Aman Sahu: शौक के लिए क्राइम की दुनिया में नहीं आया था अमन साहू, एक बार पुलिस को बताई थी असली वजह
Jharkhand News गैंगस्टर अमन साहू की कहानी जिसने बड़ा डॉन बनने की चाहत में अपराध की दुनिया में कदम रखा और झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया। जानिए कैसे उसने हाईटेक युवाओं को अपने गैंग में शामिल किया और कोयला कारोबारियों से रंगदारी वसूलता था। अमन की मौत के बाद कोयलांचल के कारोबारियों ने राहत की सांस ली है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। गैंगस्टर अमन साहू रांची से सटे ठकुरगांव के मतबे का रहनेवाला एक सीधा-साधा लड़का था।
उसने 17 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा और देखते ही देखते झारखंड पुलिस को परेशान करने लगा।
अच्छे नंबरों से इंटर पास किया
जानकारों की मानें तो शुरुआती दिनों में अमन किसी से झगड़ा लड़ाई तक नहीं करता था, लेकिन मैट्रिक तक जाते-जाते उसकी संगत बिगड़ गई। उसी दौरान उसे पहली बार एक केस में जेल जाना पड़ा था।
उसे करीब 10 महीने तक जेल में रहना पड़ा था। उसके बाद अमन ने आगे की पढ़ाई पूरी की। अच्छे नंबरों से इंटर पास किया, फिर डिप्लोमा किया।
इसके बाद उसने मोबाइल की दुकान खोली थी। फिर वह धीरे-धीरे अपराधियों के संपर्क में आता गया और उसकी धाक बढ़ने लगी।
एक दिन ऐसा भी आया जब अमन ने हत्या की वारदात को अंजाम देना शुरू कर दिया था। वह अपने साथ पढ़े-लिखे हाईटेक युवाओं को पैसे का लालच देकर जोड़ता था।
इस बीच, पुलिस ने अमन को पहली बार 2019 में गिरफ्तार किया था। हालांकि, वह पुलिस की गिरफ्त से भाग निकलने में सफल रहा था। फिर किसी तरह तीन साल बाद 2022 में पुलिस की गिरफ्त में आया।
15 सालों तक कोयला कारोबारियों के बीच बनाए रखा खौफ
करीब 15 वर्षों तक अमन गैंग ने राज्य के कोयला कारोबारियों की नाक में दम कर रखा था। उसके गैंग के निशाने पर धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, पलामू, चतरा, लातेहार, रांची, रामगढ़ सहित कई जिलों के कारोबारी और ठेकेदार रहे।
उनसे फोन कर रंगदारी मांगी जाती थी और रंगदारी की रकम नहीं देने पर हत्या तक करने से गैंग पीछे नहीं हटता था। अमन जेल से ही अपना आपराधिक नेटवर्क चलाता था।
वर्ष 2022 में जब वह गिरिडीह जेल में बंद था, उस दौरान उसने जेलर प्रमोद कुमार को मारने के लिए जेल में ही बंद दो अपराधियों को सुपारी दे दी थी। इसके लिए पहले दोनों का बेल कराया।
जेल से बाहर आने के बाद युवकों ने जेलर पर फायरिंग कर दी थी। हालांकि, उस घटना में जेलर बाल-बाल बच गए थे।
पलामू सेंट्रल जेल में किया गया था शिफ्ट
- बाद में अमन को गिरिडीह से पलामू सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन वहां से भी वह अपने नेटवर्क के जरिए आपराधिक गतिविधियां बढ़ाता रहा। उसका नाम अंडरवर्ल्ड डॉन लॉरेंस से भी जुड़ा।
- जानकारों की मानें तो अमन खुद पलामू पुलिस की पूछताछ में बोल चुका था कि वह शौक से अपराध की दुनिया में आया है। वह एक बड़ा डॉन बनना चाहता है।
- उसकी चाहत थी कि देश में सबसे अधिक केस उस पर हों ताकि देश ही नहीं, विदेश में भी लोग उसे जान सकें। अब अमन की मौत के बाद कोयलांचल के कारोबारी राहत की सांस ले रहे हैं।
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