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चाइनीज सामानों पर प्रतिबंध लगा तो तेज हो गई चाक की रफ्तार

रंजन गुप्ता महेशपुर (पाकुड़) चाइनीज सामान पर प्रतिबंध लगते ही इस बार कुंभकारों के चा

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 05:15 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 05:15 PM (IST)
चाइनीज सामानों पर प्रतिबंध लगा तो तेज हो गई चाक की रफ्तार

रंजन गुप्ता, महेशपुर (पाकुड़) : चाइनीज सामान पर प्रतिबंध लगते ही इस बार कुंभकारों के चाक की रफ्तार तेज हो गई है। मिट्टी का बर्तन बनाने वाले दिन-रात काम में जुटे हैं। कुंभकारों को उम्मीद है कि अब उनका पुश्तैनी कारोबार फिर से वापस लौट आएगा। इस दीपावली घर-आंगन मिट्टी के दीये से रोशन होंगे। बाजार में भी मिट्टी के दीये बिकने लगा है। दीपों की खरीदारी शुरू हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में आधुनिकता भरी जीवनशैली के दौर में चाइनीज सामान ने इस कला को पीछे धकेल दिया था। पिछले वर्ष से ही लोगों के सोच में खासा बदलाव आया और एक बार फिर गांव की लुप्त होती मिट्टी कला पटरी पर लौट आयी है। कुंभकार द्वारा निर्मित मिट्टी के दीये की मांग बढ़ी तो कुंभकारों के चेहरे खिल गए। दीया निर्माण करने वाले काठसल्ला गांव के सुष्मिता पाल, पूर्णिमा पाल और भवानी पाल का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से चाइनीज झालरों व मोमबत्तियों की चकाचौंध ने दीपक के प्रकाश को गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया था। परंतु पिछले वर्ष चाइनीज सामान का बहिष्कार होने के बाद अपना धंधा फिर से चमकने लगा। अभी से दीपों की काफी मांग होने लगी है।

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बंगाल में बढ़ी मांग : सुष्मिता पाल, पूर्णिमा पाल ने बताया कि बंगाल के नलहट्टी के कुछ व्यापारी उन लोगों को दीया के लिए आर्डर दिया है। स्थानीय व बंगाल के लोगों द्वारा अभी से ही दीया लेने के लिए एडवांस रुपये दिया गया है। इस बार दीया का डिमांड को देखते हुए दस हजार दीया का निर्माण किया जाएगा। बस सरकार कुछ आर्थिक सहयोग के साथ तकनीकी तौर पर बिजली से चलने वाली चाक उपलब्ध करा दे।

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चाइनीज सामान पर प्रतिबंध लगने के बाद कुंभकारों का कारोबार में सुधार हुआ है। चारों ओर मिट्टी के दीये बनाए जा रहे हैं। सरकार बिजली से चलने वाली चाक उपलब्ध करा रही है। इसका लाभ लेना चाहिए।

- रितेश जायसवाल, सीओ, महेशपुर, पाकुड़


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