रेलवे ने दी खुशखबरी, लंबी बीमारी से जूझ रहे रेलकर्मी अपने आश्रित को दे सकते हैं नौकरी, ऐसे उठाए़ स्कीम का लाभ
रेलवे ने अपने कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए कहा कि लंबी बीमारी से जूझ रहे उनके कर्मचारी अब अपने आश्रितों को अपनी नौकरी दे सकते हैं। हालांकि इस स्कीम का लाभ उठाने के तहत कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना जरूरी होगा।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। रेलवे के वैसे कर्मचारी जो लंबी बीमारी से ग्रसित हैं, वे अब अपने आश्रित को अपनी नौकरी दे सकते हैं, बशर्ते उनका सेवाकाल पांच वर्ष से अधिक बचा हो। रेलवे बोर्ड ने पूर्व की 21 साल की सेवा अवधि की बाध्यता को भी इसमें हटा दिया है। उक्त व्यवस्था को देश के सभी जोन के लिए प्रभावी किया गया है। रेलवे बोर्ड ने ऐसे कर्मचारियों को राहत दी है, जो हाई शुगर, प्रेशर, कैंसर, लकवाग्रस्त सहित अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं या नियमित रूप से सप्ताह में तीन-चार दिन डायलिसिस कराते हैं।
बीमारी के कारण अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
बीमारी के कारण लंबे समय से अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित हो रहे हैं। ऐसे कर्मचारी अब अपने बेटा-बेटी या अन्य आश्रित को अपनी नौकरी दे सकते हैं। रेलवे बोर्ड पूर्व में स्कीम का लाभ उन्हीं कर्मचारियों को देती थी, जो अपनी 21 वर्षों की सेवा पूरी कर चुके हैं, लेकिन अब यह बाध्यता हटा ली गई है। डी-कैटोगराइज्ड़ कर्मचारी अपनी नौकरी देते हैं, तो उन्हें इसके बदले रेलवे से पेंशन मिलेगा। चक्रधरपुर मंडल में ऐसे 16 कर्मचारी हैं, जो गंभीर बीमारी के कारण लंबे समय से अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित हैं।
आवेदन करने से पहले इस नियम का पालन करना होगा जरूरी
आदेश के तहत स्कीम का लाभ लेने वाले कर्मचारी तभी आवेदन कर सकते हैं, जब उन्हें रेलवे की मेडिकल बोर्ड ने डी-कैटेगराइज्ड़ के तहत अनफिट फार आल कैटेगरी (किसी भी श्रेणी में ड्यूटी करने के लिए अयोग्य) घोषित कर दिया हो। नेशनल फेडरेशन आफ इंडियन रेलवेमैन के जोनल सेक्रेटरी शशि मिश्रा के अनुसार रेलवे बोर्ड ने 21 वर्षों की बाध्यता को हटा दिया है। ऐसे में गंभीर रूप से बीमार रेलकर्मियों के लिए सुनहरा अवसर है। वे अपने विभाग में आवेदन देकर उक्त स्कीम का लाभ उठाकर अपने बच्चों को नौकरी दे सकते हैं।
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