BJP को लीड करेगा OBC नेता? 30 दिन में क्लियर होगी पूरी पिक्चर, झारखंड के सियासी गलियरों में लॉबिंग तेज
लंबे इंतजार के बाद झारखंड विधानसभा को नेता प्रतिपक्ष मिल गया है। बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें झारखंड में बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है। झामुमो-कांग्रेस के नेता भाजपा पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप भी लगाते हैं लेकिन बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा ने आदिवासी भावनाओं को तरजीह देने का प्रयास किया है।
दिव्यांशु, रांची। झारखंड में विधानसभा गठन के करीब दो महीने बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बाबूलाल मरांडी के रूप में नया नेता सदन मिल गया है। इसके साथ ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
बता दें कि पिछली विधानसभा में भी भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को नेता सदन की जिम्मेदारी दी थी। परंतु, उस समय जेवीएम के भाजपा में विलय वाले तकनीकी मुद्दे पर तत्कालीन स्पीकर ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया था।
इसके बाद भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था। अब एक बार फिर से राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार है और अगले पांच साल तक भाजपा को विपक्ष में रहना है। ऐसे में बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष का पद अब खाली है।
आदिवासी समाज को साधने की राजनीतिक कोशिश
झारखंड में विधानसभा के दो सत्र में भाजपा विधायक दल का नेता नहीं रहने से झामुमो गठबंधन के नेता पार्टी पर कटाक्ष कर रहे थे। लेकिन भाजपा ने फिर से बाबूलाल मरांडी को नेता बनाकर सरकार को भी संदेश दिया है कि विपक्ष के तौर पर वह मजबूत लड़ाई लड़ेगी।
बाबूलाल मरांडी संताल जनजाति से आते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इसी जनजाति से आते हैं। चुनाव में भाजपा को आदिवासी मतदाताओं का कम समर्थन मिलता है।
झामुमो-कांग्रेस के नेता भाजपा पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप भी लगाते हैं, लेकिन बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा ने आदिवासी भावनाओं को तरजीह देने का प्रयास किया है।
सदन में भी बाबूलाल मरांडी गंभीरता से अपनी बात रखते हैं। राज्य के पहले मुख्यमंत्री होने के नाते उनकी बड़ी राजनीतिक पहचान भी है। आने वाले दिनों में भाजपा इसका लाभ लेने का प्रयास करेगी।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए अब तेज होगी लॉबिंग
झारखंड के सियासी गलियारों में चर्चाओं और कानाफूसी का दौर तेज हो गया है। चर्चा है कि भाजपा में विधायक दल का नेता चुन लिए जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लॉबिंग होगी। महीने भर में इस पद पर भी नियुक्ति होनी है।
जानकारों का मानना है कि आदिवासी नेता को बड़ा पद देने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए किसी ओबीसी नाम को सामने लाने पर चर्चा और मंथन का दौर चल सकता है। भाजपा ऐसे किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहेगी जिसकी प्रदेश भर में पहुंच हो।
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