संवाद सूत्र, महेशपुर (पाकुड़)। पुलिस सख्त हुई तो मवेशी तस्करों ने तरीका बदल लिया। अब कई युवा पैसे के लालच में इस अवैध कारोबार से जुड़ गए हैं। वे हिरणपुर व गोड्डा की बंका साप्ताहिक हाट से मवेशियों को खरीदकर उसे बंगाल की सीमा तक पैदल ही हांक कर पहुंचाते हैं। बंगाल से पशुओं को विभिन्न माध्यमों से बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। गोवंशी को पश्चिम बंगाल की सीमा तक पहुंचाने के एवज में तस्कर उन्हें मोटी रकम देते हैं।

साप्‍ताहिक हाट से पशुओं की खरीददारी करते हैं तस्‍कर

दरअसल, साप्ताहिक हाट से पशुओं को खरीदने के दौरान तस्करों पर कोई शक नहीं करता। यहां उन्हें काफी कम दाम चुकाना पड़ता है। फिर हिरणपुर-डांगापाड़ा व शहरग्राम के रास्ते नीरबांध, अभुवा, कंगलापहाड़ी, मुर्गाडंगा समेत अन्य रास्तों से मवेशियों को बंगाल के मुरारई, राजग्राम, नलहटी आदि स्थानों तक पहुंचाया जाता है। इस खेल में महेशपुर के तस्करों के अलावा बरमसिया, हिरणपुर थाना क्षेत्र के रानीपुर निवासी कुछ छुटभैया नेता भी हैं। इसका पर्दाफाश 22 सितंबर को हुआ था।

तस्‍करी में शामिल कई बड़े-बड़े नाम

महेशपुर थाना प्रभारी सुनील कुमार रवि ने 13 मवेशियों को पीरपहाड़ के समीप से जब्त किया। उसी समय पुलिस को पता चला कि तस्करी के खेल में राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता भी हैं। पुलिस ने दो धंधेबाजों को गिरफ्तार किया था। दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने वाहन मालिक, चालक एवं रानीपुर निवासी सरगना अलाउद्दीन शेख पर प्राथमिकी की थी। अलाउद्दीन शेख इस इलाके मवेशियों का सबसे बड़ा व्यापारी है। उसकी बंगाल और बांग्लादेश के तस्करों से जान-पहचान है।

तस्‍करों ने पुलिस की नाक में किया दम

पश्चिम बंगाल के हियातनगर, धितोड़ा, चांदपुर, धूलियान, उमरपुर आदि जगहों पर उसकी सेटिंग है। 22 दिसंबर की रात उपायुक्त वरुण रंजन ने शहरग्राम से 18 मवेशियों को जब्त किया था। दो तस्कर भी पकड़े गए थे। हालांकि, प्रशासन की सख्ती के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लग रहा है। इसे पुलिस की लापरवाही कही जाए या कुछ और। थाना प्रभारी सुनील कुमार रवि ने कहा कि पशु तस्करी पर हर हाल में अंकुश लगाया जाएगा। पुलिस बीच-बीच में कार्रवाई कर रही है।

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Edited By: Arijita Sen