Jharkhand: झारखंड में चौतरफा चुनौतियों से घिरे BJP के सहयोगी सुदेश, AJSU की अंदरूनी कलह से गहराया संकट!
Jharkhand Politics झारखंड में भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वक्फ संशोधन बिल पर भाजपा का साथ देने के बाद पार्टी के भीतर विरोध के स्वर तेज। उपाध्यक्ष हसन अंसारी ने खोला मोर्चा कहा- अल्पसंख्यकों के हितों के खिलाफ है यह बिल। पिछले विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही सुदेश महतो की चुनौतियां बढ़ी हुई हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में लगातार राजनीतिक चुनौतियों से घिरे भाजपा की सहयोगी आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है।
वक्फ संशोधन बिल पर भाजपा का नीतिगत साथ देने के बाद आजसू पार्टी के भीतर विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं। आजसू पार्टी के उपाध्यक्ष हसन अंसारी ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करने पर दल के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है।
उनका कहना है कि आजसू पार्टी को इसपर सही स्टैंड रखना चाहिए। यह अल्पसंख्यकों के हितों के विरुद्ध है। अंसारी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।
उनके मुताबिक, ऐसे नीतिगत मामलों में भाजपा का साथ देने का दल के प्रदर्शन पर आने वाले दिनों में बुरा असर पड़ सकता है। इससे आजसू पार्टी से जुडे़े अल्पसंख्यक समाज को लोग दूरी बना सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष संपन्न विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद से सुदेश महतो की राजनीतिक चुनौतियां बढ़ी है।
चुनाव में उनका सीटों को लेकर तालमेल भाजपा के साथ था। आजसू पार्टी के हिस्से सिर्फ एक सीट आई। मांडू सीट पर काफी कम अंतर से आजसू पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की।
सुदेश महतो अपने परंपरागत सिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। रामगढ़ और गोमिया से सीटिंग विधायकों को हार का सामना करना पड़ा। आजसू पार्टी के आधार क्षेत्र में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के जयराम कुमार महतो ने सेंधमारी कर दी।
जयराम भले ही सिर्फ अपने लिए एक सीट निकाल पाए, लेकिन कई सीटों पर उनके दल की वजह से आजसू पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। सुदेश महतो इस परिस्थिति से निपटने के लिए नए सिरे से तैयारियों में जुटे बताए जाते हैं।
खाली करना पड़ा सरकारी बंगला
विधानसभा चुनाव में हार के बाद सुदेश महतो को सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा। पिछले वर्ष दिसंबर में उन्हें भवन निर्माण विभाग ने बंगला खाली करने का निर्देश दिया था।
उनके बंगला में अस्थायी तौर पर मुख्यमंत्री आवास सह आवासीय कार्यालय शिफ्ट करना था। विभागीय मोहलत के बाद उन्होंने बंगला आखिरकार खाली कर दिया।
कांके रोड का बंगला नंबर - पांच उन्हें वर्ष 2009 में आवंटित हुआ था। यह बंगला मुख्य सचिव आवास पूल का है और मुख्यमंत्री आवास एवं आवासीय कार्यालय से एकदम सटा है।
इसके समीप ही विधानसभा अध्यक्ष का भी आवास है। इससे पूर्व दिल्ली में आरंभ किए गए आजसू पार्टी के दफ्तर पर भी ताला लटक चुका है। दल के विस्तार के उद्देश्य से बड़े तामझाम के साथ आजसू पार्टी ने राजधानी दिल्ली में कार्यालय खोला था।
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