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    Cyber Crime: साइबर ठगी का मायाजाल, जामताड़ा के लुटेरों ने 20 से अधिक देशों में खोज लिया ठिकाना

    Updated: Thu, 12 Dec 2024 02:02 PM (IST)

    जामताड़ा में सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर शुरू हुई ठगी अब डार्क वेब के जरिए क्रिप्टो करेंसी की खरीद-बिक्री तक फैल चुकी है। ठगों ने भारत के बाद अब ऑस्ट्रेलिया कनाडा अफ्रीका के नाइजीरिया व घाना समेत अन्य देशों में अपना नया ठिकाना बना लिया है। यहां वे डार्क वेब के जरिए क्रिप्टो करेंसी में पैसा लगाकर करोड़ों कमा रहे हैं।

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    20 से ज्यादा देशों तक पहुंचे साइबर ठग

    कौशल सिंह, जामताड़ा। झारखंड के जामताड़ा में पहले बैंक अधिकारी बनकर, फिर आधार-पैन अपडेट करने और सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर शुरू हुई साइबर ठगी का दायरा अब डार्क वेब के जरिए क्रिप्टो करेंसी की खरीद-बिक्री तक फैल चुका है। तकनीकी रूप से मजबूत यहां के साइबर लुटरों की पहुंच 20 से भी अधिक देशों तक हो चुकी है। इनमें से दर्जनों ठग ऐसे हैं, जो अब इस आसान तरीके से करोड़ों का टर्नओवर कर रहे हैं।

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    जागरुकता में कमी बनी वजह

    साइबर अपराध के मामले में जिले का करमाटांड़ बेहद चर्चित है। यहां के साइबर अपराधियों ने ठगने के तरीकों व तकनीक में लगातार बदलाव किया। इस कारण बैंक खाताधारक इनके झांसे में आते गए और जमा पूंजी लुटाते गए। आमजन में जागरूकता की कमी भी ठगी का मुख्य कारण रही।

    विदेश तक पहुंचे साइबर अपराधी

    नाम नहीं छापने की शर्त पर जामताड़ा के एक-दो शातिर कहते हैं- कई साइबर अपराधियों ने कुछ साल पहले ही अपना ठिकाना नई दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद समेत एनसीआर व देश के कई बड़े शहरों में बना लिया था।

    इन जगहों से करोड़ों कमाकर अब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अफ्रीका के नाइजीरिया व घाना समेत अन्य देशों में ठौर तलाश लिया है। ये छोटे-छोटे देश हैं और इस अपराध से तकरीबन अनजान भी हैं।

    डार्क वेब के जरिए क्रिप्टो करेंसी में पैसे लगा हो रहे मालामाल

    इन शातिरों के अनुसार, भारत के एटीएम व अन्य कार्ड थ्री डी वर्जन के होते हैं, इससे लोग आसानी से पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं, लेकिन वापसी के लिए क्लेम बेहद कठिन हो जाता है। इसका फायदा साइबर अपराधी उठाते हैं और विदेश में बैठे अपने गिरोह के सदस्यों को आसानी से पैसे ट्रांसफर करते हैं।

    विदेश में बैठा व्यक्ति रकम को अन्य मुद्रा में बदलकर भारत में रह रहे गिरोह के सदस्य-एजेंट को भेजता है या डार्क वेब के जरिए क्रिप्टो करेंसी में निवेश करता है। इस तरह ये साइबर लुटेरे करोड़ों कमा रहे हैं।

    क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्ट करवाने वाला गिरफ्तार

    वर्ष 2022 में करमाटांड़ थाना क्षेत्र से एक सीएसपी संचालक की इस मामले में गिरफ्तारी हुई थी। वह साइबर ठगों के पैसे क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्ट करवाने का काम कर रहा था।

    क्रिप्टो करेंसी में पैसों के इस खेल की प्रक्रिया डार्क वेब के जरिए होती है। इसमें न पैसों का लेन-देन करने वालों का नाम-पता और न ही उसका लोकेशन आसानी से ट्रेस किया जा सकता है।

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