बड़े पैमाने पर खनन के बावजूद झारखंडवासियों को नहीं मिल रहा बालू, बिहार से मंगाने को मजबूर; सामने आई बड़ी वजह
झारखंड में सैकड़ों बालू घाट चालू होने के बावजूद यहां के लोगों को बालू महंगा पड़ रहा है। झारखंड में छोटे वाहनों से बालू की ढुलाई की जा रही है जबकि बिहार से बड़े वाहनों से बालू लोड होकर आते हैं। यही कारण है कि बिहार का बालू सस्ता पड़ता है। रांची और आसपास के क्षेत्रों में बालू घाटों से ढुलाई के कार्य में छोटे वाहन लगे हुए हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में बालू की कोई कमी नहीं है, यहां सैकड़ों बालू घाटों से बालू का खनन किया जा रहा है। सैकड़ों बालू घाट चालू होने के बावजूद यहां के लोगों को बालू महंगा पड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण बालू ट्रांसपोर्टर्स हैं।
झारखंड में छोटे वाहनों से बालू का कारोबार चलता है, जबकि बिहार से बड़े वाहनों से बालू लोड होकर आते हैं। यही कारण है कि बिहार का बालू सस्ता पड़ता है। हालांकि, झारखंड में बड़े पैमाने पर बालू खनन के बावजूद बालू लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है।
झारखंड में लगभग 150 बालू घाटों से खनन कार्य जारी है। इन घाटों से अलग-अलग क्षेत्रों में बालू भेजा जा रहा है। रांची और आसपास के क्षेत्रों में बालू घाटों से ढुलाई के कार्य में छोटे वाहन लगे हुए हैं और यही कारण है कि ढुलाई महंगी पड़ रही है।
दूसरी ओर, बिहार से बड़े पैमाने पर बड़े वाहन लगे हुए हैं जो आसानी से 50-60 टन बालू लेकर पहुंचते हैं और इस कारण बालू सस्ता पड़ता है। इधर, झारखंड में बालू घाटों पर छोटे वाहन लगे हुए हैं जो कम बालू लेकर घाटों से निकलते हैं।
इस बीच, ओवरलोडिंग पर भी नियंत्रण कर दिया गया है, जिस कारण से बालू महंगा पड़ रहा है। इस संदर्भ में झारखंड राज्य खनिज विकास निगम के एमडी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई है।
बालू लदे हाईवा को जबरन वन विभाग ने पकड़ा
वहीं, दूसरी ओर तोरपा में बीते शुक्रवार को वन विभाग की टीम ने एक बालू लदे हाईवा को पकड़ कर तोरपा थाना में रखा था। वन विभाग का कहना था कि उक्त हाईवा को ईचा जंगल से पकड़ा गया है।
इधर हाईवा मालिक संजय साहू का कहना है कि एरमेरे बस्ती में बालू का स्टॉक याड है, जहां से एक नंबर सरकारी चालान के साथ रांची ले जाया जा रहा था।
जिसे वन विभाग ने सुबह 9 बजे बड़का टोली के मिलन चौक के पास लगभग दो घंटे तक रोक दिया और चालान दिखाने को कहा गया। चालान दिखाने के बाद कहा कि इस चालान का जांच करने के बाद ही हाईवा को छोड़ा जाएगा।
संजय साहू का कहना है कि उक्त हाईवा में बालू किसी भी तरह से अवैध नहीं है। पूरी तरह से सरकारी प्रक्रिया के तहत ले जाया जा रहा था।
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