Aman Sahu Encounter: विधायक बनना चाहता था अमन साहू, सीट भी कर ली थी फाइनल; फिर क्यों नहीं लड़ा चुनाव?
कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू (Aman Sahu) राजनीति में भी अपना भाग्य आजमाना चाहता था। वह बड़कागांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था। लेकिन हाई कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। अमन साहू के खिलाफ 100 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह सोशल मीडिया पर खुद को बड़कागांव का भावी विधायक और समाजसेवी बताता था।

मनोज कुमार सिंह, रामगढ़। जय श्रीराम के नारे के साथ कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू (Gangster Aman Sahu) राजनीति में भी भाग्य आजमाने के चक्कर में था। इसके लिए अमन ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर, वॉट्सऐप सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हर पर्व त्योहार पर बधाई संदेश व शुभकामनाएं भी देना शुरू कर दिया था।
वह बड़कागांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का इच्छुक था। 2024 में जेल से रहते हुए वह चुनाव लड़ना चाहता था, लेकिन हाई कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी थी। झारखंड हाई कोर्ट की एकल पीठ ने अमन साव की सजा से संबंधित हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया था।
अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने कहा कि अमन के खिलाफ 100 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट ने अमन साव की सजा पर रोक की हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया। अपने इंटरनेट मीडिया पोस्ट के जरिए वह स्वयं को बड़कागांव का भावी विधायक और समाजसेवी भी बताता था।
जय श्रीराम के नारे के साथ अमन कई बार इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म से बधाई भी देता था और धमकी भी। यहां तक कि अपने गुर्गों से दी गई धमकी, मांगी गई रंगदारी या फिर की गई बड़ी हत्याओं की जिम्मेवारी भी इंटरनेट मीडिया पर लेने के साथ उसका पूरा बखान करता था।
कुछ अलग मन मिजाज का कुख्यात अमन ट्रांसपोर्टरों के साथ-साथ कोयला कारोबारी, गिट्टी क्रशर एवं ठेकेदारों को भी टारगेट करता था। अमन का पूरा काम मयंक सिंह के माध्यम से होता था। धमकी देना, रंगदारी मांगना, हत्या करना या इंटरनेट मीडिया पर प्रचार प्रसार करने के अलावा गोली, बम, हथियारों की नुमाइश भी ज्यादातर मयंक के माध्यम से ही किया जाता था।
17 वर्ष की उम्र में पहली बार सुधार गृह भेजा गया था अमन
झारखंड में आतंक का पर्याय कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू का बचपन पतरातू थर्मल के जनता नगर में बीता था। पिता बिरसा मार्केट में किराना दुकान चलाते थे। वहीं पूरा परिवार जनता नगर के एपीओ कॉलोनी में रहता था। पहली बार 17 वर्ष की उम्र में वर्ष 2012 में पतरातू औद्योगिक क्षेत्र स्थित बर्नपुर सीमेंट फैक्ट्री में गोली चलाने के आरोप में अमन साहू को बाल सुधार गृह भेजा गया था।
सुधार गृह से आने के बाद वर्ष 2014 में अमन साहू पर घर से बरसा मार्केट जाने के दौरान अपराधियों द्वारा गोली चलाई गई थी। इसमें वह बाल बाल बच गया था। इसके बाद लगातार अमन के अपराध का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ता गया।
अपने गिरोह को आगे बढ़ाने में अमन साहू ने इंटरनेट मीडिया का भरपूर उपयोग कर युवाओं को अपने साथ जोडता चला गया। बीते चार-पांच वर्ष पूर्व ही अमन साहू का पूरा परिवार पतरातू छोड़कर रांची जिला के बुढ़मू अपने पैतृक गांव में शिफ्ट कर गया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।