Google पर फर्जी नंबर डालकर 20 लाख से ज्यादा की ठगी, नालंदा से चला रहा था नेटवर्क; गिरफ्तार
रांची में साइबर अपराध थाना की पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पुलिस ने एक साइबर ठग को बिहार के नालंदा से गिरफ्तार किया है। ठगों ने गूगल पर फर्जी नंबर डालकर 20.16 लाख रुपये की साइबर ठगी की घटना को अंजाम दिया। पुलिस के अनुसार साइबर अपराधियों ने गूगल पर अल्ट्राटेक सीमेंट और रूंगटा मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड का फर्जी मोबाइल नंबर डाल दिया था।
राज्य ब्यूरो, रांची। अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) के अधीन संचालित साइबर अपराध थाना की पुलिस ने 20.16 लाख रुपये की ठगी करने वाले आरोपित को बिहार के नालंदा से गिरफ्तार कर लिया है।
गिरफ्तार आरोपित का नाम जीतू कुमार है। वह बिहार के नालंदा जिले के पुराना हरनौत थाना, नया गोखुलपुर के सोसंदी स्थित चौरिया गांव का निवासी है। साइबर थाना में इस मामले में केस दर्ज हुआ था, जिसमें पुलिस ने खुलासा किया है।
पुलिस के अनुसार साइबर अपराधियों ने गूगल पर अल्ट्राटेक सीमेंट और रूंगटा मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड का फर्जी मोबाइल नंबर डाल दिया। पीड़ित ने इन नंबरों पर संपर्क कर सीमेंट और छड़ खरीदने की बात की।
साइबर अपराधी ने खुद को कंपनी का अधिकारी बताकर 2016420 रुपये की ठगी कर ली। तकनीकी और दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने नालंदा, बिहार से एक साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार आरोपित जीतू कुमार।
आरोपित के पास से अपराध से जुड़े सामान मोबाइल, सिम, एटीएम, आधार और पैन बरामद किए गए। साइबर अपराधी गूगल सर्च इंजन कस्टमाइजेशन के जरिए कंपनियों, बैंकों, ई-कॉमर्स और फ्लाइट सर्विसेज के कस्टमर केयर नंबर बदल देते हैं।
लोग जब गूगल पर इन नंबरों को सर्च करते हैं, तो ठग खुद को कंपनी का प्रतिनिधि बताकर ठगी कर लेते हैं।
इस तरह के अपराध से बचने के लिए बरतें सावधानी
साइबर थाना की पुलिस ने सावधानी बरतने का सुझाव दिया है। पुलिस ने बताया कि अज्ञात नंबर से कॉल आने पर निजी जानकारी साझा न करें। गूगल सर्च, गूगल ऐड और सोशल मीडिया पर दिखने वाले कस्टमर केयर नंबर पर भरोसा न करें। हमेशा आधिकारिक वेबसाइट से नंबर लें।
पुलिस ने जागरुक करते हुए बताया कि अज्ञात लिंक या यूआरएल पर क्लिक न करें। साइबर ठगी का शिकार होने पर हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।
पिस्तौल के साथ गिरफ्तार आरोपित बरी
वहीं, दूसरी ओर रांची में लोडेड पिस्तौल के साथ जिस पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार किया था। वही पुलिस अदालत में आरोपित के आरोप को साबित करने नहीं पहुंची। जिसकी वजह से आरोपित राज कुमार साहू को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया।
राज कुमार साहू को पुंदाग ओपी के तत्कालीन प्रभारी विवेक कुमार ने गुप्त सूचना के आधार पर 27 जनवरी 2023 को पुंदाग से गिरफ्तार किया था।
जांच पूरी करते हुए आईओ बुद्धिलाल मुर्मू ने पुंदाग ओपी प्रभारी विवेक कुमार, स्वयं अनुसंधान पदाधिकारी, एएसआई धनंजय कुमार राय, आरक्षी पीटर ओडिया, सुदेश्वर सिंह, रमेंड तिर्की और दो स्वतंत्र गवाह के साथ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें से सिर्फ एक गवाह पहुंचा।
लेकिन, वह भी घटना को साबित नहीं कर सका। अभियोजन पक्ष को केस साबित करने के लिए अदालत ने पर्याप्त समय दिया। दो साल पुराने मामले में विवेक कुमार को छोड़ अन्य कोई गवाह नहीं पहुंचा।
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने किसी स्वतंत्र गवाह से पूछताछ नहीं की है। जब्त की गई सामग्री भी अदालत के समक्ष पेश नहीं की गई है। मामला पूरी तरह से निराधार है।
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