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    Aman Sahu Encounter: पूर्वी बिहार में अमन साहू ने फैला रखा था तगड़ा नेटवर्क, शंकर को बनाया 'राइट हैंड'

    Updated: Tue, 11 Mar 2025 02:48 PM (IST)

    पूर्वी बिहार में कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू का तगड़ा नेटवर्क था। रांची और आसपास के जिलों में गिरोह मजबूत करने के बाद उसने अपने भाई आकाश साहू और शंकर यादव को पूर्वी बिहार में गैंग संचालन की जिम्मेदारी दी थी। रंगदारी और खदानों से वसूली गई लेवी की रकम को निवेश करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं को सौंपी गई थी।

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    पूर्वी बिहार में अमन साहू ने फैला रखा था तगड़ा नेटवर्क, शंकर को बनाया 'राइट हैंड'

    कौशल किशोर मिश्र, भागलपुर। रायपुर से रांची लाने के क्रम में पलामू में मारे गए झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू का पूर्वी बिहार में तगड़ा नेटवर्क था। रांची और उसके आसपास के जिलों में अपना गिरोह मजबूत करने के बाद, उसने अपने भाई आकाश साहू और मधेपुरा के रहने वाले शंकर यादव को पूर्वी बिहार में गैंग संचालन की जिम्मेदारी दी थी।

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    रंगदारी और खदानों से वसूली गई लेवी की रकम को निवेश करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं को सौंपी गई थी। शंकर यादव की सक्रियता भागलपुर, मधेपुरा और पूर्णिया तक फैली थी, जहां उसने करोड़ों रुपये का निवेश कर रखा था।

    एनआईए की जांच में हुए कई खुलासे

    एनआईए की टीम ने अमन साहू और उसके गिरोह के रंगदारी वसूली से जुड़े लेन-देन की तकनीकी निगरानी शुरू की थी। जांच में पता चला कि गैंग द्वारा वसूली गई रकम का एक बड़ा हिस्सा पूर्वी बिहार में संपत्ति खरीदने और अन्य व्यवसायों में लगाया जा रहा था। इसके बाद 8 फरवरी 2024 को एनआइए ने भागलपुर, मधेपुरा और पूर्णिया में छापेमारी की।

    इस दौरान भागलपुर के बरारी हाउसिंग बोर्ड कालोनी में स्थित शंकर यादव के आवास से 1.30 करोड़ रुपये नकद, जेवरात, बेशकीमती जमीनों के दस्तावेज, एग्रीमेंट पेपर, बांड, हार्ड डिस्क, मोबाइल और बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए गए। नकदी इतनी अधिक थी कि अधिकारियों को रुपये गिनने के लिए मशीन और खाली बक्से मंगाने पड़े।

    प्रॉपर्टी में निवेश करता था आकाश

    शंकर यादव के खिलाफ कार्रवाई के दौरान यह भी सामने आया कि वह एक बड़े प्रॉपर्टी डीलर के रूप में काम कर रहा था। उसके पास ट्रैक्टर एजेंसी के अलावा बालू, गिट्टी, सीमेंट और जमीन की खरीद-बिक्री का बड़ा कारोबार था।

    अमन साहू के भाई आकाश साहू का भी अक्सर उसके घर पर आना-जाना रहता था। गैंग द्वारा वसूली गई रकम को शंकर विभिन्न शहरों में प्रॉपर्टी और अन्य धंधों में निवेश करता था।

    एनआईए की जांच में यह भी सामने आया कि 18 दिसंबर 2020 को लातेहार के बालूमाथ स्थित तेतरियाखाड़ कोलियरी में हुई गोलीबारी की साजिश में भी शंकर यादव शामिल था। यह हमला अमन साहू और सुजीत सिन्हा के संयुक्त साजिश का हिस्सा था।

    गैंग के कई सदस्य वसूली गई लेवी की मोटी रकम को भागलपुर लाकर निवेश कर रहे थे, जिसमें शंकर की अहम भूमिका थी। उसने अपने करीबी प्रॉपर्टी डीलरों, कुछ पुलिस अधिकारियों और अपराध जगत के अन्य लोगों को भी इस काम में शामिल कर रखा था।

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