Kudmi Protest: कुड़मी आंदोलन का स्वरूप बदला, पांच अक्टूबर को पुरुलिया में होगी विशाल जनसभा
पुरुलिया में आदिवासी कुड़मी समाज ने पुलिस की कार्रवाई और समर्थकों की गिरफ्तारी के विरोध में अपना रेल टेका डहर छेका आंदोलन वापस लिया। प्रमुख अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि आंदोलन का स्वरूप बदला गया है। अब 5 अक्टूबर को पुरुलिया में विशाल जनसभा होगी जहां गिरफ्तारियों के खिलाफ मांग उठेगी और अगली रणनीति तय होगी।

जागरण संवाददाता, पुरुलिया। आदिवासी कुड़मी समाज ने पुलिस की कार्रवाई और अपने समर्थकों की लगातार हो रही गिरफ्तारियों के विरोध में शनिवार से जारी अपना बेमियादी ''रेल टेका, डहर छेका'' (रेल रोको, सड़क जाम) आंदोलन तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया है।
समाज के मूल मान्ता (प्रमुख) अजीत प्रसाद महतो ने रविवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, बल्कि इसका स्वरूप बदला गया है।
उन्होंने एलान किया कि अब पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ पांच अक्टूबर को पुरुलिया में एक विशाल जनसभा का आयोजन कर सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराया जाएगा।
अजीत महतो बोले- पुलिस के अत्याचार के खिलाफ अब होगी जनसभा
अजीत प्रसाद महतो ने रविवार को एक बयान जारी कर आंदोलन वापसी के कारणों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन सरकार ने इसे बलपूर्वक कुचलने का प्रयास किया।
20 सितंबर को पुरुलिया के कोटशिला स्टेशन पर जब हमारे निहत्थे समर्थक अपनी मांगों को लेकर रेल रोकने का प्रयास कर रहे थे, तो पुलिस ने उन पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पुलिस ने अब तक उनके 44 समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया है और यह सिलसिला अभी भी जारी है। महतो ने कहा, पुलिस हमारे पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने के लिए रात-दिन छापेमारी कर रही है, जिससे लोगों को मजबूरी में छिपना पड़ रहा है।
हम अपने लोगों को और प्रताड़ित नहीं होने दे सकते। इसलिए, हमने आंदोलन को सड़क से उठाकर अब जनसभा में बदलने का फैसला किया है।
पांच अक्टूबर को तय होगी आगे की रणनीति
अजीत महतो ने स्पष्ट किया कि पांच अक्टूबर को पुरुलिया टैक्सी स्टैंड पर दोपहर एक बजे से होने वाली विशाल जनसभा में हजारों की संख्या में कुड़मी समाज के लोग शामिल होंगे। इस जनसभा के माध्यम से मुख्य रूप से गिरफ्तार किए गए सभी लोगों की बिना शर्त रिहाई की मांग उठाई जाएगी। साथ ही, इसी मंच से आंदोलन के अगले चरण की रूपरेखा और रणनीति भी तय की जाएगी।
क्या हैं कुड़मी समाज की मांगें
गौरतलब है कि कुड़मी समाज दो प्रमुख मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्षरत है। पहली मांग कुड़मी जाति को फिर से अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करना है। उनका दावा है कि 1950 से पहले वे जनजाति की श्रेणी में ही आते थे, लेकिन बाद में उन्हें इस सूची से हटा दिया गया।
दूसरी प्रमुख मांग उनकी कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना है, ताकि इसे संवैधानिक संरक्षण और बढ़ावा मिल सके। इन्हीं मांगों को लेकर समाज ने 20 सितंबर से पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा में रेल और सड़क यातायात को अनिश्चितकाल के लिए ठप कर दिया था।
रेलवे भी करेगा कानूनी कार्रवाई
इस बीच, दक्षिण-पूर्व रेलवे के आद्रा डिवीजन के आरपीएफ सीनियर सिक्योरिटी कमिश्नर ओम प्रकाश मोहंती ने कहा है कि कोटशिला स्टेशन पर हुई घटना में रेलवे की संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा है।
उन्होंने बताया कि यह रेल पुलिस और पश्चिम बंगाल राज्य पुलिस का संयुक्त अभियान था। पूरे मामले की जांच की जा रही है और उपद्रव में शामिल लोगों के खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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