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    JPSC Result: आंचल में बेटी, आंखों में अफसर बनने का सपना; अंकिता ने जीती जेपीएससी की जंग

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 08:38 PM (IST)

    जमशेदपुर की अंकिता कुमारी ने जेपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर दिखाई है कि मातृत्व और करियर दोनों को साथ लेकर चला जा सकता है। टेल्को कॉलोनी में रहने वाली अंकिता ने सामान्य वर्ग में 30वां स्थान प्राप्त किया। अपनी बेटी और परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए उन्होंने यह मुकाम हासिल किया। अंकिता अब प्रशासनिक सेवा में जाकर लोगों की सेवा करना चाहती हैं।

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    आंचल में बेटी, आंखों में अफसर बनने का सपना; अंकिता ने जीती जेपीएससी की जंग

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। जब तीन साल की नन्ही संस्कृति अपनी तोतली जुबान में ''मम्मा'' कहकर अंकिता कुमारी से लिपट जाती है, तो यह सिर्फ एक मां-बेटी के असीम प्रेम का क्षण नहीं होता, बल्कि यह उस कठिन तपस्या के सफल होने का उत्सव होता है, जिसे अंकिता ने दिन-रात जिया है।

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    टेल्को कॉलोनी स्थित प्लाजा मार्केट के पास रहने वाली अंकिता कुमारी ने अपनी ममता के हर दायित्व को निभाते हुए झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की परीक्षा में सामान्य वर्ग में 30वां स्थान हासिल कर यह साबित कर दिया है कि अगर हौसलों में जान हो तो हर चुनौती घुटने टेक देती है। अब वे झारखंड प्रशासनिक सेवा में अधिकारी बनकर लोगों की सेवा करेंगी।

    गुरुवार की सुबह चार बजे जैसे ही जेपीएससी का परिणाम घोषित हुआ, अंकिता और उनके परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। चेहरे पर सफलता की चमक और आंखों में संतोष के आंसू लिए अंकिता की खुशी में पूरा परिवार सराबोर था।

    पति कन्हैया कुमार, जो टाटा मोटर्स में सीनियर मैनेजर हैं, और माता-पिता बिनोद तिवारी व सीमा देवी की आंखों में अपनी बेटी के लिए गर्व साफ झलक रहा था। पर इस सफलता के पीछे एक मां के संघर्ष और परिवार के टीम वर्क की एक अनूठी कहानी है।

    अंकिता बताती हैं, एक मां के लिए पढ़ाई के लिए वक्त निकालना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। बेटी बहुत छोटी है, उसकी देखभाल, उसका खाना-पीना, उसकी हर जरूरत पहली प्राथमिकता होती है। कई बार रातें जागकर गुजरतीं, तो कभी भोर में उठकर किताबों से दोस्ती करनी पड़ती। इस मुश्किल सफर में उनके पति उनके सबसे बड़े हमसफर बने।

    अंकिता कहती हैं, यह मेरी अकेले की जीत नहीं, बल्कि पूरे परिवार का टीम वर्क है। जब मैं पढ़ती थी, तो मेरे पति बेटी को संभालते थे, उसे खाना खिलाते थे। उनके सहयोग के बिना यह असंभव था। फिलहाल अंकिता यूपीएससी के अभ्यर्थियों का मेंटर का भी काम करती है।

    टेल्को स्थित विद्या भारती चिन्मया विद्यालय से स्कूली शिक्षा और कर्नाटक के नीट से इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन करने वाली अंकिता फिलहाल को-ऑपरेटिव लॉ कालेज की पढ़ाई भी कर रही हैं। यह उनका पहला ही प्रयास था।

    अपनी तैयारी पर वे कहती हैं, मैंने सिलेबस के हर शब्द को आधार बनाकर संक्षिप्त नोट्स तैयार किए और उन्हीं को बार-बार पढ़ा। इंटरव्यू में मुझसे झारखंड, जमशेदपुर, टाटा स्टील, छऊ नृत्य और आदिवासी मुद्दों पर करीब 22 सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने आत्मविश्वास से जवाब दिया।

    यूपीएससी के अभ्यर्थियों को मेंटरशिप देने वाली अंकिता अब खुद एक पब्लिक सर्वेंट बनने जा रही हैं। वे कहती हैं, एक अधिकारी बनकर मैं आम लोगों की तकलीफों को करीब से समझकर उन्हें दूर करना चाहती हूं। ममता की आंच में तपकर कुंदन बनीं अंकिता की यह कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच अपने सपनों को जिंदा रखे हुए है।

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