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    Ghatshila Bye Election: बलमुचू के निर्णय पर बदलेगा उपचुनाव का समीकरण, घाटशिला में बढ़ी राजनीतिक बैचेनी

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 10:11 AM (IST)

    कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचू ने घाटशिला विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ने का दावा किया है जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया है। उनके इस दावे पर झामुमो और भाजपा दोनों की नजरें टिकी हैं। बलमुचू के चुनाव लड़ने से घाटशिला का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है खासकर भाजपा के शहरी वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। झामुमो चाहेगी कि बलमुचू के अनुभव का लाभ उसे मिले।

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    बलमुचू के निर्णय पर बदलेगा उपचुनाव का समीकरण, घाटशिला में राजनीतिक बैचेनी बढ़ी

    संवाद सहयोगी, घाटशिला। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह घाटशिला से तीन बार विधायक रहे डा.प्रदीप कुमार बलमुचू के घाटशिला विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने का दावा पेश कर दिल्ली में जाकर चार दिन तक रूकने के बाद वे वापस झारखंड लौट आए।

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    झारखंड लौटने के बाद बलमुचू पश्चिम सिंहभूम जिला में पार्टी के रिपार्ट कार्ड की समीक्षा की। सरायकेला-खरसांवा में प्रदेश प्रभारी के संग समितियों के गठन को लेकर हुए बैठक में भाग लिया। रविवार को खूंटी में प्रदेश प्रभारी के संग कार्यक्रम में भी शामिल हुए।

    जानकारी के अनुसार प्रदीप बलमुचू रविवार रात्रि या सोमवार को रांची में प्रदेश प्रभारी के राजू के संग घाटशिला उपचुनाव के विषय पर दोबारा चर्चा करेंगे। बलमुचू ने इसके पहले भी प्रदेश प्रभारी व प्रदेश अध्यक्ष के संग इस विषय पर चर्चा की थी। इसके बाद ही वे दिल्ली गए थे।

    अब प्रदीप बलमुचू के प्रदेश प्रभारी के संग दोबारा हुए चर्चा के बाद निर्णयों को लेकर भी राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई। बलमुचू के दावे पर आगे पार्टी के निर्णय पर सिर्फ गठबंधन में शामिल झामुमो की ही नजर नहीं, बल्कि भाजपा भी इस पर नर बनाए हुए है।

    शहरी क्षेत्र में भाजपा के वोट पर पड़ सकता असर

    प्रदीप बलमुचू राजनीति के पुराने खिलाड़ी माने जाते है। इस उपचुनाव में कांग्रेस व बलमुचू के निर्णय पर घाटशिला का समीकरण बदल सकता। ऐसे में घाटशिला में राजनीतिक बैचेनी भी बढ़ने लगी है। दिवंगत रामदास सोरेन भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी थे।

    उनके निधन के बाद झामुमो जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी उसके सामने पार्टी में नए अनुभव के साथ कई चुनौतियां भी होगी। पिछले बार बलमुचू ने रामदास सोरेन के जीत में अहम भूमिका निभाई थी। इसबार भी झामुमो की कोशिश रहेगी की बलमुचू के अनुभव का लाभ लिया जाए।

    इधर भाजपा के खेमे में भी इसको लेकर चर्चाएं शुरू होने लगी। भाजपा का वोट बैंक शहरी क्षेत्र में अधिक है। बलमुचू की पकड़ ग्रामीण क्षेत्र के अलावे शहरी क्षेत्र में अच्छी मानी जाती है। अल्पसंख्यक समाज के अलावे कई समाज के वोट में उनका प्रभाव है।

    ऐसे में बलमुचू के चुनाव लड़ने से शहरी क्षेत्र में भी उनका प्रभाव दिखेगा, जो सीधे भाजपा के वोट बैंक पर असर डाल सकता है। इधर बलमुचू के समर्थन से स्व रामदास सोरेन 2024 के चुनाव में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में वोट को बढ़ाने में कामयाब हुए थे।

    झामुमो चाहेगा इस बार भी बलमुचू समर्थन देकर मदद करें। इधर राजनीतिक के ऐसे परिस्थितियों के बीच भाजपा भी अब संगठन को और अधिक मजबूत बनाने को ले सक्रिय हो गई है।

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