ख्याल रखा है। राधाकृष्ण किशोर जैसे अनुभवी नेता से लेकर शिल्पी नेहा तिर्की जैसी युवा प्रतिभा तक सभी को शामिल किया गया है। आदिवासी ओबीसी अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति-जनजाति सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। संताल परगना और कोल्हान क्षेत्र को विशेष ध्यान दिया गया है।

प्रदीप सिंह, रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंत्रिमंडल का विस्तार (Hemant Soren New Cabinet) कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। मंत्रिमंडल में राधाकृष्ण किशोर सरीखे शानदार अनुभव रखने वाले राजनेता हैं तो युवा के तौर पर शिल्पी नेहा तिर्की भी। क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन को भी उन्होंने ध्यान में रखते हुए जिम्मेदारी तय की है। मंत्रिमंडल में जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी का फॉर्मूला स्पष्ट झलकता है।
सबसे बड़े आदिवासी समुदाय से चार मंत्री इसका प्रमाण हैं। इसके बाद ओबीसी से तीन, अल्पसंख्यक से दो और अनुसूचित जाति एवं सामान्य वर्ग से एक मंत्री बनाया गया है। इसे आईएनडीआईए के जनाधार से भी जोड़कर देखा जा सकता है। जिन वर्गों में गठबंधन की पैठ ज्यादा है, उसी लिहाज से उसका प्रतिनिधित्व निर्धारित किया गया है। कुल मिलाकर फोकस आईएनडीआईए के जनाधार वाले इलाके हैं।
जनजातीय समुदाय का प्रतिनिधित्व ज्यादा होने की एव बड़ी वजह सुरक्षित सीटों पर गठबंधन का शानदार प्रदर्शन है, जिसमें भाजपा बुरी तरह पिछड़ गई। गठबंधन ने 28 में से 27 आदिवासी सुरक्षित सीटों पर कब्जा कर लिया। इसके बाद ओबीसी में गठबंधन की बेहतर सेंधमारी है। मुस्लिमों ने गठबंधन की झोली में जमकर वोट डाले हैं।
संताल और कोल्हान पर अधिक ध्यान
संताल परगना को मंत्रिमंडल में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है। यहां से दीपिका पांडेय सिंह, हफीजुल हसन, इरफान अंसारी और संजय प्रसाद यादव मंत्री बनाए गए हैं। इसे इस तरीके से समझा जा सकता है कि यह क्षेत्र गठबंधन के लिए सर्वाधिक परिणाम देने वाला है। इसके बाद कोल्हान की बारी है। कोल्हान में दावे के बावजूद भाजपा का प्रदर्शन बेहतर नहीं हो पाया। यहां से रामदास सोरेन, दीपक बिरुवा को मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा अन्य इलाकों की भी बेहतर हिस्सेदारी है।
संसदीय जानकारी से लेकर आंदोलन तक का इतिहास
मंत्रियों में शामिल राधाकृष्ण किशोर के संसदीय जीवन का अनुभव 50 वर्षों से अधिक का है। उनकी संसदीय विषयों पर गहरी पकड़ है। दीपक बिरुवा भी काफी अनुभवी हैं और आदिवासी मामलों के जानकार भी। उनकी बेहतर छवि है। चमरा लिंडा पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। छात्र आंदोलन से उनका उभार हुआ है। संजय प्रसाद यादव राजद के पुराने और अनुभवी नेता हैं। रामदास सोरेन की आंदोलनकारी की छवि रही है। वे आदिवासी विषयों पर गहरी पकड़ रखते हैं।
इरफान अंसारी ने लगातार जामताड़ा से चुनाव जीतकर स्वयं को प्रमाणित किया है। इस बार भी उनकी तगड़ी घेराबंदी की गई थी। हफीजुल हसन ने पारिवारिक विरासत को जिम्मेदारी से संभालकर इसका विस्तार किया है। दीपिका पांडेय सिंह पहले भी मंत्री रह चुकी हैं और इनकी कांग्रेस की राजनीतिक पृष्ठभूमि मजबूत है। विषयों को सदन के भीतर और बाहर तार्किक तरीके से रखतीं हैं।
योगेंद्र प्रसाद ने फिर से वापसी की है। वे राज्य पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं। गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं। वे राजनीतिक मसलों पर विधानसभा के भीतर-बाहर बेहतर तरीके से अपनी बातें रखते हैं। शिल्पी नेहा तिर्की सबसे युवा हैं और राजनीतिक मसलों पर स्पष्ट तरीके से अपनी बातें सदन के भीतर-बाहर रखने में सक्षम हैं।
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