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    नवजात के शव को थैले में ले जाने का मामला: सदर अस्पताल की लापरवाही पर आयोग सख्त, दर्ज किया केस

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 09:32 PM (IST)

    चाईबासा सदर अस्पताल में नवजात के शव को एम्बुलेंस न मिलने पर पिता द्वारा थैले में ले जाने की हृदयविदारक घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज ...और पढ़ें

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    फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। चाईबासा सदर अस्पताल से चार माह के नवजात के शव को एम्बुलेंस न मिलने पर थैले में लेकर जाने की हृदयविदारक घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संज्ञान लिया है। आयोग ने इस मामले को गंभीर मानते हुए केस दर्ज किया है। 
     
    इसकी जानकारी झारखंड मानवाधिकार संगठन के अध्यक्ष मनोज मिश्रा को दी गई है। मनोज मिश्रा ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार देता है और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार यह अधिकार मृत्यु के बाद भी लागू रहता है। 
     
    मृत शरीर के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करना राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि चाईबासा सदर अस्पताल में हुुई घटना इस अधिकार का उल्लंघन है और मृत शरीर की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है। उन्होंने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 301 के तहत दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।


    एम्बुलेंस नहीं मिली, बस से शव लेकर जाना पड़ा गांव 

    मानवाधिकार संगठन के अनुसार, घटना में अस्पताल प्रबंधन, ऑनड्यूटी चिकित्सकों और कर्मचारियों की गंभीर लापरवाही सामने आई है। मृतक बच्चे के पिता डिंबा चतोंबा को न तो एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई और न ही मोक्ष वाहन। 
     
    मजबूरी में एक गरीब आदिवासी परिवार से जुड़े पिता को अपने चार माह के मासूम बेटे का शव थैले में रखकर सार्वजनिक बस से 60-70 किलोमीटर दूर नोवामुंडी स्थित अपने गांव जाना पड़ा।

     

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    मुआवजा और व्यवस्था सुधार की मांग 


    इस अमानवीय दृश्य ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। मानवाधिकार संगठन ने इसे मानव गरिमा के खिलाफ कृत्य बताते हुए कड़ी निंदा की है। 

    मनोज मिश्रा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच, दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही, पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग की है। 


    जेएचआरसी की रिपोर्ट के बाद एनएचआरसी की कार्रवाई

    गौरतलब है कि इस मामले की झारखंड मानवाधिकार आयोग (JHRC) ने पहले विस्तृत जांच की थी और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी थी। जांच के दौरान मृतक के पिता डिंबा चतोंबा के अलावा मृतक की मां रविवारी चतोंबा, दादा बुधराम चतोंबा, बसंती चतोंबा और गुरुवारी मारली के बयान दर्ज किए गए। आसपास के लोगों से भी पूछताछ की गई।

    जांच टीम में मनोज मिश्रा, संगठन की उपाध्यक्ष रेणु सिंह, मानवाधिकार कार्यकर्ता विश्वजीत सिंह और सोमनाथ पात्रा शामिल थे। अब एनएचआरसी की कार्रवाई के बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।

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