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    Jharkhand News: कारोबारी विनय सिंह को ACB लिया रिमांड पर, अब एक सप्ताह तक होगी पूछताछ

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 09:29 PM (IST)

    एसीबी ने निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे के सहयोगी ऑटोमोबाइल कारोबारी विनय सिंह को रिमांड पर लिया है। उन पर चौबे के काले धन के निवेश और मनी लॉन्ड्रिंग म ...और पढ़ें

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    एसीबी ने कसा शिकंजा। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, उनके रिश्तेदारों व सहयोगियों के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच कर रही एसीबी ने ऑटोमोबाइल कारोबारी विनय सिंह को शनिवार को रिमांड पर ले लिया है।

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    विनय सिंह हजारीबाग के लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में बंद थे। एसीबी के अधिकारी हजारीबाग से रिमांड पर लेकर शनिवार की दोपहर रांची पहुंची। उनसे पूछताछ शुरू हो चुकी है। अब अगले एक सप्ताह तक एसीबी उनसे पूछताछ करेगी।

    विनय सिंह निलंबित आईएएस अधिकारी व जमीन घोटाले में गिरफ्तार आरोपित विनय कुमार चौबे के सहयोगी हैं। उनपर निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे के काले धन का निवेश करने, मनी लॉन्ड्रिंग में सहयोग करने का आरोप है।

    एसीबी ने निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे व उनके पारिवारिक सदस्यों के साथ विनय सिंह, उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के माध्यम से करोड़ों रुपयों के लेन-देन आदि से संबंधित ब्यौरा निकाला है।

    कब-कब वित्तीय लेन-देन किया, उसका पूरा ब्यौरा एसीबी के पास है। उसके आधार पर ही एसीबी ने सवालों की सूची तैयार की है, जिसपर विनय सिंह का जवाब लिया जाना है।

    शराब घोटाला में सिंघानिया का कोर्ट में हुआ बयान, कई खुलासे किए

    वहीं, दूसरी ओर एसीबी ने शराब घोटाला में एक गवाह व आरोपी सिद्धार्थ सिंघानिया का बीएनएसएस की धारा 183 के तहत कोर्ट में दर्ज कराया है।

    सिंघानिया ने अपने बयान में बताया है कि किस तरह छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट मॉडल को झारखंड में लागू किया गया। इस घोटाले में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे की भूमिका अहम थी। इस साजिश में छत्तीसगढ़ के अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी भी विनय कुमार चौबे के सहयोगी थे।

    चौबे ने अरुण पति त्रिपाठी को कंसल्टेंट बनाया। चौबे ने अपने चहेतों को मैन पॉवर सप्लाई के लिए ठेका दिलवाया। उसने यह भी बताया है कि प्रति पेटी 300 से 600 तक का अवैध कमीशन वसूला जाता था।

    उसने यह भी बताया है कि छत्तीसगढ़ मॉडल को सुचारू रूप से लागू करने के एवज में 40 से 50 करोड़ रुपये रिश्वत के तौर पर विनय कुमार चौबे तक पहुंचाई गया। यह पैसा अनवर ढेबर, विधु गुप्ता और अरुण पति त्रिपाठी के माध्यम से दिया गया था।

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