'धर्म आधारित रिजर्वेशन संविधान का उल्लंघन, आंबेडकर ने भी...', RSS ने बांग्लादेशी घुसपैठ पर कही ये बात
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने धर्म आधारित आरक्षण को अस्वीकार कर दिया है। संघ का कहना है कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने भी भारत के संविधान में इसे स्वीकार नहीं किया था। संघ ने यह भी कहा कि औरंगजेब हमारे आदर्श कभी नहीं हो सकते। संघ ने अपने शताब्दी वर्ष के दौरान किए जाने वाले कार्यों की भी जानकारी दी।

संजय कुमार, बेंगलुरु/रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बेंगलुरु में आरएसएस की तीन दिवसीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के अंतिम दिन रविवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि धर्म आधारित किसी भी तरह का आरक्षण मान्य नहीं है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने भी भारत के संविधान में इसे स्वीकार नहीं किया था।
जहां तक भारत के लोगों के लिए आदर्श की बात है तो भारत के विरुद्ध चलने वाले हमारे आदर्श कभी नहीं हो सकते हैं। यहां की मिट्टी को अपना मानकर कार्य करने वाले ही हमारे आदर्श हो सकते हैं, चाहे वे किसी भी धर्म, पंथ और संप्रदाय के हों।
औरंगजेब हमारे आदर्श कभी नहीं हो सकते
उन्होंने उन्होंने कहा कि औरंगजेब हमारे आदर्श कभी नहीं हो सकते। गंगा जमुनी संस्कृति की बात करने वालों ने दारा शिकोह को कभी आइकॉन नहीं बनाया।
इस मौके पर उन्होंने संघ की शताब्दी वर्ष के दौरान किए जाने वाले कार्यों के संबंध में जानकारी देते हुए कहा, इस वर्ष विजयादशमी के दिन इसकी शुरुआत होगी। उस दिन पूरे देश में खंड स्तर पर पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवक कार्यक्रम करेंगे।
पत्रकार वार्ता।
फिर नवंबर से लेकर अगले वर्ष जनवरी माह तक प्रत्येक गृह, गांव और बस्तियों में व्यापक संपर्क अभियान चलाया जाएगा। सभी मंडल और बस्तियों में हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। सामाजिक सद्भाव बैठकें होंगी।
इसके बाद जिला मुख्यालय पर गोष्ठी, पंच परिवर्तन को लेकर समाज के बीच जाना और युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम किए जाएंगे। सर संघचालक मोहन भागवत दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु में आयोजित बड़े कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
केंद्र सरकार के कार्यों से संबंधित सवाल पर कहा कि सब ठीक चल रहा है। देश की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विषय पर केंद्र सरकार बेहतर कार्य कर रही है और चुनाव में वोट के माध्यम से देश की जनता भी अपनी भावना व्यक्त कर रही है। जरूरत पड़ने पर सरकार को सुझाव देंगे, परंतु अभी जरुरत नहीं है।
संघ जाति समाप्त करने के लिए कोई रैली या गोष्ठी नहीं करता है
समाज में जाति व्यवस्था समाप्त करने के लिए संघ के प्रयास से संबंधित सवाल पर कहा कि संघ इसके लिए कोई रैली या गोष्ठी नहीं करता है। संघ की एक घंटे की शाखा में आने वाले स्वयंसेवकों में जाति की बात नहीं होती है।
वहां सभी जाति के लोग आते हैं। देश का सैनिक जब बलिदान होता है तो कोई भी व्यक्ति यह नहीं पूछता है कि वह किस जाति का है। देश का कोई खिलाड़ी जीतता है तो जाति देखकर कोई गर्व नहीं करता है। इसलिए समाज में सभी मिलकर रहें। जाति के आधार पर कोई झगड़े नहीं हो।
अवैध बांग्लादेशियों के संबंध में कहा कि उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। इस अवसर पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार और प्रदीप जोशी उपस्थित थे।
संघ के 100 वर्ष होने पर प्रस्ताव पारित
बैठक के तीसरे और अंतिम दिन आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने पर प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिंदू समाज का निर्माण होना जरूरी है।
प्रस्ताव में कहा गया कि 100 वर्ष की इस यात्रा में संघ ने दैनिक शाखा द्वारा अर्जित संस्कारों से समाज का अटूट विश्वास और स्नेह प्राप्त किया। इस कालखंड में संघ के स्वयंसेवकों ने प्रेम और आत्मीयता के बल पर मान-अपमान और राग द्वेष से ऊपर उठकर सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया।
संघ कार्य की शताब्दी के अवसर पर हमारा कर्तव्य है कि पूज्य संत और समाज की सज्जन शक्ति जिनका आशीर्वाद और सहयोग हर परिस्थिति में हमारा संबल बना, जीवन समर्पित करने वाले निस्वार्थ कार्यकर्ता और मौन साधना में रत स्वयंसेवक परिवारों का स्मरण करें।
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