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    Jharkhand Crime: मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग से किया था घिनौना काम, अब 25 साल तक खानी पड़ेगी जेल की हवा

    By Anup Kumar Sinha Edited By: Shashank Shekhar
    Updated: Sun, 24 Dec 2023 05:18 PM (IST)

    कोडरमा में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दुष्कर्म के मामले में आरोपित को 25 साल की सजा सुनाई है। साथ ही 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है। दरअसल आरोपित ने मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग से दुष्कर्म किया था। वहीं अदालत ने ये भी कहा कि जुर्माना नहीं देने पर 2 साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

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    Jharkhand Crime: मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग से किया था घिनौना काम

    जागरण संवाददाता, कोडरमा। मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी को 25 साल की सजा कोडरमा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम गुलाम हैदर की कोर्ट ने सुनाई। इस दौरान 25 हजार जुर्माना भी लगाया गया। अदालत ने कहा कि जुर्माना राशि नहीं देने पर 2 साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

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    कोडरमा- तिलैया थाना कांड संख्या 21/ 2020, 08 पोक्सो/2020 की सुनवाई करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम सह स्पेशल पोक्सो अदालत के न्यायाधीश गुलाम हैदर की अदालत ने आरोपी 50 वर्षीय बबलू कर्मकार, पिता आनंद कर्मकार रांची, वर्तमान पता तिलैया रेलवे कालोनी निवासी को मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग को अपने क्वार्टर में जबरन घुसा दुष्कर्म के मामले में दोषी पाकर सजा सुनाई।

    वहीं, न्यायालय ने 376( 2) भादवि के तहत दोषी पाते हुए 15 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही दस हजार जुर्माना भी लगाया। जुर्माना की राशि नहीं देने पर 1 साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी।

    क्या है पूरा मामला

    घटना के संबंध में नाबालिग के मां ने 2020 में तिलैया थाने में आवेदन देकर मामला दर्ज कराया था। आवेदन के अनुसार, उसकी बेटी मानसिक रूप से विकलांग है। सुबह क्वार्टर से बाहर निकाल बच्चों संग खेलने लगी।

    इस दौरान बब्लू कर्मकार मेरी बेटी को जबरन अपने क्वार्टर में घुसा लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। मैं, मेरा बेटा और मेरी दूसरी बेटी उसे काफी खोजबीन कर जब लौट रही थी तो बगल के क्वार्टर की दो महिलाओं ने मुझे बताई कि आपकी बेटी बब्लू कर्मकार के क्वार्टर में है।

    उसका आवाज सुनाई दे रही है। इस पर मैंने दरवाजा खटखटाया, लेकिन वह नहीं खोला तो अपने बेटा को पीछे के दरवाजे में धक्का मार कर खोलने के लिए कहा। जब मेरा बेटा दरवाजा खुलवाया तो पाया कि उसकी बेटी को टायलेट में घुसा कर रखे था। पूछने पर इशारों में बताया कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया है।

    मामले में 8 गवाहों का परीक्षण कराया गया

    मामले में अभियोजन का संचालक लोक अभियोजक पीपी पीके मंडल ने किया। इस दौरान सभी 8 गवाहों का परीक्षण कराया गया। लोक अभियोजक पीपी पीके मंडल ने कार्रवाई के दौरान न्यायालय से अभियुक्तों को अधिक से अधिक सजा देने का आग्रह किया।

    वहीं, बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता मंटू सिंह एवं डॉ. दिनेश कुमार सिंह ने दलीलें पेश करते हुए बचाव किया। अदालत ने सभी गवाहों और साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद अभियुक्त को दोषी पाते हुए सजा मुकर्रर की और जुर्माना लगाया।

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