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    'नीचे से ऊपर तक के अफसरों के बीच होता था बंटवारा', टेंडर कमीशन घोटाले में ED ने कोर्ट को क्या-क्या बताया

    Updated: Mon, 13 May 2024 05:36 PM (IST)

    Tender Commission Scam टेंडर कमीशन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी जुटाई है। ईडी ने मामले में गिरफ्तार आलमगीर के निजी सचिव और जहांगीर आलम से छह दिनों तक पूछताछ के बाद पीएमएलए कोर्ट में रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन दिया है। उसमें कोर्ट से कई अहम जानकारियां साझा की।

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    टेंडर कमीशन घोटाले में ED ने कोर्ट को क्या-क्या बताया (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। Tender Commission Scam टेंडर कमीशन घोटाला में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने अनुसंधान में कई महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी जुटा ली है। ईडी ने इस मामले में पूर्व में गिरफ्तार मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम से छह दिनों तक पूछताछ के बाद पीएमएलए कोर्ट में रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए जो आवेदन दिया, उसमें कोर्ट से कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की।

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    ईडी ने कोर्ट को बताया कि ग्रामीण विकास विभाग में नीचे से ऊपर तक के कई अधिकारियों का एक गिरोह टेंडर कमीशन घोटाले में शामिल था। उनके बीच टेंडर के कमीशन का बंटवारा होता था। इन छह दिनों की अवधि में कुछ और छापेमारी हुई, जिसमें टेंडर कमीशन घोटाले से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य भी बरामद हुए हैं।

    ईडी को कोर्ट ने पांच दिनों तक पूछताछ की अनुमति दी

    इनके सत्यापन के लिए ईडी ने कोर्ट से संजीव लाल व जहांगीर आलम के लिए और आठ दिनों तक पूछताछ की अनुमति मांगी, लेकिन कोर्ट ने ईडी को और पांच दिनों तक पूछताछ की अनुमति दी। यह रिमांड अवधि 14 मई से 18 मई तक के लिए है, जिसमें संजीव लाल व जहांगीर ईडी की रिमांड पर रहेंगे।

    वहीं, ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के विभागीय मंत्री आलमगीर आलम को भी समन कर 14 मई को पूछताछ के लिए बुलाया है। बताया जा रहा है कि ईडी आलमगीर आलम को संजीव लाल के सामने बैठाकर पूछताछ करेगी।

    ईडी ने जांच में पाया कि निजी सचिव संजीव लाल कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम पर टेंडर कमीशन वसूलते थे, टेंडर मैनेज करते थे। इसके बाद कमीशन के राशि का बंटवारा होता था। छानबीन के क्रम में बहुत से नौकरशाहों व नेताओं के नाम सामने आ चुके हैं, जो इस कमीशन बंटवारे में संलिप्त रहे हैं।

    ईडी ने कोर्ट को क्या-क्या बताया

    एसीबी जमशेदपुर में 13 नवंबर 2019 को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने 17 सितंबर 2020 को ईसीआइआर दर्ज की थी। छानबीन में मिले तथ्यों को ईडी ने दिल्ली पुलिस को शेयर किया था, जिसके आधार पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई में वीरेंद्र कुमार राम, मुकेश मित्तल व अन्य अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी।

    उक्त एफआइआर को भी ईडी ने अपने ईसीआइआर में जोड़ दिया था। अनुसंधान के क्रम में 23 फरवरी 2023 को वीरेंद्र कुमार राम गिरफ्तार किए गए थे। वीरेंद्र कुमार राम जल संसाधन विभाग के इंजीनियर थे, जिन्हें ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता के पद पर प्रतिनियुक्ति पर रखा गया था।

    मामले में अब तक 38 करोड़ रुपये बरामद

    वीरेंद्र कुमार राम टेंडर आवंटन के बदले 1.5 प्रतिशत कमीशन वसूलते थे, जिसे वे अपने सीनियर अधिकारियों व नेताओं में बांटते थे। ईडी ने इसी क्रम में छानबीन के बाद ईडी ने वीरेंद्र राम, उनके भतीजे आलोक रंजन, वीरेंद्र राम के चार्टर्ड अकाउंटेंट मुकेश मित्तल का सहयोगी हरीश यादव, उनके सहयोगी नीरज मित्तल, रामप्रकाश भाटिया व तारा चंद की गिरफ्तारी हुई थी।

    पिछले दिनों इसी केस में मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर की गिरफ्तारी हुई थी, जिनके ठिकाने व सहयोगियों के ठिकाने से कुल 38 करोड़ रुपये की बरामदगी हो चुकी है।

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