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    Jharkhand News: रामदास सोरेन का बड़ा बयान, झारखंड सरकार को वापस मिल सकती है 22 लाख एकड़ जमीन?

    Updated: Mon, 28 Apr 2025 11:57 AM (IST)

    झारखंड सरकार बिना ग्रामसभा की अनुमति के दी गई भूमि को वापस लेगी। मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि रघुवर दास सरकार ने उद्योग स्थापित करने के लिए 22 लाख एकड़ भूमि बिना ग्रामसभा की अनुमति के दे दी थी। वर्तमान सरकार इस जमीन को वापस लेने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने आदिवासी समाज की व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया।

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    बिना ग्रामसभा की अनुमति के दी गई भूमि को वापस लेगी झारखंड सरकार : मंत्री

    जाटी, गालूडीह (जमशेदपुर)। बाघुडिया पंचायत के केशरपुर स्थित गुडाझोर फुटबाल मैदान में माझी परगना महाल महुलिया तोरोप की ओर से रविवार को एक दिवसीय सामाजिक सम्मेलन का आयोजन किया। देश पारगना बैजू मुर्मू की अध्यक्षता में आयोजित सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन, विशिष्ठ अतिथि जिला परिषद अध्यक्ष बारी मुर्मू शामिल हुईं।

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    अतिथियों का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। सम्मेलन में मंत्री रामदास सोरेन समेत अतिथियों ने संथाल समाज के नायकों की तस्वीर पर पुष्प अर्पण कर उन्हें नमन किया। सम्मेलन में मंत्री रामदास सोरेन ने कहा आदिवासी समाज की व्यवस्था व परपंरा को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।

    बिना ग्रामसभा की अनुमति के दी गई 22 लाख एकड़ भूमि

    केंद्र व राज्य सरकार संविधान के दायरे में रहकर काम करती हैं। संविधान के अनुसार गांव में ग्रामसभा सर्वोपरी है, लेकिन भाजपा के रघुवर दास सरकार ने उद्योग स्थापित करने के लिए 22 लाख एकड़ भूमि बिना ग्रामसभा की अनुमति के ही दे दी थी, ये ग्रामसभा का अपमान है।

    सरकार कर रही जमीन वापस लेने का प्रयास

    उक्त जमीन को वर्तमान सरकार द्वारा वापस करने का प्रयास किया जा रहा है। समाज से बड़ा कोई नहीं है। हर क्षेत्र में समाज की जरूरत होती है। समाज के नाम पर 10-20 रुपये सहयोग देना चाहिए, ताकि समाज अपनी सामाजिक व्यवस्था को कायम रख सके।

    गाड़ी देने की घोषणा

    मंत्री ने कहा कि देश परगना द्वारा सामाजिक व्यवस्था को मजबूत करने का काम किया जा रहा। मैं घोषणा करता हूं की एक बोलेरो वाहन निजी फंड से 15 दिनों के अंदर दिया जाएगा। ताकि देश परगना समाज का कार्य बेहतर तरीके से कर सके।

    जिला परिषद अध्यक्ष बारी मुर्मू ने समाज को एकजुट होने का आह्वान किया। कहा मंत्री वाहन दे रहे हैं। मैं प्रतिमाह वाहन में तेल के लिए 10 हजार रूपये दूंगी। सम्मेलन में 35 गांव के माझी बाबा, पौरानिक गोडेत, जोगमाझी व समाज के महिला पुरुष पारंपरिक परिधान में शामिल हुए।

    माझी बाबा गांव की समस्याओं के समाधान को स्वतंत्र

    बैजू मुर्मू देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि वर्तमान में आदिवासी संथाल समाज स्वशासन व्यवस्था का संचालन करते हुए सर्वांगीण विकास शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के दिशा में काम कर रहा है। जल-जंगल जमीन को बचाते हुए संवैधानिक अधिकार का प्रचार-प्रसार करती है।

    समाज के माझी बाबा अपने-अपने गांव की समस्याओं के समाधान को स्वतंत्र है। अगर विवाद उत्पन्न होता है तो सामाजिक व्यवस्था के तहत विचार व्यवस्था में स्थापित नियमावली का अनुपालन करते हुए उच्च स्तर पर अग्रसारित करें।

    समाज के लोग अपने संस्कृति व पहचान बचाने के लिए एवं परंपराओं को सुरक्षित करने के लिए रुढ़ी प्रथा के तहत नियमावली का अनुपालन करें।

    पुनः माझी परगना महाल के प्रतिनिधि प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर संथाली भाषा को ओलचिकी लिपि से पढ़ाई शुरू करने की मांग करेंगे। सम्मेलन में कई सामाजिक प्रस्ताव पारित किए गए।

    बैठक में मुख्य रूप से तोरोप पारगना बाबा हरिपदो मुर्मू, दासमत हांसदा, चंद्राय हांसदा, दुर्गा मुर्मू, मर्शाल मुर्मू, शांखो मुर्मू, बिरेन टुडू, , लखीचरण सोरेन समेत अन्य उपस्थित थे।

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